क्षिप्रा नदी के दोनों किनारों पर से दो सप्ताह में सख्ती से हटाए अतिक्रमण - कलेक्टर गुप्ता

  •  क्षिप्रा को शुद्ध एवं निर्मल बनाने के लिए हमें प्रयास करना हैं जबतक जल स्वच्छ न हो जाएं - कलेक्टर गुप्ता
  • क्षिप्रा नदी के दोनों किनारों पर से दो सप्ताह में सख्ती से हटाए अतिक्रमण - कलेक्टर श्री गुप्ता
  • कलेक्टर गुप्ता की अध्यक्षता में “जल गंगा संवर्धन अभियान” एवं रूफ रैन हॉर्वेस्टिंग के संबंध में बैठक आयोजित






भारत सागर न्यूज/देवास - क्षिप्रा के जल को साफ-स्वच्छ, शुद्ध एवं निर्मल बनाने के लिए हम सबको प्रयास करना होंगे। यह प्रयास हमें निरंतर करते रहें, जब तक कि क्षिप्रा का जल स्वच्छ, निर्मल ना हों जाएं। अगर क्षिप्रा साफ एवं स्वच्छ रहेगी तो कभी भी पीने के पानी की समस्या नहीं रहेगी। उक्त निर्देश कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता ने आज जिला पंचायत के सभाकक्ष में आयोजित “जल गंगा संवर्धन अभियान” एवं रुफ रैन हार्वेस्टिंग के संबंध में आयोजित बैठक में कही। बैठक में सीईओ जिला पंचायत श्री हिमांशु प्रजापति, एसडीएम श्री बिहारी सिंह, तहसीलदार श्रीमती सपना शर्मा, सीईओ जनपद पंचायत देवास श्रीमती हेमलता शर्मा, जिला समन्वयक सुनील सुमन, सरपंचगण, पटवारीगण, ग्राम पंचायत सचिव, उपमंत्री, जीआरएस सहित अन्य संबंधित उपस्थित थे। बैठक में कलेक्टर श्री गुप्ता ने निर्देश दिए कि क्षिप्रा नदी के दोनों किनारों के 104 गांवों जहां कहीं भी अतिक्रमण हों दो सप्ताह भीतर सख्ती से हटाएं तथा उसकी जानकारी भी प्रेषित करें। 



उन्होंने कहा कि जिले में जहां भी पेयजल के स्त्रोत हैं, उन्हें “जल गंगा सवंर्धन अभियान” के तहत दुरूस्त करें। उन्होंने जिले के अन्य नदी एवं नालों से अतिक्रमण हटाने के लिए सीमांकन का कार्य करने और नालो के दोनों और 50-50 मीटर तक पौधा रोपण के निर्देश दिये। कलेक्टर गुप्ता ने क्षिप्रा शुद्धिकरण एवं क्षिप्रा में मिल रहे नालों की सफाई और संरक्षण हेतु क्षिप्रा नदी किनारे पौधे लगाएं तथा पौध रोपण अभियान में ग्रामीणजनों की सहभागिता सुनिश्चित करें।  “जल गंगा संवर्धन अभियान” में नदी, नालों, तालाबों एवं कुएं-बावड़ियों का गहरीकरण साफ-सफाई की जाएं। 





                                      बैठक में कलेक्टर श्री गुप्ता ने “जल गंगा संवर्धन अभियान के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि “जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत नदी, नालों और ऐतिहासिक एवं पारम्परिक जल संरचनाओं, तालाब, झील, कुंआ, बावड़ी आदि के संरक्षण, पुनर्जीवन के लिए सम्पूर्ण जिले में अभियान चलाया जा रहा है। अभियान में जल संरचनाओं, तालाब, झील, कुंआ, बावड़ी आदि के संरक्षण की साफ-सफाई की जाएं तथा गहरीकरण का कार्य शीघ्र पूर्ण कर लिया जाएं। उन्होंने कहा कि अगर जल संरचनाओं को व्यवस्थित कर लिया जाएगा तो निश्चित ही वाटल लेवल भी बढ़ेगा तथा पेयजल की समस्या से निजात भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि ‘’जल गंगा संवर्धन अभियान’’ में जिले के नागरिकगणों को भी जोड़े। कलेक्‍टर श्री गुप्‍ता ने कहा कि जिले के अन्य नदी व नाले में जल प्रवाह बना रहे, इसलिए नाले के आसपास से अतिक्रमण हटाये। नदी-नाले एवं तालाब का गहरीकरण और चौड़ीकरण करें। नाले के दोनों ओर पौधारोपण करें। नाले पर स्‍टॉप डेम बनाये और बोरी बंधान का कार्य करें।



रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम से पानी का संचय करें-कलेक्टर गुप्ता कलेक्टर श्री गुप्ता ने कहा कि हम पानी बचाने के लिए रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाये, रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम से पानी का संचय करें। जिला प्रशासन द्वारा बरसात के जल को सहेजने का कार्य किया जा रहा है। जिले के सभी नागरिक इस अभियान में आगे आए और बरसात के जल को सहेजने के लिए रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाये। उन्होंने सभी सरपंचों से कहा कि वे अपने-अपने गांवों कम से कम 50-50 रूफ रैन हॉर्वेस्टिंग सिस्टम लगाएं। साथ ही पंचायत कार्यालयों, स्कूलों एवं अन्य शासकीय भवनों पर भी रूफ रैन हॉर्वेस्टिंग लगाएं। कलेक्‍टर श्री गुप्‍ता ने कहा कि बरसात का पानी रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्‍टम के माध्यम से जमीन में उतारें। रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्‍टम कम लागत में लग जाता है और इसका संधारण करना भी सरल है। उन्होंने कहा कि यदि बरसात का पानी रैन वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक के माध्यम से जमीन में उतारेंगे तो निश्चित भू-जल स्तर में वृद्धि होगी। ट्यूबवेल के पानी की हार्डनेस भी कम हो जायेगी, क्योंकि बरसात का पानी सॉफ्ट है। यही बारिश का पानी बहकर सडक़ों तक नहीं पहुंचेगा तो शहर में बरसात के मौसम में जल भराव की समस्या नहीं होगी। कलेक्‍टर श्री गुप्‍ता ने कहा कि बोरिंग नहीं है तो घर में गढ्ढा खोदकर पानी की टंकी बनाकर संग्रह कर सकते है। इसके आलावा प्‍लास्टिक की पानी की टंकी में पानी स्‍टोर कर सकते है। किसान खेत की मेढ़ पर गढ्ढा खोदकर टंकी बनाकर पानी का संग्रहण कर सकते है। कलेक्टर श्री गुप्ता ने कहा कि छतों से व्यर्थ बहकर जाने तथा जल भराव की समस्या पैदा करने वाले जल को सहेजने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से हम देवास शहर में कई करोड़ लीटर पानी बचा सकते हैं। पानी का संकट दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। पैंतीस- चालीस साल पहले ट्यूबवेल में पानी 100-125 फुट पर मिल जाता था, वहीं आज 600-700 फुट की गहरायी पर भी पानी नहीं मिल रहा है। भूमिगत जल का स्तर लगातार नीचे जाने से नदियाँ भी सूख रही हैं। इसके लिए हमें सभी को मिलकर कार्य करना होगा और जल स्तर को बड़ाना होगा। 



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