देवास में फरार जूनियर शहर काजी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सर्व हिन्दू समाज पहुंचा एसपी ऑफिस, दिया ज्ञापन और हनुमान चालीसा का किया पाठ !
’मुस्लिम समाज के शिक्षाविदों बुद्धजीवीयों ने बताया कि फरार आरोपी काजी अबुल कलाम पिता सलीमुद्दीन काजी आदतन जिहादी मानसिकता का अवैधानिक स्वयं भू जबरन काजी है।’
भारत सागर न्यूज /देवास/पंडित अजय शर्मा/-। देवास में विगत दिनों देवास शहर जूनियर काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन द्वारा दलित युवक को गाली-गलौज कर जान से मारने की धमकी दी गई थ्ी और जान से मारने के लिए अपनी लाइसेंसी पिस्टल से दिन दहाड़े गोलीबारी करने के मामले में सर्व हिंदु समाज ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय पंहुच कर ज्ञापन दिया। ज्ञापन के साथ समाज के लोगों ने कार्यालय में हनुमान चालिसा का पाठ भी किया। बता दें काजी द्वारा युवक पर पिस्टल से फायर का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसमें काजी फायर करता हुआ उसके पीछे भागा, जिससे दलित युवक बामुश्किल अपनी जान बचाने में सफल हुआ। इस घटना के बाद शहर में डर भय और साम्प्रदायिक तनाव का खौफनाक माहौल पैदा हुआ।
लेकिन हिंदू संगठनों सहित समग्र हिंदू समाज की सहनशीलता ने अपनी सनातनी भारतीय संस्कृति अनुसार संविधान कानून का सच्चा सम्मान करते हुए कानून अपने हाथ में ना लेकर मधुमिलन चौराहा पर एकत्रित होकर संविधान अनुसार धरना प्रदर्शन कर पुलिस प्रशासन से आरोपी काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन काजी के द्वारा निर्दोष दलित युवक पर किये गये कातिलाना हमले की आम नागरिकों की भांति संविधान व कानून के अनुसार वैधानिक गंभीर धाराओं में अपराध पंजीबद्ध कर आरोपी को गिरफतार कर आम व्यक्ति अनुसार सलाखों के पीछे पहुंचने का आग्रह किया। जिससे संविधान व कानून पर आम जनता-जनार्दन का विश्वास सुदृढ़ हो, देवास में शांति सद्भाव भाईचारा बना रहे।
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और पुलिस प्रशासन ने भी साजिस के तहत काजी अबुल कलाम द्वारा शांति प्रिय सद्भाव भाईचारे को बिगाड़ने और हिंदू संगठनों कि पुलिस प्रशासन को सहयोगी सद्भावना को न्यायसंगत देखा तो कानूनी तरीके से आरोपी काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन के विरुद्ध नियमानुसार विभिन्न गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। इस बात की भनक लगते ही काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन फरार हो गया और फरार आरोपी अबुल अपनी अग्रिम जमानत याचिका दायर करने में सफल हुआ लेकिन काजी की गंदी नियत व विवादित मानसिकता और पूर्व के रिकार्ड देखते हुए और प्रकरण में धाराओं की गंभीरता और जमानत से आरोपी द्वारा देवास में फिर से खतरा उत्पन्न होने की स्थिति को भांपते हुए माननीय न्यायालय ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
हालांकि आरोपी काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन के परिवार सहित आरोपी काजी की मानसिकता से प्रभावित विघ्नसंतोषी, विघटनकारी, अवसरवादि, जिहादी और इस प्रकार की आतंकी विचारधारा के अन्य लोगों को भी पिस्टल व हथियारों के लायसेंस बनवाने और प्रदेश के सभी राजनीतिक पार्टियों के सांसद मंत्री सहित मुख्य मंत्री से मुलाकात कर संरंक्षण दिलाने का कार्य भी देवास में वर्षों से अपने आप को हिंदु वादी नेताओं के नाम से प्रचलित करवाने वाले जयचंदो के द्वारा ही किया गया है, जो सर्व विदित है।
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यहां तक कि वर्तमान में भी फरार आरोपी काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन को इतने खतरनाक कुकृत्य के बावजूद भी उन्हीं हिंदुवादी नेताओं के साथ चुनाव नजदीक होने से वोट बैंक की झूठी राजनीति करने वाले सर्वकाम समावेशी रोजगार विकास की बात करने वाले स्थानीय भाजपा के नेताओं का भी पूर्ण संरक्षण प्राप्त होने से पुलिस प्रशासन फरार आरोपी काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन का ठिकाना मालूम होने के बावजूद भी गिरफतार करने में मजबूरी वश असफल होने की शर्मिंदगी झेल रहा है।
गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज होने के उपरांत भी शहरकाजी अबुल कलाम कोखबर लिखे जाने तक पुलिस गिरफ्तार नही कर पाई है। धारा 307 के आरोपी काजी अबुल कलाम के शीघ्र गिरफ्तारी की मांग को लेकर शुक्रवार को सर्व हिंदू समाज के लोग स्थानीय चामुंडा काम्पलेक्स परिसर में एकत्रित हुए। वहां से रैली के रूप में एसपी कार्यालय पहुंचे। एसपी कार्यालय परिसर में हनुमान चालीसा का पाठ कर एसपी संपत उपाध्याय को ज्ञापन सौपते हुए फरार आरोपी काजी अबुल कलाम की गिरफ्तारी की मांग की है। ज्ञापन में बताया कि आरोपी काजी अबुल कलाम पिता सलीमुद्दीन निवासी खारी बावड़ी पूर्व में कई बार देवास में सांप्रदायिक विष घोलने का कार्य कर चुका है। लेकिन राजनीतिक एवम प्रशासनिक आशीर्वाद होने के कारण काजी के हौसले और बड़ गए हैं। पिछले दिनों काजी द्वारा एक दलित समाज के निर्दोष युवक पर अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से जान से मारने कि नियत से गोलीबारी फायर किया गया।
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इतना ही नहीं बल्कि फरार आरोपी काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन ने देवास शहर के मुस्लिम समाज के लोगों और स्थानीय भाजपा व स्थानीय कांग्रेस व अन्य राजनीतिक पार्टियों के भी मुस्लिम पार्षद व पदाधिकारी नेताओं को अपनी झूठी मनगढ़ंत भावना भड़काऊ कहानी सुनाकर मुस्लिम समाज के सैंकड़ों लोगों कि भीड़ एकत्रित कर औद्योगिक क्षेत्र थाने पर पुलिस से हुज्जत करते हुए शहर कि फिंजा बिगाड़ने कि बात भी कही। और साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों का संरक्षण का दवाब बनाकर अपनी दूसरी पत्नी को ढाल बनाकर मनगढ़ंत असत्य आधार पर अपराध पंजीबद्ध करवाने में फरार आरोपी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन अपनी वैमनस्यता विचारधारा में सफल हुआ।
अब यहां ये बताना भी आवश्यक है कि फरार आरोपी काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन काजी ने पुलिस पर राजनीतिक दवाब के साथ साथ फिंजा बिगाड़ने सहित मुस्लिम समाज की ताकत का इतना बड़ा दवाब बनाया कि पुलिस को थाने पर काजी अबुल की पत्नी कीअनुपस्थिति के बावजूद भी उसकी पत्नी को फरयादी बनाकर फर्जी तरीके से अपनी सामाजिक ताकत दिखाते हुए प्रकरण दर्ज करवाया। इतना ही नहीं बल्कि फरार आरोपी काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन काजी की पत्नी के हस्ताक्षर के लिए भी उसी समय थाने से दो पुलिस जवान आरोपी अबुल की दूसरी पत्नी के घर जाकर रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करवा कर लाए। तो सोचो पुलिस पर कितना ख़तरनाक दवाब बनाया गया होगा? ये पुलिस प्रशासन के लिए गंभीर चिंतनीय विषय है।
आरोपी पर गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज होने के बाद भी वह फरार है। जिसे जल्द पकड़ा जाए। सर्व हिंदू समाज द्वारा ज्ञापन में अन्य कई बिंदुओं का भी उल्लेख किया गया। माखन सिंह राजपूत एवं दिलीप बांगर ने बताया कि शहर काजी अबुल कलाम की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हमने एसपी को ज्ञापन सौंपा है। हमे एसपी ने काजी को जल्द पकडऩे का आश्वासन दिया है। यदि सात दिनों में फरार काजी गिरफ्तार नही हुआ तो सर्व हिंदू समाज फिर सड़क पर उतरेगा। जिसकी समस्त जवाबदारी पुलिस प्रशासन की रहेगी। इसके पहले सर्व समाज के लोगों द्वारा देश के प्रति अपना बलिदान देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई।
’मुस्लिम समाज के शिक्षाविदों बुद्धिजीवीयों ने बताया कि फरार आरोपी काजी अबुल कलाम पिता सलीमुद्दीन काजी आदतन जिहादी मानसिकता का अवैधानिक स्वयं भू जबरन काजी है।’ देवास शहर के मुस्लिम समाज के अमन चैन पसन्द बुद्धिजीवी, शिक्षाविदों और वरिष्ठ पत्रकारों ने बताया कि बात-बात पर संविधान बचाने की दुहाई देकर छाति पीटने वाले ठेकेदारों को ये भी ज्ञात होवे, कि देवास में कभी भी काजी एक्ट 1880 का 12 वां अधिनियम 1980 की धाराओं के तहत राज्य शासन प्रशासन को नियमानुसार काजी बनाने का अधिकार है। देवास में वैधानिक शिक्षित , कजा़त एहतमाम का क़ाबिल वैधानिक काजी ही नहीं रहा है। देवास जिला हमेशा ही वैधानिक काजी विहीन रहा है यहां तक कि हर एक दो या ज्यादा से ज्यादा तीन वर्ष में काजी बदलने का प्रावधान होने के बावजूद भी एक ही परिवार द्वारा स्वयं भू जबरन अधिग्रहण किया हुआ है।
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देवास में पूर्व से आज तक अवैधानिक स्वयंभू काजीयों का ही कजा़त पर जबरन कब्जा रहा है। यहां तक कि विगत कई दशकों से तो देवास कि दोनों रियासतों जिसमें देवास सीनियर शहर कजात और देवास जूनियर शहर कजात पर राजनीतिक संरक्षण और अवैधानिक गतिविधियों के तरीके से आए फंड से एकत्रित धनबल के दम पर दोनों कजा़त पर अपनी खानदानी पुस्तैनी जायदाद समझकर समाज को राजनीतिक भय और गैर मुस्लिम समाज का भय दिखाकर डराकर दबाकर इन्होंने कजा़त पर अवैधानिक तरीके से स्वयंभू काजी बनकर जबरन कब्जा कर रखा है। जो मुस्लिम समाज के संज्ञान में है।
यहां तक कि स्टेट के राजा महाराजाओं द्वारा काजी पद पर आसीन व्यक्ति के भरण पोषण करने के लिए समाज की तरफ से कुछ भूमि उनकी कजा़त में दी गयी। तो समाज की उस कजा़त भूमि को भी अवैधानिक काजीयों ने भूमाफिया बनकर करोड़ों रुपए में बेचकर मुस्लिम समाज को अपमानित किया है। जिससे मुस्लिम समाज में भी अंदरुनी आक्रोश पनप रहा है। यहां तक कजा़त भूमि को काजी द्वारा बेचे जाने को गंभीरता से लेते हुए वक्फ बोर्ड द्वारा अवैधानिक काजी इरफान अहमद असरफी पर मुकदमा भी चलाया जा रहा है जो सर्व विदित है।
इसमें शहर सीनियर कजा़त पर अवैधानिक स्वयं भू जबरन काजी इरफान अहमद असरफी के पिता अवैधानिक स्वयंभू जबरन काजी निसार अहमद ने अपनी हुकूमत जमाकर पुत्र इरफान अहमद असरफी को काजी बनाया। अब इरफान अहमद असरफी अपने पुत्र नोवान को नायब काजी बनाकर अब अवैधानिक स्वयंभू जबरन काजी बनाने में लगभग सफल रहे हैं। जो सर्वविदित है।
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इसी कड़ी में पूर्व अवैधानिक स्वयंभू जबरन दिवंगत काजी सलीमुद्दीन के दो पुत्र थे । इसमें से एक पुत्र इमरान और दूसरा पुत्र अब्दुल कलाम है।पूर्व दिवंगत काजी सलीमुद्दीन ने अपने दोनों पुत्र में से एक पुत्र अबुल कलाम को काजी बनाया जो उनके रहते नायब काजी रहा और बाद में उनके नहीं रहने दिवंगत होने के बाद काजी बन बैठा । और दिवंगत काजी सलीमुद्दीन ने अपने दूसरे पुत्र इमरान को तात्कालिक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक स्वर्गीय ठाकुर राजेंद्र सिंह बघेल की अनुशंसा पर पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान लोकसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने बी फार्मेसी में एडमिशन दिलवाकर एक बड़ी कंपनी में नौकरी दिलवाई गयी थी,। बताया ये भी जा रहा है कि वर्तमान में इसके द्वारा डीआईसी की एक औद्योगिक क्षेत्र की जमीन भी ली गई है।
और बताया कि पूर्व अवैधानिक स्वयंभू जबरन काजी दिवंगत सलीमुद्दीन के बड़े पुत्र काजी अबुल कलाम ने सन 2012 में 12 बोर राइफल का लाइसेंस लिया, सन 2016 में स्वजातिय समाज सेवि फरियादियों ने एक रिपोर्ट धारा 294,323,506/34 , में पंजीबद्ध कराई जिसमें अवैधानिक स्वयंभू जबरन काजी अबुल कलाम सहित 17 अन्य लोग जिसमें (अशरफ घोसी, अब्दुल रऊफ कोहिनूर, आबिद नगाड़ा, सबरेज, अफजल राणा, इरफान शेख, शाहिद मोदी, तारीख शेख ,साजिद नगाड़ा, जाफिरुद्दीन मौलाना ,हाफिज मंसूरी, इकबाल घोसी, असलम कसेरा, रियाज शेख, सलीम शेख, यामीन शेख, इमरान कसेरा आदि) अन्य के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज कराया जिसमें यह कहा गया कि फरियादी नमाज पढ़ने के लिए ईदगाह मस्जिद पर गया था ।और फरियादी के साथ उपरोक्त लोगों ने मारपीट की।, क्योंकि फरयादी सूफी विचारधारा के थे और मुस्लिम नौजवानों को कट्टरपंथ जिहादी और आतंक की विचारधारा से रोकना था। , फरयादी को उक्त आरोपियों द्वारा नमाज पढ़ने से रोका गया और फरयादी के साथ मारपीट की गई, इस प्रकार यह प्रकरण काजी पर दर्ज हुआ,। जो समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ। सर्वविदित है ।
इसी प्रकार जिहादी मानसिकता से ग्रस्त विघ्नसंतोषी विघटनकारी अवसरवादि विचारधारा का मास्टरमाइंड काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन सन 2016 में ही देवास में मालीपुरा में एक उपद्रव हुआ जिसमें पुलिस द्वारा तलाशी लेने पर मस्जिद में अबुल काजी के साथ में जिंदा बम जप्त हुए इस प्रकरण में भी अपराध क्रमांक 44/2016 एक मुकदमा दर्ज हुआ जिसमें 16 नंबर पर फरार आरोपी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन काजी की नामजद रिपोर्ट दर्ज हुई थी किंतु धनबल और राजनीतिक जयचंदो दलालो के संरक्षणवाद के दवाब के कारण जांच में काजी का नाम हटाया गया, जिसका प्रमाण आज भी एफआईआर रिपोर्ट मौजूद है। जो मिडिया में छाया जो सर्वविदित है।
हालांकि सन 2019 में भी पिस्तौल के लाइसेंस के संबंध में भी आपत्ति पत्र लिखा गया।, किंतु पुलिस का प्रतिवेदन प्राप्त नहीं होने से उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।, जो भी सर्वविदित है।
वर्तमान के प्रकरण में इसी पिस्टल से एक दलित युवक को मारने की नियत से गोलीबारी करते हुए युवक के पिछे भागते हुए कई फायर किये। जो फरार आरोपी काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन काजी ने अपनी विघ्नसंतोषी विघटनकारी अवसरवादि विचारधारा और जिहादी मानसिकता से अपनी धाक जमाने और शहर में अपना खौफ पैदा करने की कोशिश की गई। अभी एक दो वर्ष पूर्व ही किसी पैसे से सक्षम लड़की से दूसरी शादी करके इस दूसरी बीवी को सिल्वर पार्क स्थित एक मकान में रखवाया है। जोभी सर्वविदित है।
इतना ही नहीं बल्कि फरार आरोपी काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन काजी द्वारा पूर्व में भी शासकीय कार्य में बाधा डालते हुए तहसीलदार रही पूनम तोमर को भी धमकी भरे अपशब्दों का प्रयोग करते हुए शहर की फिंजा बिगाड़ने की धमकी देकर मस्जिद में भड़काऊ भाषण भी दिया। जो थाना कोतवाली पर राजनीतिक संरक्षण और दवाब के कारण प्रकरण पंजीबद्ध नहीं किया गया। जो मिडिया कि सुर्खियों में आया जो सर्वविदित है।
फरार आरोपी काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन काजी भू-माफियाओं से सांठगांठ कर अवैध तरीके से अवैध कालोनियां काटी गयी जिसके संबंध में नगर निगम देवास द्वारा नाहर दरवाजा थाना पर फरार आरोपी काजी अबुल कलाम के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध करवाने का आवेदन दिया था जो आज तक राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण से प्रकरण पंजीबद्ध नहीं किया गया है। जो सर्वविदित है और प्रचलन में है।
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’जिला दंडाधिकारी ऋषभ गुप्ता ने किस दवाब में आरोपी काजी का पिस्टल लायसेंस निरस्त ना करके निलंबित किया?’
इतना ही नहीं बल्कि जिला कलेक्टर जिला दंडाधिकारी ऋषभ गुप्ता द्वारा जारी पत्र जो फरार आरोपी काजी अबुल कलाम के पिस्टल लायसेंस को निलंबित किया गया है। यहां ये बताना भी आवश्यक है कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय में ज्ञापन देने के पश्चात पुलिस जानकारों ने बताया कि पूर्व में दो बार ये लायसेंस निलंबित हो चुका है। लेकिन कुछ समय बाद राजनीतिक सेटिंग से बहाल कर वापस फरार आरोपी काजी अबुल कलाम को दे दिया गया है। जो ज़िला कलेक्टर जिला दंडाधिकारी के संज्ञान में है।
बावजूद इसके भी किस दवाब के चलते जिला कलेक्टर जिला दंडाधिकारी ऋषभ गुप्ता द्वारा वर्तमान में पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय द्वारा निरस्त करने का प्रतिवेदन देने के बावजूद भी जिला दंडाधिकारी ऋषभ गुप्ता ने किस दवाब में निरस्त ना करके तीसरी बार फिर निलंबित किया गया। इतना ही नहीं बल्कि जानकारी अनुसार पिस्टल लायसेंस निलंबन पत्र संभागायुक्त और म.प्र. गृह मंत्रालय में भी नहीं भेजा गया है। जो कई सवालों को जन्म देते हुए शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
और अंत में.........?
इतना ही नहीं बल्कि जानकारों ने बताया की फरार आरोपी काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन काजी ज्यादा समय तक फरार रहा तो देवास शहर की शांति प्रिय जनता और स्थानीय पुलिस व शासन प्रशासन के लिए हानिकारक और घातक साबित हो सकता है। यहां तक कि फरार आरोपी काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन काजी पर धारा 82, एवं 83 द.प्र.सं. की कार्यवाही के लिए भी अग्रसर किया है। कुल मिलाकर फरार आरोपी शहर काजी अबुल कलाम फारुकी पिता सलीमुद्दीन काजी धर्म के काम में कम और एक अवांछनीय व्यवहार करते हुए अन्य अवैधानिक कामों में लिप्त रहा है जो सर्वविदित है।,
उक्त जानकारी मुस्लिम समाज के शिक्षाविदों सहित हिंदू समाज के ज्ञापन में भी उक्त प्रकरणों का उल्लेख होकर कार्यवाही की मांग की गयी है।
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