कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिला चिकित्सालय का किया निरीक्षण
- जिले में 100 बेड से अधिक के शासकीय और निजी अस्पतालों में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था करें:-कलेक्टर गुप्ता
- जिला चिकित्सालय परिसर के शासकीय आवास में कोई भी चिकित्सक प्रायवेट प्रेक्टिस नहीं करेंगे:-कलेक्टर गुप्ता
भारत सागर न्यूज/देवास। कलेक्टर ऋषव गुप्ता एवं पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय ने शुक्रवार को महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय का जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभाग के अधिकारियों के साथ निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान एडीएम प्रवीण फुलपगारे, एएसपी जयवीर सिंह भदौरिया, नगर निगम आयुक्त रजनीश कसेरा, एसडीएम बिहारीसिंह, सीएसपी दिशेष अग्रवाल, डिप्टी कलेक्टर अभिषेक शर्मा, सीएमएचओ डॉ. सरोजनी जेम्स बेक, सिविल सर्जन डॉ. एस.के.खरे, आर.एम.ओ. डॉ. अजय पटेल, अमलतास अस्पताल, आदियोगी अस्पताल, विनायक अस्पताल के संचालक सहित अन्य प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी, चिकित्सक एवं सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
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कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय परिसर में बने कार्यालय एनआरसी, जन्म-मृत्यु शाखा, पीएम रूम सहित मैटरनिटी भवन के विभिन्न वार्डों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि पीएम रूम का विस्तार कर एक और रूम बनाया जाए तथा वहां पर अन्य सुविधाएं कराई जाएं। कलेक्टर गुप्ता ने निर्देश दिए कि सीएमएचओ कार्यालय, जिला अस्पताल, नर्सिंग कॉलेज, मैटरनिटी विंग के सभी रास्तों पर लाइट की व्यवस्था किया जाए। उन्होंने बंद पड़ी लाइट को शीघ्र चालु करने के निर्देश नगर निगम को दिए। उन्होंने कहा कि अस्पताल के पीछे स्ट्रीट लाइट लगाए। नर्सिंग कॉलेज और परिसर में साफ-सफाई की जाए। अस्पताल के परिसर में हाई क्वालिटी के कैमरे लगाई जाए तथा एक कंट्रोल रूम स्थापित कर सिस्टम लगाया जाए। कंट्रोल रूम के माध्यम से अस्पताल में निरन्तर निगरानी रखी जाए। अस्पताल या परिसर में किसी व्यक्ति पर संदेह होने पर तुरंत अनाउंसमेंट किया जाए। अस्पताल परिसर में स्टॉफ पॉर्किंग, मैटरनिटी भवन के पास करवाये वहां दीवार पर मार्किंग करें तथा अस्पताल परिसर में एम्बुलेंस के लिए रिर्जव स्थान रखा जावे। नवीन भवन में 04 पुलिस जवान की ड्यूटी रहेगी। इनके द्वारा निरन्तर निगरानी रखी जावेगी। जिला अस्पताल के लिए चिकित्सक और स्टॉफ के क्वार्टर बनाए गए हैं वहां की बाउंड्रीवालों को तार फैंसिंग से कवर किया जाए।
कलेक्टर गुप्ता ने कहा कि अस्पताल में पर्याप्त सुरक्षा प्रबंधन के लिए सेक्युरिटी गार्ड की व्यवस्था की जाए। अस्पताल परिसर में कार्य करने वाले जिसमें सिक्योरिटी गार्ड, पार्किंग व्यवस्था, सफाई कर्मचारी, लॉन्ड्री, खाना बनाने वाले या अन्य आउटसोर्स एजेंसी के कर्मचारियों का पुलिस वैरीफिकेशन होने के पश्चात ही कार्य पर रखा जाएं। अस्पताल के चिकित्सक, नर्सिंग स्टॉफ, पैरामेडिकल स्टॉफ सहित अन्य स्टॉफ और आउट सोर्स एजेंसी के कर्मचारियों सभी का आईडी कार्ड अनिवार्य किया जाए तथा ये सभी निर्धारित ड्रेस कोड में ही कार्य करेंगे। अस्पताल परिसर में अनुपयोगी कबाड़ है, उसे तुरंत हटाने की कार्रवाई करें। कलेक्टर गुप्ता ने निर्देश दिए अस्पताल के स्टॉफ के वाहनों पर बड़ा स्टीकर लगाए, जिससे उनके वाहनों की पहचान हो सकें।
निरीक्षण के दौरान कलेक्टर गुप्ता ने जिले में संचालित 100 बेड से अधिक के अस्पतालों में जिला अस्पताल, अमलतास अस्पताल, आदियोगी और विनायक अस्पताल के संचालनकर्ता और सिविल सर्जन जिला अस्पताल को निर्देश दिए गए हैं कि अस्पताल में मरीज के साथ एक ही अटेंडर रहेगा। इसके लिए भर्ती के समय 02 पास बनाकर दिये जाने की व्यवस्था की जाए, सेक्युरिटी गार्ड द्वारा नियम का पालन करवायें। एक मरीज के साथ एक अटेंडर ही रहे इसकी नियमित मॉनिटरिंग प्रबंधक द्वारा की जाए। सिक्यूरिटी से संबंधित प्रति सप्ताह या 15 दिन में अपनी रिपोर्ट पुलिस को भेजेंगे। अस्पताल में नियमित आकस्मिक मॉनिटरिंग एसडीएम और तहसीलदार द्वारा की जाएगी।
कलेक्टर गुप्ता ने निरीक्षण के दौरान देखा कि चिकित्सकों को परिसर में सरकारी आवास आवंटित किए गए पर प्रायवेट प्रेक्टिस के बोर्ड लगे है सिविल सर्जन डॉ खरे को निर्देश दिये कि परिसर के शासकीय आवास में कोई भी चिकित्सक प्रायवेट प्रेक्टिस नहीं करेंगे। इसके लिए लिखित में निर्देश जारी करें। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर श्री गुप्ता ने निर्देश दिए कि नवीन अस्पताल एवं पुराने अस्पताल के मरीजों को दवाई का वितरण एक ही जगह से किया जाए।
कलेक्टर गुप्ता ने एनआरसी कक्ष का निरीक्षण तथा 16 बेड एनआरसी मंा 03 बच्चे भर्ती होने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने नोडल अधिकारी स्वास्थ्य विभाग एवं डिप्टी कलेक्टर अभिषेक शर्मा को निर्देश दिये कि देवास शहरी क्षेत्र के महिला बाल विकास विभाग के 02 सुपरवाईजर का वेतन रोकने के निर्देश दिये। भर्ती बच्चों कि माताओं से चर्चा की और चिकित्सक स्टॉफ को निर्देश दिये कि सभी को जागरूक कर अधिक से अधिक बच्चों को भर्ती करें। जन्म मृत्यु प्रमाण-पत्र शाखा का निरीक्षण किया। अधिकतर बच्चों के समय पर प्रमाण-पत्र नहीं मिलने कि शिकायत पर स्टॉफ से जानकारी ली तथा सख्त निर्देश दिये कि पुराने बेकलॉक को शीघ्र खत्म करें और वर्तमान में डिस्चार्ज होने के बाद नियमित बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र बनाकर दिये जाने के निर्देश सिविल सर्जन डॉ एस के खरे को दिये।
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