प्रकरण में जल्दी साक्ष्य कराये जाने हेतु रिश्वत लेने वाले जिला अभियोजन अधिकारी को 4 वर्ष का सश्रम कारावास।
भारत सागर न्यूज/नीमच। श्रीमती सोनल चौरसिया, विषेष न्यायाधीष (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम), जिला-नीमच द्वारा प्रकरण में जल्दी अभियोजन साक्षियों की साक्ष्य कराये जाने हेतु आवेदक से 25000रू. रिश्वत की मांग कर 10000रू. की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकडे जाने वाले तत्कालीन जिला अभियोजन अधिकारी रामरतन पिता किशनलाल चौधरी, उम्र-59 वर्ष, स्थाई निवासी-72 गणेश नगर, खण्डवा रोड़, इंदौर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 एवं 13(1)(बी), 13(2) के अंतर्गत 04-04 वर्ष के सश्रम कारावास एवं कुल 10000रू अर्थदण्ड से दण्डित किया।
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श्री विवेक सोमानी, विशेष लोक अभियोजक द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि आवेदक राजेन्द्र गोलिया, जो कि म.प्र.प.क्षे.वि.वि.कं.लि. में कनिष्ठ अभियंता के पद पर पदस्थ होकर उसके द्वारा पूर्व में मेडिकल बिल पास किये जाने के ऐवज में रिश्वत लिये जाने के संबंध में लोकायुक्त पुलिस द्वारा ट्रेप किया गया था, जिसका प्रकरण माननीय विशेष न्यायालय, भ्रष्टाचार (निवारण) अधिनियम, नीमच में लंबित था, जिसमें शासन की ओर से पैरवी तत्कालीन जिला अभियोजन अधिकारी/विशेष लोक अभियोजक रामरतन चौधरी द्वारा की जा रही थी। उक्त प्रकरण जो कि लगभग 3 वर्षो से न्यायालय में विचाराधीन था, जिसमें जल्दी अभियोजन साक्ष्य कराये जाने हेतु आवेदक राजेन्द्र गोलिया तत्कालीन जिला अभियोजन अधिकारी/विशेष लोक अभियोजक रामरतन चौधरी से मिला, जिनके द्वारा जल्दी-जल्दी अभियोजन साक्ष्य कराने एवं प्रकरण को ठीक ढंग से चलाये जाने हेतु 25000/- रूपये रिश्वत की मांग की गई। आवेदक राजेन्द्र गोलिया रिश्वत नहीं देना चहता था।
इसलिए उसने एक लिखित शिकायत आवेदन पत्र तत्कालीन जिला अभियोजन अधिकारी/विशेष लोक अभियोजक रामरतन चौधरी पर कार्यवाही किये जाने हेतु विपुस्था कार्यालय, उज्जैन में दिया। इस संबंध में पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त द्वारा इस संबंध में कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया, जिस पर से लोकायुक्त पुलिस द्वारा कार्यवाही करते हुए डिजीटल वाईस रिकार्डर के माध्यम से आवेदक व आरोपी के मध्य रिश्वत लेनदेन की बातचीत को रिकार्ड किया गया, जहां पर आरोपी व आवेदक के मध्य 20,000/- रूपये रिश्वत लेकर प्रकरण में जल्दी साक्ष्य कराये जाने की बात तय हुई थी।
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जिसकी प्रथम किश्त 10000/- रूपये लेकर दिनांक 21.08.2019 को आरोपी ने आवेदक को जिला न्यायालय परिसर में स्थित जिला अभियोजन कार्यालय में बुलाया था। इसके पश्चात् अपराध को पंजीबद्व किया जाकर विधिवत ट्रेप आयोजित किया गया एवं दिनांक 21.08.2019 को आरोपी तत्कालीन जिला अभियोजन अधिकारी/विशेष लोक अभियोजक रामरतन चौधरी को जिला न्यायालय परिसर में स्थित जिला अभियोजन कार्यालय में से 10000रू. की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड कर माननीय विशेष न्यायालय, भ्रष्टाचार (निवारण) अधिनियम, नीमच के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जहा से उन्हे जेल भेज दिया गया था। लोकायुक्त पुलिस द्वारा मौके की समस्त कार्यवाही कर वापस लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन आकर शेष आवश्यक अनुसंधान उपरांत अभियेग पत्र विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988) नीमच में प्रस्तुत किया गया।
श्री विवेक सोमानी, विशेष लोक अभियेजक द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान आवेदक, ट्रेपदल के सदस्य, पंचसाक्षी व विवेचक सहीत सभी महत्वपूर्ण गवाहों के बयान कराते हुए अपराध को संदेह से परे प्रमाणित कराकर आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किए जाने का निवेदन किया गया। जिस पर से माननीय विशेष न्यायालय द्वारा आरोपी को उपरोक्त दण्ड से दण्डित किया गया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी श्री विवेक सोमानी, विशेष लोक अभियोजक द्वारा की गई।
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