मानवाधिकार दिवस मनाया, मानव अधिकारों के संरक्षण एवं उन्नति के लिए हमेशा कर्तव्य बद्ध रहने की शपथ दिलाई गई
भारत सागर न्यूज/सीहोर/रायसिंह मालवीय - हर साल की तरह इस साल भी शहर के नशा मुक्ति केन्द्र में श्रद्धा भक्ति सेवा समिति के तत्वाधान में मानव अधिकार दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर दो दिवसीय इस कार्यक्रम के अंतर्गत केन्द्र के संचालक राहुल सिंह के निर्देशानुसार रविवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में संस्था के वरिष्ठ सदस्य एलपी अग्रवाल, बीपी शर्मा, केन्द्र के प्रभारी नटवर कुशवाहा और विकास अग्रवाल आदि मौजूद थे।
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रविवार को दोपहर में आयोजित विचार गोष्ठी में केन्द्र के हितग्राही लंकेश मालवीय, सर्वेश निगम और रविन्द्र मालवीय आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर केन्द्र के प्रभारी कुशवाहा ने भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त, स्वीकृत एवं अंगीकृत अधिकारों की रक्षा कर्तव्य निष्ठा से पूर्ण करने, बिना किसी भेदभाव के सभी मानव अधिकारों का आदर एवं सम्मान करने मानव अधिकारों का उल्लंघन नहीं करने, मानव अधिकारों के संरक्षण एवं उन्नति के लिए हमेशा कर्तव्य बद्ध रहने की शपथ दिलाई गई है।
हर किसी को जीवन का अधिकार है......
विचार गोष्ठी के दौरान केन्द्र में भर्ती हितग्राही मालवीय ने बताया कि हर किसी को जीवन का अधिकार है, लेकिन दुनिया भर के कई देशों में अभी भी नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों के लिए मौत की सजा है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत, सख्त सज़ा केवल सबसे गंभीर अपराधों के लिए ही दी जा सकती है और नशीली दवाओं से जुड़े अपराध इस श्रेणी में नहीं आते हैं। स्वास्थ्य और पर्याप्त जीवन स्तर का अधिकार-प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य और कल्याण के लिए पर्याप्त जीवन स्तर का अधिकार है।
इसमें चिकित्सा देखभाल और सामाजिक सेवाओं तक पहुंच शामिल है। लेकिन जो लोग नशीली दवाओं का उपयोग करते हैं उन्हें हमेशा आवश्यक स्वास्थ्य या सामाजिक सेवाओं तक पहुंच नहीं मिलती है। ऐसा अक्सर कलंक के कारण होता है। जो लोग नशीली दवाओं का उपयोग करते हैं उन्हें उच्च स्तर के कलंक का सामना करना पड़ता है। वास्तव में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अवैध दवा निर्भरता को विश्व स्तर पर सबसे कलंकित स्वास्थ्य स्थिति के रूप में स्थान दिया है। यह उचित देखभाल, निदान और सहायता प्राप्त करने में बाधाएं पैदा करता है। कलंक लोगों को अपमानित और शर्मिंदा भी महसूस करा सकता है।
स्वास्थ्य का अधिकार यह सुनिश्चित करने के बारे में......
इस मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे केन्द्र के वरिष्ठ सदस्य श्री अग्रवाल ने कहा कि सभी के लिए स्वास्थ्य के बिना कोई सम्मान, स्वतंत्रता और न्याय नहीं हो सकता। स्वास्थ्य का अधिकार यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि हर किसी को, हर जगह सस्ती, गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा मिल सके। यह लैंगिक समानता और भोजन, शिक्षा, आवास और सुरक्षित पानी और स्वच्छता तक पहुंच सहित अन्य मानवाधिकारों को हासिल करने पर भी निर्भर है। नस्ल, रंग, लिंग, भाषा, विकलांगता, यौन जातीयता, भौगोलिक स्थिति, धर्म, राजनीतिक या अन्य राय, राष्ट्रीयता या सामाजिक मूल, संपत्ति, सामाजिक आर्थिक या अन्य स्थिति की परवाह किए बिना हर कोई स्वास्थ्य के अधिकार का हकदार है।
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स्वास्थ्य के अधिकार का अर्थ है बिना किसी हस्तक्षेप के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सहित अपने स्वास्थ्य और शरीर को नियंत्रित करने का अधिकार और महिलाओं और लड़कियों के अधिकार। लिंग आधारित हिंसा सहित हिंसा हमेशा स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन है और महिलाओं और बच्चों के जीवन पर इसके गंभीर प्रभाव पड़ता है। स्वास्थ्य के अधिकार का अर्थ है किसी को पीछे न छोडऩा। सभी व्यक्तियों को बिना किसी भेदभाव के स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच हासिल होनी चाहिए, जिसमें यौन नीति, लिंग पहचान और अभिव्यक्ति के आधार शामिल हैं। स्वास्थ्य के अधिकार का अर्थ है सभी स्थितियों में भेदभाव को समाप्त करना। इसका अर्थ है नस्लीय भेदभाव और संबंधित स्वास्थ्य असमानताओं को हल करने में राष्ट्रीय और स्थानीय अधिकारियों का समर्थन करना।
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