तीर्थाटन से मन और तन स्वस्थ बनते हैं - कैलाश परमार

उत्तराखंड यात्रियों को दी विदाई




भारत सागर न्यूज़/आष्टा/रायसिंह मालवीय। पर्वतों का पावन सौंदर्य सभी को आकर्षित करता है । हमारे ऋषि मुनियों ने धर्म और प्रकृति में गजब का तादात्म्य स्थापित किया है । देव भूमि हिमालय सनातन संस्कृति और जैन धर्म से जुड़े सभी श्रद्धालुओं के लिए पूज्यनीय है । तीर्थाटन से अच्छा पर्यटन हो ही नही सकता क्योंकि यह हमारे मन और तन दोनों को ही स्वस्थ और सकारात्मक बनाता है लेकिन इन तीर्थो और यहां के पर्यावरण की रक्षा करना भी हमारी जिम्मेदारी है । तीर्थ हमारे मन की पवित्रता के कारक हैं हमारा भी यह फर्ज है कि वहां के नैसर्गिक सौंदर्य को संरक्षित करने में सहयोग करें उत्तराखंड के तीर्थो और मोक्ष प्रदायिनी गंगा के दर्शन हेतु आज रवाना हुए नगर के तीर्थ यात्रियों को विदाई और शुभकामनए देते हुए पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार ने यह बात कही ।




 नगर से आज उत्तर भारत के विभिन्न जैन तीर्थो सहित उत्तराखंड के हरिद्वार , ऋषिकेश , देवप्रयाग , अष्टापद और चार धाम की यात्रा के लिए जत्था रवाना हुआ । यात्रा के आयोजकगण पंकज श्रीमल अष्टपगा को पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार , नपाध्यक्ष प्रतिनिधि राय सिंह मेवाड़ा , पूर्वं नपाध्यक्ष श्रीमती मीना विनीत सिंघी ,प्रभुप्रेमी संघ के महासचिव प्रदीप प्रगति स्टेट बैंक शाखा प्रबंधक रजत जैन , दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष आनन्द पोरवाल पूर्व अध्यक्ष पवन जैन सुरेंद्र जैन शिक्षक , पद्मावती पोरवाल समिति संयोजक संजय जैन , संदीप जैन पार्षद रवि शर्मा पार्षद प्रतिनिधि कल्लू मुकाती , तेजसिंह राठौर , नरेंद्र गंगवाल , शिक्षक समाजसेवी सुनील प्रगति, मनोज सुपर , मनोज सेठी गोपी आदि ने बधाई देते हुए सभी तीर्थयात्रियों की सफल यात्रा के लिए मंगल कामना की ।

Comments

Popular posts from this blog

हाईवे पर होता रहा मौत का ख़तरनाक तांडव, दरिंदों ने कार से बांधकर युवक को घसीटा

7 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ धराये तहसीलदार, आवेदक से नामांतरण के लिये मांग रहे थे रिश्वत ! Tehsildar caught red handed taking bribe of Rs 7 thousand, was demanding bribe from the applicant for name transfer!

फ्रीज में मिली महिला की लाश संबंधी सनसनीख़ेज़ अंधे क़त्ल का 10 घंटे में पर्दाफ़ाश, 5 साल लिव इन में रहने के बाद घोंट दिया पिंकी का गला ! 10 माह से रखा था फ्रिज में महिला का शव !