प्रकृति संग खेती: पुनर्याेजी कृषि से प्रेरित प्रोजेक्ट मालवधरा के किसान
भारत सागर न्यूज/देवास। पटाड़ी क्षेत्र में जनरल मिल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत बाएफ लाइव्लीहुड्स द्वारा संचालित प्रोजेक्ट मालवधरा ने पुनर्याेजी कृषि क्षेत्र में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है। इसी कड़ी में प्रोजेक्ट से जुड़े 22 किसानों का दो दिवसीय प्रक्षेत्र भ्रमण जलगांव स्थित जैन इरीगेशन केम्पस में आयोजित किया गया।
इस दौरे का मुख्य आकर्षण पद्मश्री डॉ. भंवरलाल जैन द्वारा विकसित जैन हिल्स था, जो कृषि में प्रकृति आधारित सहयोगात्मक समाधान का एक अद्भुत उदाहरण है। किसानों ने यहां भविष्य की खेती के मॉडल देखे, जिनमें आधुनिक तकनीक और परंपरागत ज्ञान का अद्भुत समन्वय किया गया है। जैन हिल्स का अनुभव: किसानों ने जैन इरीगेशन के विभिन्न कृषि तकनीकी समाधानों को करीब से देखा और सीखा। इनमें शामिल थे सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली, जल की बचत और अधिक उत्पादन के लिए नवीनतम तकनीक, टीशू कल्चर से विकसित फसलें केला, अनार, मसाला फसलें और सब्जियों के पौधों का वैज्ञानिक उत्पादन।
सौर ऊर्जा आधारित उपकरण: ऊर्जा प्रबंधन के अभिनव समाधान। हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स तकनीक: मृदा रहित खेती के उन्नत मॉडल। अतिसघन फलोद्यान: कम भूमि में अधिक फल उत्पादन।
किसानों ने सीखा कि कम भूमि में उच्च गुणवत्ता वाली फसलों का उत्पादन कैसे लिया जा सकता है। साथ ही, जल प्रबंधन, पोषक तत्व प्रबंधन और बीमारियों से बचाव की तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान अर्जित किया। आयोजन की विशेषता: इस भ्रमण का आयोजन प्रोजेक्ट लीडर विनय पाटीदार के मार्गदर्शन और सुजीत क्षीरसागर के समन्वय में हुआ। जिसमें किसान सर्वेश केलवा, विजय जीराती, राहुल चौधरी, मनोहरलाल मुकाती, दिलीप पटेल आदि उपस्थित रहे। भ्रमण के इस अवसर पर किसानों ने जैन इरीगेशन की टीम, जनरल मिल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और बाएफ लाइव्लीहुड्स को हृदय से धन्यवाद दिया।
किसानों की प्रतिक्रिया: भ्रमण के दौरान किसानों ने कहा, यह दौरा हमारे लिए आंखें खोलने वाला अनुभव रहा। हमने सीखा कि कैसे नवीनतम तकनीकों का उपयोग कर खेती को अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है। इस दो दिवसीय प्रक्षेत्र भ्रमण ने न केवल किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से परिचित कराया, बल्कि उनके भीतर आत्मविश्वास भी जगाया कि वे अपनी जमीन पर इन नवाचारों को लागू कर सकते हैं। यह पहल प्रोजेक्ट मालवधरा की स्थायी और पुनर्याेजी कृषि को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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