सालों से किसे चूना लगी रही हाईवे की शराब दुकाने ? नगर परिषद् सीमा क्षेत्र में नही फिर भी सालों से अंगद के पैर की तरह टिकी !




राहुल परमार, भारत सागर न्यूज, देवास। वैसे तो आबकारी विभाग की नई पॉलिसी आ चुकी है और इस बार फिर से रेट बढ़ाकर ठेकों का आवंटन होना है। इन्हीं आवंटनों पर ठेकेदारों की निगाहें भी टिकी है। आखिर प्रश्न भी राजस्व का है ! इनके साथ राजस्व पर चुना लगाने वाले ठेकेदार और उनकी दुकानों की जुगाड़बाजी भी सक्रिय हो चुकी है। बता दें जिले में भौरांसा स्थित भौंरासा फाटे की दुकानें सालों से रोड किनारे चली आ रही है। हाईवे स्थित इन दुकानों के लिये सुप्रीम कोर्ट और उच्च विभागों ने आदेश भी जारी किये हैं जिनमें पूर्व में इन दुकानों की दूरी 500 मीटर रखने का और बाद में संशोधन कर 220 मीटर कर दी थी। यह आदेश इसलिये पास किया गया था ताकि वाहन चलाने वाले ड्राइवर शराब पीकर वाहन न चलाये और उनके साथ रोड पर चल रहे आम लोगों के जीवन सुरक्षित रहे।





                       लेकिन ठेकेदारों ने विभागों के अन्य आदेशों जिनमें नगर परिषद्, नगर निगम, नगर पालिका की सीमा क्षेत्रों में आने वाली दुकानों के आदेशों का दुरुपयोग कर हाईवे के किनारे दुकानें संचालित कर प्रशासन को राजस्व चूना लगाने में कोई कसर नही छोड़ी है। आश्चर्य की बात तो यह है कि उक्त दुकानों को किसी भी विभाग ने आज तक कोई स्वतः संज्ञान नही लिया। बस ठेकेदारों ने जैसे आवेदन दिया, वैसे अनुमति दे दी। आखिर इसका खुलासा नगर परिषद के एक पत्र के बाद से हुआ। सूचना के अधिकार अधिनियम से प्राप्त एक पत्र के अनुसार जो दुकान भौरांसा फाटे पर स्थित है वो दरअसल नगर परिषद् सीमा क्षेत्र में ही नही है जबकि आबकारी विभाग में यह दुकानें हाईवे पर केवल इसिलिये हैं क्योंकि यह नगर परिषद सीमा क्षेत्र में है। अब दो विभागों के बीच मामला असंमजस में है। हालांकि इसका पूरा लाभ ठेकेदार उठा रहा है क्योंकि ठेकेदार को प्रशासन की इस लड़ाई में कोई राजस्व नही देना पड़ता वरना व्यावसायिक टैक्स के रुप में उसे नगर परिषद को कोई राजस्व नही देना है। उधर आबकारी में गांव के नाम पर और नगर परिषद सीमा के नाम पर राजस्व में कमी होना भी हो सकता है।



                 मामले में अधिकारियों का कहना है कि आबकारी विभाग ऐसे कोई भी पत्र व्यवहार नगर परिषद से नही करता है और नगर परिषद की अधिकारी तो फोन उठाने में भी हिचकिचाती है। 
देखना होगा कि क्या सालों से अंगद के पैर जैसे टिकी इस दुकान पर वर्तमान में सक्रिय और हर पहलू को गौर से देखने वाले कलेक्टर ऋषव गुप्ता क्या एक्शन लेते हैं या इस बार भी यह दुकान पूर्व की स्थिति अनुसार संचालित होती रहेगी। हालांकि कुछ समय पूर्व यह दुकान हाईवे से कुछ दिनों के लिये जरुर दूर हो गई लेकिन ठेकेदारों की मिलीभगत से फिर से हाईवे किनारे स्थित हो गई।




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