माता-पिता की सेवा से बड़ा कोई सौभाग्य नहीं- आचार्य अनिल शर्मा
भारत सागर न्यूज/देवास। प्रभु श्रीराम अयोध्या के राजा बनने वाले थे, तब राजा बनने की खबर सुनकर माता कैकई विचलित हो गई थी। दशरथजी श्रीराम को और कैकई भरत को राजगद्दी सौंपना चाहती थी। कैकई ने दशरथजी से वचन मांगा। कैकई ने कहा राजन पहला वचन तो यह मांगती हूं कि भरत को अयोध्या की राजगद्दी, राजतिलक हो। कैकई ने कहा महाराज दूसरा यह मांगती हूं, कि राम 14 वर्ष के लिए वनवास चले जाए।
इसे भी पढे - अ.भा. आयुर्वेद महासम्मेलन की जिला कार्यकारिणी गठित, तकझरे संवरक्षक एवं वर्मा अध्यक्ष बने
खाटू श्याम महिला समिति चाणक्यपुरी एक्सटेंशन द्वारा आयोजित श्रीराम कथा में व्यासपीठ से आचार्य अनिल शर्मा आसेर वाले ने कहा, कि दशरथजी ने जब यह सुना तो वे धरती पर गिर गए। थोड़ी देर बाद होश आया तो बोले रानी तू तो राम को बड़ा प्रेम करती थी। राम कौशल्या के महल में जाते थे तो पहले तेरे महल में आते थे। तू उन्हें वनवास क्यों दे रही है। बहुत समझाया नहीं मानी। प्रभु श्रीराम जरा भी विचलित नहीं हुए। उन्होंने कहा, कि हे! माता जो पिता ने आपको वचन दिया, मैं वैसा ही करूंगा। पिता के वचनों को कभी खाली नहीं जाने दूंगा। जो अपने माता-पिता के वचनों का पालन नहीं करता हो वह बड़ा अभागा होता है। अगर माता पिता की सेवा करने का सौभाग्य मिल जाए तो इससे बड़ा और क्या होगा। माता-पिता प्राणों से भी ज्यादा प्यारे होते हैं।
इसे भी पढे - पार्षद प्रतिनिधि पर प्रताडना का आरोप लगाते हुए वार्डवासी ने जनसुनवाई में महापौर से की शिकायत
इस दौरान आयोजक मंडल की मातृशक्ति द्वारा व्यासपीठ की पूजा-अर्चना व महाआरती कर आचार्य अनिल शर्मा का पगड़ी पहनाकर पुष्पमालाओं से अभिनंदन किया। सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने श्रीराम कथा रूपी ज्ञान गंगा में डुबकी लगाकर धर्म लाभ लिया।
Comments
Post a Comment