मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना का विस्तार किया जाए - धनवाल

 

 
भारत सागर न्यूज/सीहोर/रायसिंह मालवीय  7828750941। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना , उन विद्यार्थियों के लिए एक वरदान साबित हुई है , जो प्रतिभावान होने के बावजूद भी , आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण , अच्छे नामी उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला नहीं ले पाते थे, लेकिन अब मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना के तहत प्रदेश के नामी बड़े -बडे़ मेडिकल कॉलेजों , डेंटल कॉलेजों, इंजीनियरिंग कॉलेजों आदि में , इस योजना अंतर्गत, अब मेधावी विद्यार्थियों की पढ़ाई पूरी होने लगी हैं। क्योंकि ऐसे उन सभी मेधावी विद्यार्थियों की फीस राज्य सरकार वहन करती है, जिस पर भारी भरकम राशि सरकारी खजाने से खर्च की जाती है।

        लेकिन देखने में यह आया कि मेधावी विद्यार्थी की कुल फीस बजट का 65 से 70 % हिस्सा , केवल 7- 8 प्रायवेट मेडिकल कॉलेजों को चला जाता है, शेष बचा- कुचा 30 -35 % बजट राज्य के अन्य कॉलेजों के हिस्से आता है, जो की एक निष्पक्ष जांच का विषय है।

          मध्यप्रदेश अजाक्स भोपाल संभाग के अध्यक्ष बंशीलाल धनवाल ने बताया कि ऐसे कुल बजट का 65 -70 % हिस्सा राज्य के सात- आठ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को ही क्यों ?
राज्य के और अन्य प्रायवेट उच्च शिक्षण संस्थानों को क्यों नहीं ? जबकि मेधावी विद्यार्थी तो अन्य प्रायवेट आयुष मेडिकल कॉलेज तथा पशु चिकित्सा एवं पशुपालन कॉलेजों में भी अध्ययन करते हैं, वहां मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना का लाभ क्यों नहीं ? श्री धनवाल ने बताया कि इसे तो मेधावी विद्यार्थीयों के साथ भेदभाव कहा जाए। यहां एक कविता भी चरितार्थ हो रही है कि, फिस के कुल बजट का 30 % हिस्सा हर - घर , बाकी 70 % हिस्सा निगला अजगर।
          अजाक्स कर्मचारी नेता बंशीलाल धनवाल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी से मांग की हैकि विभाग द्वारा मात्र 7-8 प्रायवेट मेडिकल कॉलेजों को ही इतनी भारी भरकम राशि, फिस के नाम करोड़ो रुपए वितरण मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, तथा मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना का विस्तार किया जाकर राज्य के अन्य प्राइवेट उच्च शिक्षण संस्थानों में भी अध्यनरत मेधावी विद्यार्थियों की फीस शासन द्वारा वहन की जाए। साथ ही यह भी मांग की कि ,रुपए 8 लाख की आय सीमा बंधन का प्रमाण पत्र बनाने की जो प्रक्रिया है, में आय के सभी विकल्पों को ध्यान रखा जाए एवं प्रक्रिया को ओर जटिल व पारदर्शी बनाया जाए। ताकि एन-केन प्रकारण के सहयोग से भी, अपात्र व्यक्तियों को योजना का लाभ नहीं मिले सके।

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