क्या प्रदीप चौधरी देवास विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट फाइनल और जीत फाइनल की पूर्ण तैयारी में है?

आखिर क्या कीमत चुकानी पड़ सकती है, प्रदीप चौधरी को, वर्षों से जमीं स्थानीय कांग्रेस सहित देवास विधायक व उनके पुत्र के विरुद्ध प्रचार प्रसार और बोलने की?



देवास/पंडित अजय शर्मा -  कुछ भी कहो पर देवास की राजनीति में स्थानीय कांग्रेस व भाजपा के जिम्मेदारों का दिन प्रतिदिन बडता अहम और  गिरता स्तर बद से बद्तर होते देख आम जनता-जनार्दन मतदाताओं मे खामोशी किसी बड़े तूफान के पहले का संकेत है। 
               हालांकि देवास में वर्ष 2019 चुनाव बाद अल्पायु कांग्रेस सरकार ने ही स्वार्थी अहम  की हठधर्मिता से राजनीतिक स्तर को गिराने में मुख्य भूमिका निभाई थी जो धीरे-धीरे बढ़ती ही गई और अब तो देवास में स्थानीय भाजपा व कांग्रेस की अहंकार भरी स्वार्थी नूराकुश्ती तो सारी हद ही पार करती जा रही है। वर्ष 2022 के निगम चुनाव से तो मानो देवास राजनीति में जिम्मेदारों ने अपने राजनीतिक जीवन से  स्तर शब्द को ही खत्म करने पर अमादा है। यहां तक कि आपसी नूराकुश्ती के साथ आपसी सेटिंग और दूसरे-तीसरे किसी भी कार्यकर्ताओं को जनहित और पार्टी हित में  सकारात्मक परिवर्तन कार्य ना करने देने से भी नीचे उतर आये। अपना स्वार्थ पूर्ति अहम भरा राजनीतिक वर्चस्व ,संरक्षण और सांठगांठ को मजबूत करने के आड़ में पार्टी गाइड लाइन के विरुद्ध और आम जनमानस कि आस्था व जनभावनाओं को भी कुचलकर  अपनी स्वार्थी राजनीति को अंग्रेज व मुस्लिम आक्रांताओं विधर्मियों के नक्शे कदम पर लाकर खड़ी कर दी तो भी सबूरी नहीं है। जनता प्रदेश के साथ देवास में भी केंद्र सरकार का हस्तक्षेप चाहती है।


                    देवास कांग्रेस में जनसेवा,समाज सेवा और पूर्ण सनातनी धार्मिक आयोजन कर्ता सहित युवा नेताओं में सुमार प्रदीप चौधरी  के द्वारा निकाली गई प्रदेश कि दूसरी सफल  एतिहासिक विशाल कावड़ व कलश यात्रा से राजनीतिक संकेत स्पष्ट मिल रहें हैं। कि देवास में स्थानीय कांग्रेस के गढ़ में मंडराने वाले राजनीतिक जानकारों और राजनीतिक दलालो से प्राप्त जानकारी अनुसार देवास कि स्थानीय कांग्रेस में स्थानीय भाजपा के अप्रत्यक्ष सहयोग से दो फार्मूले पूर्ण अतिविश्वास के साथ तैयार हो गये हैं।

               फार्मूला नंबर एक में ये बताया है कि प्रदीप चौधरी की टिकट हरहाल में कैंसिल करवाने कि पूरी जुगाड लगा दी है लोगों ने। 


                 और फार्मूला नंबर दो भी पूर्ण रुप से तैयार हो गया है कि यदि किसी कारणवश या आपात स्थिति में प्रदीप चौधरी टिकट ले भी आए, तो प्रदीप चौधरी को हराने कि  पूरी बिसात भी तैयार हैं। जो तैयारी स्थानीय कांग्रेस ने ही भाजपा के अप्रत्यक्ष सहयोग से कर रखी है। ये दोनों जानकारी व फार्मूले कितने सत्य होंगे, वो समय के गर्भ में है!

                अब यहां भी स्थानीय कांग्रेस व भाजपा द्वारा मिलकर प्रदीप चौधरी को राजनीतिक रास्ते से हमेशा के लिए हटाने के भी दो कारण  बताये जा रहे हैं कि प्रदीप चौधरी वर्षों से जमीं स्थानीय कांग्रेस के गढ़ व वर्षों से जमी स्थानीय भाजपा के गढ़  दोनों के ही राजनीतिक सेहत, आपसी नूराकुश्ती के लिए हानिकारक साबित होते जा रहे हैं ।


                 नंबर एक कारण ये बताया जा रहा है कि प्रदीप चौधरी स्थानीय भाजपा के गढ़ में वर्ष 2020 के प्रथम लोकडाउन में बायपास पर कर रहे जनसेवा के समय से ही विवादित हैं। प्रदीप चौधरी ने वर्ष 2021 में द्वितीय लाकडाउन के समय भी चौधरी ने जनता के लिए आए आक्सीजन के  फ्री सरकारी सिलेंडर भी विधायक के लोगों द्वारा पैसा लेकर बेचने का विडियो के माध्यम से और प्रेसवार्ता लेकर पूर्ण प्रेस नोट के साथ अपनी बात सही प्रमाणित करते हुए मीडिया में खुब सुर्खियां बटोरी थी।


            उसके बाद कोरोना काल में जब श्मशान कम पड रहे थे तब विकास नगर और बावडिया का श्मशान जो मुख्य एबी रोड से लगा हुआ था, को निगम द्वारा तोडा गया था।जो स्थानीय कांग्रेस व भाजपा के दलालों के द्वारा जवेरी राम मंदिर कि भूमि नियम विरूद्ध खरीद फरोख्त कर रखी है। जो आज उस मैन रोड कि भूमि कि कीमत श्मशान कि वजह से कम होती देख नियम विरूद्ध जबरन अवैधानिक तरीके से बने भूस्वामी जो राजनीतिक दलालों कि भूमिका में हैं।इनकी सिफारिश व आर्थिक लालच में तात्कालिक प्रोजेक्टर कलेक्टर चंद्र मौली शुक्ला और डिजाइनर आयुक्त विशाल सिंह चौहान ने नगर निगम कि टीम भेजकर श्मशान का टीन शेड आदि तोड़कर श्मशान को खत्म कर दिया था।जो आपदा काल में स्थानीय लोगों कि परेशानी गंभीर चिंतनीय और दयनीय होते देख प्रदीप चौधरी ने ही जनहित में पुरजोर विरोध किया तब भी चौधरी पर औद्योगिक थाने पर एफ आई आर दर्ज होकर गिरफ्तार भी किया गया था।और  तत्पश्चात प्रदीप चौधरी कि महनत रंग लाई। श्मशान शुरु हुआ।

              तत्पश्चात प्रदीप चौधरी ने कोरोना कि भयाभय और दयनीय आपात स्थिति को देखते हुए जनहित में कैसे भी पैसे कि व्यवस्था कर एक एंबुलेंस खरीदकर तुरन्त सरकारी अस्पताल में जिला स्वास्थ्य अधिकारी व जिला कलेक्टर को जनता के लिए फ्री सेवा के लिए सौंप दी। 


                 इतना ही नहीं बल्कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा देवास में दो ब्रिज बनाए जाने कि मंजूरी के साथ फंड भी मंजूर हुआ। जो अल्पायु कांग्रेस सरकार में मंत्री सज्जन वर्मा ये सौगात लेकर आए थे एसा बताया जाता है।

              लेकिन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा पास इन दोनों ही ब्रिज कि डिजाइन देवास के स्थानीय कांग्रेस के गढ़ और स्थानीय भाजपा के गढ़ ने अपने अपने प्रतिष्ठान बचाने के लिए दोनों ही ब्रिज कि डिजाइन व साईज और स्थान सब बदल दी। फिर आम जनता में बदले हुए ब्रिज निर्माण कार्य कि शुरूआत नपती करते देखा तो दोनों ब्रिज का आम जनता-जनार्दन मतदाताओं व स्थानीय दुकानदारों व्यापारियों ने रोड घेरकर विरोध किया। तो स्थानीय कांग्रेस के गढ़ से नूराकुश्ती कि शुरुआत एक प्रेस नोट से शुरू हुई मिडिया में आये । लेकिन तभी लोगों ने अपनी समस्या प्रदीप चौधरी को सुनाई तो प्रदीप चौधरी ने फिर से जनहित में मोर्चा संभाला और निर्माण स्थल पर धरना प्रदर्शन, ज्ञापन, शिकायत आदि से प्रशासन कि नींद उड़ाई।


                    तो प्रदीप चौधरी कि जनहित में बढ़ती हुई लोकप्रियता को स्थानीय कांग्रेस के गढ़ में अपनी वर्षों से जमीं मोनोपली नूराकुश्ती कि पोल जनता को समझ आने लगी तो अपनी साख बचाने के लिए ताबड़तोड़ पार्टी गाईड लाईन के विरुद्ध और नियमों को ताक पर रखकर एक अनुशासन समिति बनाई और उस समय जो लोग इनकी नूराकुश्ती का भांडा फोड़ समिति के सक्रिय कार्यकर्ता जो आमजनता में अपनी व पार्टी कि लोकप्रियता बड़ा रहे थे जिनमें मुख्य भूमिका में प्रदीप चौधरी व पंडित रितेश त्रिपाठी ही थे इनके साथ लक्की मक्कड़ जैसे अन्य कार्यकर्ताओं को अनुशासन समिति का जिन्न दिखाकर डराकर प्रदीप चौधरी और पंडित रितेश त्रिपाठी सहित अन्य जमीनी कार्यकर्ताओं को घर बैठने के लिए मजबूर कर दिया था।
किंतू थोड़े दिन बाद ही प्रदीप चौधरी और पंडित रितेश त्रिपाठी अपने आका पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खास समर्थक होने से उनकी जानकारी में देकर फिर अपनी पार्टी कि साख मजबूत करने में मैदान पकड़ लिया। जो आज 2023 विधानसभा चुनाव में दो-दो हाथ आजमाने कि पूरी तैयारी में हैं।  


                   ठीक उसी तरहां वर्तमान में भी जुआ सट्टा,हाजिर,  ताश , अवैध शराब व अन्य नशीले मादक पदार्थों गांजा चरस अफीम ब्राउन शुगर ड्रग्स एमडी सहित समस्त नशा एवं सभी अवैध व गैर कानूनी व्यवसाय को विधायक का संरक्षण शोसल मिडिया पर समय समय पर चौधरी द्वारा फोटो व स्लोगन सहित पोस्टर और विडियो जारी कर सार्वजनिक रूप से प्रमाणित किया जाता रहा है। जो भाजपा के गढ़ में नागवार गुजरी।

          कारण नंबर दो में  बताया जा रहा है, कि वर्षों से जमे स्थानीय कांग्रेस के मठाधीशों कि आम जनता व वरिष्ठ नेताओं के सामने पोल खुलने कि  शुरुआत पंडित रितेश त्रिपाठी और प्रदीप चौधरी के द्वारा जनता के बीच जनहित व पार्टी हित में कार्य करने कि शैली व क्षमता अधिक सक्रियता आम मतदाताओं में  इनकी बढ़ती लोकप्रियता स्थानीय कांग्रेस के गढ़ में अखरना शुरू होने लग गयी थी। 


             तो एक बार तो उसी समय स्थानीय कांग्रेस के मठाधीशों ने अपनी हुकूमत डगमगाने के डर से ताबड़तोड़ पार्टी गाईड लाईन व नियमों के विरुद्ध एक अनुशासन समिति का गठन किया।जल्द बाजी में समिति में पदाधिकारी मंडल भी विवादित ही बनाये गये । और अनुशासन समिति का जिन्न दिखाकर डराकर प्रदीप चौधरी और पंडित रितेश त्रिपाठी को डराकर दबाकर घर बैठने  के लिए विवश कर दिया था। 
लेकिन कुछ समय बाद ही प्रदीप चौधरी वापस जनसेवा और धार्मिक आयोजनों के माध्यम से स्थानीय कांग्रेस के साथ अपनी उपस्थिति दर्शाते हुए, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खास समर्थक पंडित रितेश त्रिपाठी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के संपर्क में आने से प्रदीप चौधरी का अनुशासन समिति के जिन्न का डर निकल गया। इतना ही नहीं बल्कि पंडित रितेश त्रिपाठी ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समक्ष प्रदीप चौधरी के प्रस्तावक भी बने और चौधरी का पक्ष भी बजनदआरई रखा। और प्रदीप चौधरी दुगनी ताकत से मैदान में उतर गये। यहां तक कि देवास विधानसभा से अपने आपको प्रत्याशी मानकर धुंआधार जनसमपर्क अभियान भी स्थानीय  कांग्रेस के गढ़ में गंभीर बैचेनी पैदा कर नींद उडा रही है।


            तो वहीं स्थानीय भाजपा के गढ़ में भी  ऐसा खुलकर सामने आने वाला विपक्ष अपने रुतबे के विरुद्ध भारी पड़ता देख हमेशा कि तरह जल्दबाजी में सत्ता का पावर दिखाने का मौका नहीं छोड़ा।और हठधर्मिता के उसी सीमा को पार कर दी जो दोनों ब्रिज निर्माण में और निगम चुनाव में विवादित पार्षद प्रत्याशियों को  टिकट दिलवा कर जीताने तक खूलेआम की थी। 

           किंतु अबकी बार मामला सर्व सनातन हिन्दू धर्मावलंबियों कि आस्था भगवान श्री महादेव शंकर शंभू भोलेनाथ का था।, वो भी अधिक मास व सावन माह में कावड़ यात्रा व कलश यात्रा के फोटो वाले फ्लेक्स बैनर होर्डिंग पोस्टर कट-आउट सब निगम द्वारा स्वच्छता कि आड़ में निकलवा कर नष्ट करना भारी पड़ता नजर आ रहा है।


अब आगे बड़ा नुक़सान स्थानीय देवास कांग्रेस को ना हो इसलिए प्रदीप चौधरी कि राजनीतिक भ्रुण हत्या करने के लिए स्थानीय कांग्रेस व स्थानीय भाजपा दोनों साथ-साथ मिलकर चौधरी को घर  पहुंचाओ अभियान में लगे हैं।

अब देखना यह होगा कि क्या प्रदीप चौधरी देवास विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट फाइनल और जीत फाइनल कि पूर्ण तैयारी में है? या आखिर क्या कीमत चुकानी पड़ सकती है, प्रदीप चौधरी को, वर्षों से जमीं स्थानीय कांग्रेस सहित देवास विधायक व उनके पुत्र के विरुद्ध प्रचार प्रसार और बोलने कि? जो समय के गर्भ में है।















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