आदिवासी गरीब किसान पहुंचे जनसुनवाई में, दबंगों व भू माफियाओं ने खेत के रास्ते पर कर रखा कब्जा

- रास्ता खुलवाए जाने को लेकर जनसुनवाई में कलेक्टर को दिया आवेदन






भारत सागर न्यूज/देवास। गरीब आदिवासी व अन्य कृषकों के खेत पर जाने का रास्ता दबंगों व भू माफियाओं द्वारा कब्जा कर बंद किए जाने के विरोध में तहसील उदयनगर के ग्राम भीकुपुरा व रातातलाई के पीड़ित कृषक मंगलवार को जनसुनवाई में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और आवेदन सौंपा। दयाराम, शिवराम, दुबलिया, प्रभु सभी जाति भिलाला ग्राम रातातलाई, कालीबाई एवं नानी बाई ग्राम भीकुपुरा ने बताया कि हम सभी खेती कर हमारे परिवार का पालन पोषण करते है। खेत पर जाने के रास्ते को पूर्व में प्रभु प्रमोद पिता पदम सिर्वी ने तार खुटे लगाकर बंद कर दिया था। हमारी शिकायत के पश्चात तहसीलदार उदयनगर ने आदेश जारी कर राजस्व निरीक्षक को उक्त रास्ते का खोलने का आदेश दिया था। तब जाकर हमारा रास्ता खुला था। जिसके पश्चात इसी रास्ते पर संजय, सुनिल पिता लक्ष्मण सिर्वी निवासी ग्राम भीकुपुरा ने अवैध कब्जा कर लोहे की फाटक/गेट लगाकर बंद कर दिया था, ग्रामीणों द्वारा कार्यवाही करने पर पुन: तहसीलदार महोदय ने नोटीस जारी कर पुन: उक्त अवरोध हटाकर रास्ता चालु कराया था। 



प्रभु पिता पदम व संजय, सुनिल पिता लक्ष्मण ने शासकीय चरनौई भुमि पर अवैध रूप से कब्जा कर तार व लोहे के खम्भे लगाकर के अतिक्रमण कर रखा था। शासकीय भुमि पर अवैध अतिक्रमण होने सिद्ध मानते हुऐ प्रभु पिता पदम पर रूपए 1,00,000/- अक्षरी एक लाख रूपए, व संजय व सुनिल पर रूपए 25,000/- अक्षरी पच्चीस हजार रूपए अर्थदण्ड आरोपित कर बैदखली आदेश किया था। यह कि उक्त संजय सुनिल पिता लक्ष्मण ने ग्राम भीकुपुरा स्थित अपनी भुमि उक्त प्रतिप्रार्थी कमल पिता नर्मदाप्रसाद को बिक्री पत्र संपादित कर बिक्री कर दी है। उसकी जानकारी हम किसानों को लगने पर उसके नामांतरण प्रकरण में रास्ते बाबद आपत्ति प्रस्तुत की थी। कमल जायसवाल द्वारा उक्त भुमि का नामांतरण के बाद सीमांकन कराया है और पश्चात उक्त रास्ते वाली भुमि पर चुने के निशान डालकर यह बताया कि उसने यह मुमि खरीद ली है। जिसके पश्चात रात में दिनांक 22/06/2024 को जेसीबी चलाकर रास्ते पर गड्डा खुदवा दिया और रास्ते का बंद कर दिया।


पीडित कृषकों ने बताया कि बारीश प्रारभ हो चुकी है और हम ग्रामीणों को अपनी कृषि भुमि में समय पर बोवनी आदि करना है। जिसके लिए रास्ता अत्यंत जरूरी है। खेती के अलावा कोई ओर हमारे पास रोजगार नही है। यदि रास्ता चालू नही होता है तो हम गरीब आदिवासी किसान बोनी आदि नहीं कर पायेंगें और हमे अपूर्ण क्षति होगी और परिवार पालन मुश्किल हो जायेगा, जबकि उपराक्त रास्ते को तहसीलदार महोदय द्वारा दो-दो बार आदेश कर मौके पर रास्ता खुलावाया है और तथा उक्त लोगों द्वारा सरकारी भुमि पर कब्जा करने के कारण उन्हे दण्डित भी करने का आदेश दिया है। उसके पश्चात पुन: वही रास्ता अब अन्य व्यक्ति इन दबंगों ने भूमि खरीद कर हमारा रास्ता बंद कर दिया है। हम गरीब आदिवासी किसान उक्त रास्ते को खुलाने के लिए बार-बार न्यायालय में प्रकरण आदि लगाने में असमर्थ है, जबकि रास्ते वाली वह जगह शासकीय भूमि है, जो बिकी आदि नहीं हो सकती है। पीडित किसानों ने मांग की है कि कब्जाधारी पर योग्य एवं वैधानिक कार्यवाही करते हुए अवरूद्ध किये गए रास्ते को शीघ्र चालू करवाया जाए।



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