श्रीकृष्ण-सुदामा चरित्र प्रसंग एवं भण्डारा प्रसादी के साथ भागवत कथा की पूर्णाहुति

















भारत सागर न्यूज/देवास। श्री जय बाल हनुमान मंदिर शिव शक्ति नगर में श्री श्री 1008 बाल ब्रह्मचारी बाबा नारायण दास महाराज की 17 वी पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा यज्ञ की रविवार को श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र एवं महाप्रसादी (भंडारा) के साथ पूर्णाहुति हुई। उत्सव समिति के पं. अरुण मिश्रा ने बताया कि गुरु महाराज की पुण्यतिथि पर विगत 11 वर्षो से सतत आयोजन हो रहे है। विश्राम दिवस पर गीता पाठ एवं पूर्णाहुति पश्चात आयोजक साध्वी मीरा दीदी ने कन्याओं का पूजन किया। तत्पश्चात भंडारा प्रसादी का आयोजन शुरू हुआ। दोपहर 1 बजे शुरू हुआ भंडारा शाम 4.30 तक सतत रूप से चलता रहा।





                                              जिसमें हजारों की संख्या में भक्तों ने प्रसादी ग्रहण की। पूर्णाहुति के दिन मुख्य रूप से महापौर प्रतिनिधि दुर्गेश अग्रवाल, आशुतोष जोशी पार्षद प्रतिनिधि, दीपेश कानूनगो पार्षद, संजय शुक्ला संयोजक सामाजिक समरसता मंच देवास, राम पदारथ मिश्रा सहसंयोजक सामाजिक समरसता मंच देवास आदि ने उपस्थित होकर प्रसादी ग्रहण की। व्यासपीठ से आचार्य सूरज द्विवेदी ने कहा कि सुदामा जी संसार के सबसे अनोखे भक्त रहे है। वह जीवन में जीतने गरीब नजर आए, उतने वे मन से धनवान भी थे।


                उन्होंने अपने सुख व दुखों को भगवान की इच्छा पर सौंप दिया था। सुदामा, भगवान श्रीकृष्ण से जब मिलने आए तो भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा के फटे कपड़े नहीं देखे, बल्कि मित्र की भावनाओं को देखा। मनुष्य को अपना कर्म नहीं भूलना चाहिए। अगर सच्चा मित्र है तो श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होना चाहिए। सत्ता पाकर भी व्यक्ति को घमंड नहीं करना चाहिए। श्रीकृष्ण-सुदामा चरित्र प्रसंग का श्रवण कर भक्तजन भाव विभोर हो गए। व्यवस्थापक पंडित ने सफल आयोजन पर भक्तजनों का आभार माना।


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