गोवर्धन पूजा कर खिलाया जाता है छावड़ा, पड़वा पर अनूठी परंपरा सैकडो सालो से गोवर्धन पूजा कर परंपरा का निर्वहन कर रहे ग्रामवासी

 


भारत सागर न्यूज/भौरासा/चेतन यादव ! ग्राम कुलाला, बुदासा, डकाच्या, सरसोदा में दीपावाली के अगले दिन पड़वा पर यूं तो हर जगह गोवर्धन पूजा की जाती है।  गाय के गोबर से पर्वत की आकृति बनाकर महिलाओं द्वारा उसकी पूजा अर्चना कर खीर पूरी चढ़ाई जाती हैं व मन्नत मांगी जाती हैं कि हमारे घर में सुख समृद्धि आए और हर बीमारी से हमारा गांव सुरक्षित रहे एवं घर में सुख समृद्धि की कामना के लिए समाजजनों द्वारा सैकडो वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। विभिन्न त्यौहारों को परंपराओं के साथ हर्षोल्लास के साथ निभाने के लिए जाना जाता है। दिवाली पर्व के अगले दिन पड़वा को लेकर तो परंपरा काफी विशेष हैं। सभी समाज के लोग पड़वा को धूमधाम से मनाते हैं। समाज की महिलाएं पड़वा के दिन सुबह एक जगह एकत्रित होकर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की अनुकृति बनाती है। 



जिसके बाद हर घर से खीर पूरी और मिठाई भोग लगाने के लिए लाई जाती हैं। इस दौरान खास तौर पर हर घर से एक कुल्हड़ में गाय का दूध भी लाया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि यह दूध पीने से वर्ष भर व्यक्ति निरोगी रहता है। सामुहिक पूजा के बाद समाज के पुरुष हाथो मे धानी और पताशे लेकर गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमा लगाते हैं। ग्रामीणों द्वारा वर्षों से चली आ रही छाबड़ा की परंपरा को निभाते चला रहे है जिसके अंतर्गत गाय को माता का स्वरूप मानकर उसे ग्रामवासियों द्वारा छाबड़ा खिलाया जाता है जिसमे डीजे व ढोल के धून पर नव युवकों द्वारा नाच गाकर छाबड़ा खिलाया जाता है और साथ साथ ग्रामवासियों द्वारा हिढ गाते हुए सभी त्यौहार का आनंद लेते है। इस अवसर पर सभी ग्रामवासी उपस्थित थे। 














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