देवबड़ला में भूतड़ी अमावस्या पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब......
भारत सागर न्यूज/सीहोर/रायसिंह मालवीय - मां नेवज नदी के उद्गम स्थल व पुरातात्विक धरोहर देवांचल धाम देवबड़ला बीलपान में अमावस्या एवं तीज त्योहार पर बड़ी संख्या में दुरदराज से आते हैं श्रद्धालु मंदिर समिति के अध्यक्ष ओंकार सिंह भगत जी ने बताया आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या, महालया अमावस्या, पितृ अमावस्या और पितृ मोक्ष अमावस्या, भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है। इस बार यहां अमावस्या शनिवार के दिन पढ़ने से शनिचरी अमावस्या भी कहलाई है। पुरातत्व विभाग स्मारक इंचार्ज कुंवर विजेन्द्र सिंह भाटी ने बताया विंध्याचल पर्वत श्रेणी के नाभी स्थल साधु संतों की तपोभूमि देवबड़ला में बाबा बिलकेश्वर महादेव की महिमा निराली है, जो भी भक्त यहां पर सच्ची श्रद्धा भक्ति से आता है।
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उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है मंदिर प्रांगण में बना हुआ प्राचीन कुंड यहां की शोभा बढ़ाता है। इस कुंड में मां नेवज नदी का शीतल जल हमेशा ही रहता है। इस जल से स्नान करने से रोग दोष नष्ट हो जाते हैं। अमावस्या के शुभ अवसर पर क्षेत्र से बड़ी संख्या में पडियार पंडा पुजारी व श्रद्धालु यहां पर स्नान करने आते हैं। यहां स्नान करने के पश्चात बाबा बिल्लकेश्वर महादेव के जल अभिषेक कर क्षेत्र की सुख शांति के लिए मंगल कामनाएं करता है और अपने आप को भाग्यशाली मानता है कि उसने इस क्षेत्र में जन्म लिया है। पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई में निकली ब्लैक स्टोन की प्राचीन व दुर्लभ मूर्तियां एवं अद्भुत कलाकृति से उकेरी गई। नक्काशीया एवं मंदिरों के पुनर्निर्माण को देखकर यहां आया हुआ। हर श्रद्धालु खुशियों से झूम उठता है, मन प्रफुल्लित हो जाता है। यहां की कलाकृति को हर कोई अपने मोबाइल में कैद करके ले जाता है।
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