3 वर्षीय मृतक बच्चे के माता-पिता आंखो में आंसू लेकर पहुंचे जनसुनवाई में......

- डॉक्टरों की लापरवाही के कारण पुत्र की जान गई, दोषियों पर कार्यवाही की मांग 




भारत सागर न्यूज/देवास। पागल कुत्ते के काटने से पुत्र की मौत पर बदहवास माता-पिता ने मंगलवार को जनसुनवाई में कलेक्टर से गुहार लगाई कि बांगर में स्थित निजी अस्पताल अमलतास के डॉक्टरों की लापरवाही से मेरे पुत्र श्रेयांश (प्रियांश) की मौत हुई।अमलतास हॉस्पिटल के प्रबंधक ने पैसा नहीं होने पर इलाज नही किया तो उसकी मौत हो गई। उसके बाद शव पोस्टमार्डम बिना किए परिवार को सौंप दिया। 




उक्त आरोप वार्ड क्रं. 17 रसूलपुर देवास निवासी सीताराम परिहार उनकी पत्नी के साथ जनसुनवाई में आंखो में आंसू लेकर पहुंची और अपनी आप बीती बताते हुए कहा कि मेरा 3 वर्षीय पुत्र श्रेयांश उर्फ प्रियांश 20 मार्च प्रात: 11 बजे को घर के आंगन में खेल रहा था। तभी अचानक एक पागल कुत्ता आया और उसने हमला कर दिया जिसके कारण उसको कान, सिर पर गंभीर चोट आई तुरंत जिला अस्पताल में इलाज के लिए लेकर गए वहां पर मात्र डॉक्टरों ने इंजेक्शन लगाया उसकी ड्रेसिंग भी नहीं किया और एम.वाय. अस्पताल इंदौर रेफर कर दिया। 



जहां पर डाक्टरों ने कान, सिर पर 12 टाके लगाए और दूसरे दिन 21 मार्च को छुट्टी कर दी। मेरे पुत्र श्रेयांश को घर लेकर आ गए। फिर अचानक 3 अप्रैल 2025 को  पीड़ा अधिक होने पर मेरे परिचित ने बताया कि उज्जैन के निर्मला हॉस्पिटल में पशुओं के काटने से उपचार होता है तो मैं मेरे बेटे को वहां भर्ती किया। जहां स्थिति बिगडऩे पर आधी रात 3 बजे छुट्टी कर दी गई। फिर हम घबराते हुए श्रेयांश को बांगर स्थिति अमलतास हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। उपचार के लिए अमलतास अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड की मांग की गई। 


कार्ड नहीं होने पर 10 हजार रुपए की मांग की गई। मैं और मेरे परिवार पैसे की व्यवस्था कर ही रही रहे इतने में मेरे बेटे श्रेयांश की मौत हो गई। माता-पिता ने अमलतास हॉस्पिटल प्रबंधक की लापरवाही और समय पर इलाज नहीं होने मौत हो गई। वहीं दूसरे दिन 5 अप्रैल को मेरी माताजी संगीता परिहार अमलतास हॉस्पिटल में पुत्र की भर्ती संबंधित व अन्य दस्तावेज लेने गई तो अमलतास हॉस्पिटल द्वारा बड़ी चतुराई से मेरे दिवंगत बेटे का नाम पर्ची हटा दिया गया। सामाजिक संस्था नेशनल यूनिटी ग्रुप ने जिला कलेक्टर ऋतुराज सिंह एवं जिला अस्पताल सीएचएमओ डॉ. सरोजनी जेम्स बेक से मांग की है 





कि पीडि़त परिवार को मानवीय आधार पर उच्च स्तरीय जांच की जाकर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएं। आखिर यह सवाल उठता है कि अमलतास हॉस्पिटल प्रबंधक द्वारा श्रेयांश उर्फ प्रियांश के शव के पोस्टमार्डम के लिए जिला अस्पताल क्यों नहीं भेजा गया। पूर्व में अमलतास हॉस्पिटल नि:शुल्क इलाज करने की शहर में फैक्स के माध्यम से अपने अस्पताल की वाह-वाही लूटता है। दूसरी ओर मरीजों का इलाज प्रधानमंत्री के आयुष्मान कार्ड योजना से प्रधानमंत्री का फोटो गायब है। लेकिन अस्पताल नि:शुल्क इलाज करने की बात करते हैं। इनके मरीजों मोह जाल में फंसाया जाता है। अक्सर जानबूझकर पैसा की मांग की जाती है। इसकी उच्च स्तरीय जांच करने की मांग कर दोषियों खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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