महावीर रिसॉर्ट जीरण में संत रामपाल जी महाराज के दिव्य सत्संग से गूंजा सत्यज्ञान
-परमात्मा स्वयं सतलोक से पृथ्वी पर आकर तत्वदर्शी संत की भूमिका निभाते हैं
-जीरण/ चिताखेड़ा रोड़ तहसील के पीछे महावीर रिसॉर्ट जीरण
-जीरण/ चिताखेड़ा रोड़ तहसील के पीछे महावीर रिसॉर्ट जीरण
भारत सागर न्यूज/जिला/नीमच। नीमच में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा एक दिवसीय सत्संग कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह आयोजन LED स्क्रीन के माध्यम से किया गया, जिसमें नीमच जिले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों से सैकड़ों श्रद्धालु सत्संग सुनने के लिए एकत्रित हुए। दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक चले इस सत्संग में संत रामपाल जी महाराज ने तत्वदर्शी संत की पहचान पर विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत की।
उन्होंने बताया कि तत्वदर्शी संत वह होता है जो संसार रूपी वृक्ष के सभी भागों को स्पष्ट रूप से वर्णित करता है। संत रामपाल जी महाराज ने वेदों और शास्त्रों के प्रमाणों के आधार पर यह स्पष्ट किया कि केवल वही तत्वदर्शी संत हैं, जो वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि परमात्मा स्वयं सतलोक से पृथ्वी पर आकर तत्वदर्शी संत की भूमिका निभाते हैं। इसका प्रमाण वेदों में भी उपलब्ध है।
1) ऋग्वेद मंडल 9, सूक्त 86, मंत्र 26-27
2) ऋग्वेद मंडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1-2
3) ऋग्वेद मंडल 9, सूक्त 96, मंत्र 16-20
3) ऋग्वेद मंडल 9, सूक्त 96, मंत्र 16-20
इन वेद मंत्रों में स्पष्ट किया गया है कि परमात्मा जब-जब पृथ्वी पर अज्ञान और अधर्म बढ़ता है, तब वे स्वयं सशरीर प्रकट होकर यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार करते हैं। वे अपने प्रवचनों को कविताओं, साखियों और चौपाइयों के माध्यम से समझाते हैं, इसलिए उन्हें "प्रसिद्ध कवि" भी कहा गया है।
संत रामपाल जी महाराज ने सत्संग में "तत्वज्ञान" का महत्व समझाया और बताया कि जो तत्वदर्शी संत होता है, वही सत्य आध्यात्मिक ज्ञान देकर मानव जाति का उद्धार कर सकता है। इस सत्संग से श्रद्धालुओं को शास्त्रों के अनुरूप परमात्मा की वास्तविक पहचान और मोक्ष प्राप्ति का सही मार्ग समझने का अवसर मिला।
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