22 जनवरी के दिन अवकाश घोषित हो- अमित राव पवार

श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 



भारत सागर न्यूज/देवास। 500 सालों से भी अधिक के संघर्ष और बलिदानों के बाद प्रभु श्रीराम पवित्र नगरी अयोध्या के अपने यथास्थान पर विराजित होंगे। शायद यह शताब्दी का सबसे बड़ा उल्लास का दिन एवं उत्सव का कारण होगा। सामाजिक कार्यकर्ता और देवास के प्रथम फोटोग्राफर एवं आर्टिस्ट स्व.श्री गणपत राव पवार सा.के पौते अमितराव पवार ने कहा, कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम 14 वर्ष के  वनवास के प्रश्चात अपने घर अयोध्या पधारे थे। तब उनके आतुर में नगरवासियों ने दीपोत्सव मनाकर उनका स्वागत किया था। अब दोबारा हमें हमारे पूर्वजों ने यह अवसर अपने संघर्ष और बलिदानों से दिखाया है। हम वर्तमान पीढ़ी भाग्यशाली है। यह दिन 22 जनवरी 2024 को अपने आराध्य का स्वागत कर दीपावली एक बार पुनःमनाएं।




               संपूर्ण भारत में वर्ष 1990-92 के समय एक उद्घोष गूंजायमान हुआ था। "सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे।" यह वह दौर था,जब पूरे भारतवर्ष से अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के लिए अलग-अलग स्थान से एक आंदोलन के लिए लाखों लोग पवित्र अयोध्या नगरी के उस स्थान पर पहुंचे,जहां प्रभु राम का जन्म स्थान है। हम उस समय का किस्सा आज भी किसी कार सेवक से सुनते हैं,तो कहा जाता है, कि वे लोग भाग्यशाली थे, जो श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के प्रथम चरण 30 अक्टूबर तथा आंदोलन का दूसरा चरण 2 नवंबर 1990 में अयोध्या के उस स्थान पर पहुंचने में कामयाब हुए, जहां आंदोलन का केंद्र था। इसी दौरान कोठारी बंधुओं की शहादत हुई। यह घटनाक्रम फिर 6 दिसंबर 1992 को हुआ जिसमें विवादित ढांचे को कार सेवकों द्वारा ढहा दिया गया। उस स्थान के समीप पहुंच गए,वे लाखों लोगों में से किस्मत वाले थे। बहुत से लोगों को पवित्र अयोध्या नगरी की सीमा के बाहर सैकड़ों किलोमीटर दूर ही रोक दिया गया या गिरफ्तार कर लिया गया था। पूरे देशभर में इस दौरान एक भयभीत करने वाला माहौल तत्कालीन परिस्थितियों के कारण देखने को मिला था।


  उस समय के अनेक लोग मृत्यु को प्राप्त हो गए,जो जीवित है, अब उन्हें अपने साहस व हिम्मत के योगदान के बल पर या यूं कहें कि जिस तरह रामसेतु निर्माण में गिलहरी का योगदान था,उसी प्रकार के उन लाखों लोगों के योगदान के सहयोग से भव्य मंदिर प्रभु श्रीराम का बनते दिख रहा है।जिसका सपना 22 जनवरी को पूरा होने जा रहा है। पूरा विश्व इस दिन के लिए आतुर है। 500 वर्षों से भी अधिक समय तक हिंदू समाज ने श्री रामलला के जन्म स्थान के लिए संघर्ष किया व हजारों से भी अधिक लोगों ने इस पुण्य आंदोलन में अपने प्राणों की आहुतियां दी।


                   इस संघर्ष की गाथा और इतिहास को और अधिक अच्छे से युवा पीढ़ी जान सके इसके लिए इस दिन सरकारी,गैर सरकारी शैक्षिक संस्थाओं,शासकीय महाविद्यालय,अशासकीय विद्यालय,महाविद्यालय में अवकाश घोषित होना चाहिए जिससे कि विद्यार्थी वर्ग एवं युवा वर्ग अपने परिवार के साथ इस दिन को हर्षोल्लास के साथ मना पाए और युवा वर्ग जान सके, कि हमारे पूर्वजों के परिश्रम से आज हम भव्य मंदिर में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा को देख पा रहे हैं। अमित राव पवार ने शासन-प्रशासन से निवेदन किया है,कि इस दिन अवकाश घोषित करें।









Comments

Popular posts from this blog

हाईवे पर होता रहा मौत का ख़तरनाक तांडव, दरिंदों ने कार से बांधकर युवक को घसीटा

7 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ धराये तहसीलदार, आवेदक से नामांतरण के लिये मांग रहे थे रिश्वत ! Tehsildar caught red handed taking bribe of Rs 7 thousand, was demanding bribe from the applicant for name transfer!

फ्रीज में मिली महिला की लाश संबंधी सनसनीख़ेज़ अंधे क़त्ल का 10 घंटे में पर्दाफ़ाश, 5 साल लिव इन में रहने के बाद घोंट दिया पिंकी का गला ! 10 माह से रखा था फ्रिज में महिला का शव !