कृषि विज्ञान केन्द्र देवास द्वारा सरसों पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया





भारत सागर न्यूज/देवास - कृषि विज्ञान केन्द्र देवास द्वारा विकासखण्ड टोंकखुर्द के ग्राम बरदू में सरसों फसल पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र देवास के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. ए.के.बड़ाया, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के.एस. भार्गव, डॉ. महेन्द्र सिंह एवं तकनीकी अधिकारी डॉ.सविता कुमारी लगभग 150 कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भागीदारी की। कार्यक्रम में केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बड़ाया ने प्रक्षेत्र दिवस के आयोजन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र देवास द्वारा नई-नई प्रजातियों का प्रचार.प्रसार एवं विभिन्न ग्रामों में नई-नई किस्मों की जानकारी दी जाती है। इसके अंतर्गत टोंकखुर्द विकासखण्ड के ग्राम बरदू में सरसों की नई किस्म आर. एच. 725 दी गई। 


                                               साथ ही कृषकों के यहां लगाये गये विभिन्न प्रदर्शनों को भी देखा। डॉ. बड़ाया ने बताया कि टोंकखुर्द विकासखण्ड में जंगली जानवरों एवं विल्ट की बीमारी की गया वजह से चने के रकवे में काफी कमी होती जा रही है। चने की जगह अगर कृषक बंधु सरसों फसल को लगाते हैं तो चने की तुलना में अधिक लाभदायक फसल सिद्ध होगी। कृषि विज्ञान केन्द्र के शस्य वैज्ञानिक डॉ. महेन्द्र सिंह ने सरसों फसल में आने वाली विभिन्न समस्याओं के समाधान की जानकारी दी। डॉ. सिंह ने सरसों के साथ.साथ खरीफ मौसम में सोयाबीन के साथ अन्य फसलों जैसे मक्काए ज्वार अरहर आदि को भी अपनाने एवं उनकी उन्नत कृषि तकनीकी की भी जानकारी दी। उन्होंने खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए समन्वित खेती प्रबंधन अंतर्गत फसलों के साथ बगीचा लगानेए सब्जी खेती करने एवं खेती से संबंधित व्यवसाय जैसे डेयरीए मुर्गी पालन व बकरी पालन आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के. एस. भार्गव ने सिंचाई जल प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा की।



उन्होंने वर्षा जल संचयन हेतु नलकूपए कुएं आदि को रिचार्ज करने पर जोर दिया। साथ ही खेती में उन्नत कृषि यंत्रों के उपयोग पर प्रकाष डाला। साथ ही उन्होंने कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से कृषि यंत्रों को अपनाने के बारे में जानकारी दी।
केन्द्र की तकनीकी अधिकारी डॉ. सविता कुमारी ने खेती में बढ़ते हुए रासायनिक उर्वरकों के नुकसान पर चर्चा करते हुए उन्होंने प्राकृतिक खेती अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए जीवामृत घनजीवामृत एवं जैविक कीटनाषक को अपनाने के बारे में बताया और इनको बनाने की विधि विस्तृत तरीके से समझाई।


सालीडरीडेड संस्था के चेतन ने भी कार्यक्रम में किसानों को संबोधित करते हुए सरसों फसल को अपनाने एवं उसकी तकनीकी के बारे में चर्चा की। कार्यक्रम को सफल बनाने में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनीष कुमार का योगदान रहा।  





Comments

Popular posts from this blog

हाईवे पर होता रहा मौत का ख़तरनाक तांडव, दरिंदों ने कार से बांधकर युवक को घसीटा

होटल कर्मचारी ने दिया ईमानदारी का परिचय, लोटाया पैसों और गहनों से भरा बैग

सज्जन वर्मा के बाद देवास से मनोज परमार का नाम पैनल में