गैर कानूनी तरीके से संचालित हो रहा पहचान नशा मुक्ति केंद्र हुआ बंद
-शिवसेना की शिकायत पर कलेक्टर ने जांच में पाई अनियमित्ताएं
भारत सागर न्यूज/देवास। भोपाल रोड स्थित ग्राम पंचायत जामगोद में पहचान नशा मुक्ति केंद्र के नाम से नशा छुड़वाने का सेंटर कई वर्षो से संचालित हो रहा था। नशा छुड़वाने के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा था। ठगे हुए लोगों की शिकायत सुनने वाला कोई नहीं था। जिसकी सूचना शिवसेना को लगी। शिवसेना जिलाध्यक्ष सुनील वर्मा ने बताया कि शिवसेना नेता रोहित शर्मा,ग्रामीण जिलाध्यक्ष श्रवण सिंह बैस ने नशा मुक्ति केन्द्र की सम्पूर्ण जानकारी निकाल कर 20 फरवरी 2024 को इसकी लिखित शिकायत कलेक्टर से की। मामले को संज्ञान में लेते हुए कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने सामाजिक न्याय विभाग के जिला अधिकारी संगीता यादव को जाँच हेतु निर्देशित करते हुए जाँच दल गठित किया।
तहसीलदार रवि शर्मा के नेतृत्व में पहचान नशा मुक्ति केंद्र की जाँच की गई। जिसमें पाया गया कि संस्था को विभागीय मान्यता प्राप्त नहीं है। फर्म एवं सोसायटी का पंजीयन नही पाया गया। जिसकी जाँच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी गई। जिसे देख कलेक्टर ने पुनः: जाच दल गठित कर विस्तृत जाँच करवाई। जिसमें अपर कलेक्टर प्रवीण फुलपगारे, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विष्णु लता उईके, उपसंचालक सामाजिक न्याय एवं दिव्यांग सशक्तिकरण श्रीमती संगीता यादव एवं जिला चिकित्सालय में पदस्थ मनोरोग चिकित्सक डॉ. धर्मेन्द्र प्रजापति को जाँच हेतु नियुक्त किया गया। सभी पदाधिकारियों ने मौके पर जाकर जामगोद में स्थित पहचान नशा मुक्ति केंद्र की जाँच प्रारंभ की।
जांच में पाया गया कि पहचान तमाशा मुक्ति केंद्र में मौजूद डॉक्टरों के पास डिग्री ही नहीं थी, साथ ही संस्था प्रशिक्षित स्टॉफ द्वारा कोई भी मान्यता प्राप्त दस्तावेज उपलब्ध नही कराए गए। झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा मरीज को तीन माह का कहकर नशा केंद्र में भर्ती किया जाता था।बाद में जिसकी समय अवधि बढ़ाकर नौ माह तक मरीज को भर्ती रखते थे और परिवारजनों से मोटी रकम इलाज के नाम पर वसूलते थे। जांच अधिकारियों ने पाया कि पहचान नशा मुक्ति केंद्र संस्था को संचालनालय सामाजिक एवं दिव्यांग सशक्ति केन्द्र भोपाल और कार्यालय सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण देवास से मान्यता प्राप्त नही थी।
भर्ती मरीजों से जांच दल ने चर्चा की तो मरीजों का कहना था कि हमें तीन माह का कहकर इलाज के लिए रखा गया था, लेकिन नौ माह बीत जाने पर भी हमें केन्द्र में जबरन रखा जा रहा है। जांच के दौरान संस्था कार्यालय में समय की कोई नियमावली भी नहीं थी। मरीजों के परिजनों को दी जाने वाली रसीद पर सामाजिक न्याय विभाग एवं महिला बाल विकास द्वारा मान्यता प्राप्त अंकित था, जबकि किसी भी शासकीय विभाग से मान्यता नही थी। जांच में स्पष्ट हुआ है कि नशा मुक्ति केन्द्र अवैध रूप से संचालित होकर इलाज के नाम पर पैसो की वसूली और आमजन से लुट की जा रही थी। संस्था द्वारा मरीजों को दिए जाने वाला खाना गुणवत्तायुक्त नही होकर किचन व परिसर मेें भारी गंदगी पसरी हुई थी। संचालित किये जा रहा नशा मुक्ति केन्द्र 2000 स्केवयर फीट में बना था, जिसमें 61 मरीज अपना इलाज करा रहे थे। जो कि मरीजों की संख्या अनुरूप पर्याप्त स्थान नही था। जाँच के दौरान डॉक्टर की वीजिटिंग डायरी नही पाई गई और ना ही दवाइयों के रखरखाव की व्यवस्था निर्धारित प्रोटोकाल अंतर्गत नही थी। भर्ती मरीजों की अलग-अलग फाइल नही थी, जिससे मरीजों की अलग-अलग जानकारी प्राप्त हो सके। वहीं नशामुक्ति केन्द्र में पदस्थ स्टॉफ के क्वालिफिकेशन दस्तावेज नही दिखाए गए, मरीजों के लिए मूलभूत सुविधाएं भी नही थी। जाँच उपरांत संयुक्त अधिकारियों ने पहचान नशा मुक्ति केन्द्र को शीघ्र ही बंद कर भर्ती पीडित मरीजों को 3 दिवस में अन्य नशा मुक्ति केन्द्र में स्थानांतरित करने के निर्देश संचालक को दिए गए।
शिवसेना जिला अध्यक्ष सुनील वर्मा ने बताया कि उक्त फर्जी नशा मुक्ति केंद्र चलाने के गोरख धंधा को पीडि़तों की शिकायत प्राप्त होने पर शिवसेना ने अपनी अंदरूनी जानकारी प्राप्त करने के उपारांत कलेक्टर ऋषभ गुप्ता को विस्तार से पूरी जानकारी सहित शिकायत की थी। जिस पर इस फर्जी वाडे को उजागर किया जाकर बंद करवाया गया है।
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