जनता की शंकाओं को दूर कर सावधानीपूर्वक किया जाएगा कचरे का विनिष्टीकरण- मुख्यमंत्री डॉ. यादव

  • कचरे के विनिष्टीकरण की करेंगे सतत निगरानी, वर्ष 2015 में किया जा चुका है ट्रायल रन



भारत सागर न्यूज/इंदौर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि यूनियन कार्बाइड के कचरे के विनिष्टीकरण के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार कार्रवाई की जा रही है। कचरे का निष्पादन जनता की शंकाओं को दूर कर सावधानीपूर्वक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जनता के सरोकार प्राथमिकता में सबसे ऊपर है, कचरे के विनिष्टीकरण की कार्रवाई सतत् निगरानी में की जाएगी।



                      मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हादसे के 40 वर्ष बीतने के बाद भोपाल में रखा लगभग 337 मीट्रिक टन कचरे का हानिकारक प्रभाव खत्म हो गया है। बचे हुए शेष कचरे में 60 प्रतिशत से अधिक केवल स्थानीय मिट्टी, 40 प्रतिशत में 7-नेपथॉल, रिएक्टर रेसिड्यूज और सेमी प्रोसेस्ड पेस्टीसाइड्स का अपशिष्ट है। इसमें मौजूद 7-नेपथॉल रेसीड्यूस मूलतः मिथाइल आइसो साइनेट एवं कीटनाशकों के बनने की प्रक्रिया का सह-उत्पाद होता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका विषैला प्रभाव 25 साल में लगभग समाप्त हो जाता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास में मीडिया से चर्चा में ये बातें कहीं।



            मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि कचरे के निपटान की प्रक्रिया का केन्द्र सरकार की विभिन्न संस्थाओं जैसे- नीरी (नेशनल इन्वॉयरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट), नागपुर, NGRI(नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीटयूट) हैदराबाद, IICT (इंडीयन इंस्टीट्यूट ऑफ केमीकल टेक्नोलॉजी) तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा समय-समय पर गहन परीक्षण किया गया है। उनके अध्ययन तथा सर्वोच्च न्यायालय को प्रस्तुत प्रतिवेदनों के आधार पर भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय को मार्च, 2013 में दिये गये निर्देशानुसार केरल कोच्चि स्थित हिंदुस्तान इनसेक्टीसाइड लिमिटेड के 10 टन यूनियन कार्बाइड के समान कचरे का परिवहन कर पीथमपुर स्थित TSDF में ट्रायल रन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में किया गया। सफल ट्रायल रन का प्रतिवेदन सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।

            मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि ट्रायल रन के निष्कर्षों के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने अप्रैल, 2014 में यूसीआईएल के 10 मीट्रिक टन कचरे का एक और ट्रायल रन भारत सरकार, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली की निगरानी में टीएसडीएफ पीथमपुर में किए जाने के निर्देश दिए। सर्वोच्च न्यायालन ने इस ट्रायल रन की वीडियोग्राफी भी सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए थे। निर्देशानुसार अगस्त, 2015 में ट्रायल रन के बाद केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रायोगिक निपटान की समस्त रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट्स में यह स्पष्ट हुआ कि इस प्रकार के कचरे के निपटान से वातावरण को कोई नुकसान नहीं हुआ है। उच्चतम न्यायालय ने सभी रिपोर्ट के गहन परीक्षण के पश्चात ही यूसीआईएल के कचरे के निपटान की कार्रवाई को आगे बढ़ाने एवं उन्हें नष्ट करने का निर्देश जारी किया।

मुख्य सचिव ने 3 बिन्दुओं पर कराई जांच-

            कचरे के विनिष्टीकरण की कार्रवाई के संबंध में समय-समय पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये जा रहे निर्देशों के अतिरिक्त मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव ने विस्तृत रूप से तीन बिंदुओं को आधार बनाकर पृथक से जांच कराई। जांच के बिंदु- आसपास के गांवों में स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण, फसल की उत्पादकता पर प्रभाव और क्षेत्रीय जल स्त्रोतों की गुणवत्ता का परीक्षण थे। तीनों बिंदुओं के परीक्षण में यह पाया गया कि यूसीआईएल कचरे के निष्पादन से किसी भी प्रकार के नकारात्मक परिणाम परिलक्षित नहीं हुए।


            मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि कचरे के निपटान की प्रक्रिया को लेकर शासन पूरी तरह से संवेदनशील हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मध्यप्रदेश प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ही सभी संबंधित टीमों की सतत् निगरानी में विनिष्टीकरण की कार्रवाई की जाएगी।

Comments

Popular posts from this blog

हाईवे पर होता रहा मौत का ख़तरनाक तांडव, दरिंदों ने कार से बांधकर युवक को घसीटा

7 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ धराये तहसीलदार, आवेदक से नामांतरण के लिये मांग रहे थे रिश्वत ! Tehsildar caught red handed taking bribe of Rs 7 thousand, was demanding bribe from the applicant for name transfer!

देवास का ऐसा टोल जहां अंधेरे में सफर करने के लगते हैं पैसे ...? Such a toll in Dewas where traveling in the dark costs money...?