600 सीसीटीवी फुटेज और तकनीकी साक्ष्यों के बाद डंपर चोरी की गैंग का 1 आरोपी धराया ! डंपर का जीपीएस काटकर, नंबर प्लेट बदलकर करती है पूरी गैंग चोरी ! जानिये कैसे होती है आसानी नंबर प्लेट से ?


    

भारत सागर न्यूज_देवास (राहुल परमार )। हाईवे पर ढाबों और किनारों पर खड़े डंपरों को चोरी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह के संबंध में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया। पुलिस के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति चोरी करने वाले गिरोह का हिस्सा है हालांकि पुलिस ने जानकारी में अन्य आरोपियों के नाम भी बताये। फिलहाल 1 आरोपी को ही पुलिस गिरफ्तार करने में कामयाब हो पाई हैं। इस सफलता के बाद इस चैन के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी की भी संभावना है। पुलिस के अनुसार गिरोह डंपर चुराकर उसकी नंबर प्लेट बदल देता हैं साथ ही इन डंपरों को जीपीएस से कोई ट्रैक न कर पायें इसलिये यह चोर जीपीएस को काटकर फेंक देते हैं।   अगस्त में देवास से एक डंपर चोरी होने के बाद पुलिस ने कई स्थानों के सीसीटीवी कैमरों से प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर राजस्थान निवासी गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर डंपर चुराना स्वीकार किया है। 

पत्रकार वार्ता में एडिशनल एसपी जयवीरसिंह भदौरिया ने किया खुलासा 

पत्रकार वार्ता में एडिशनल एसपी जयवीरसिंह भदौरिया ने बताया  कि 28-29 अगस्त की दरमियानी रात जैतपुरा फाटा पर पेट्रोल पंप के पास डंपर क्रमांक आरजे 09 जीडी 4374 खड़ा था। जिसकी चोरी की सूचना देवास निवासी फरियादी विजय गेहलोत ने पुलिस को दी। सूचना पर बीएनपी थाना प्रभारी अमित सोलंकी ने दल के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर निरीक्षण किया। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एसपी संपत उपाध्याय द्वारा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक व नगर पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में तीन विशेष टीमों का गठन किया गया। जिसके बाद टीम ने टोल नाके, ढाबे, होटलों पर लगे लगभग 600 से अधिक सीसीटीवी के फुटेज खंगाले एवं तकनीकी साक्ष्य एकत्रित किए। विवेचना के दौरान पता लगा कि राजस्थान कोटा निवासी गुलामुद्दीन पठान ने अपने साथी अलवर निवासी अरशद खान एवं उसके 2 अन्य साथियों के साथ इंदौर तथा आसपास के क्षेत्रों से डंपर चोरी करने का प्लान किया था। आरोपियों ने जैतपुरा से डंपर चुराया और उसमें लगा जीपीएस काटकर फेंक दिया। डंपर की पहचान छुपाने के लिए उसकी नंबर प्लेट बदलकर आरजे 14 जीपी 2215 कर दी। वे डंपर को इंदौर, पीथमपुर, मंदसौर, चित्तौड़गढ़ होते हुए भीलवाड़ा की ओर ले गए। बनाई गई विशेष टीम ने सीसीटीवी फुटेज व सायबर सर्वेलेंस के आधार पर अज्ञात आरोपियों की पहचान कर उन्हें हिरासत में लेकर चोरी गया डंपर जब्त किया गया। साथ ही आरोपियों से इंदौर से चोरी किया गया एक अन्य टाटा कंपनी के डंपर को भी बरामद करने में सफलता प्राप्त की। प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी द्वारा अपने साथियों के साथ मिलकर देवास तथा इंदौर शहर में की गई डंपर चोरी को स्वीकार किया। ये आरोपी सड़क किनारे, ढाबे व पेट्रोल पंप पर खड़े ट्रकों एवं डंपर की रैकी कर चुराते थे। पुलिस द्वारा आरोपियों से लगभग 40 लाख कीमत का डंपर जब्त किया है। 

इधर देवास पुलिस को भले ही अन्य आरोपी न मिले हो लेकिन फरियादी विजय गेहलोत ने देवास पुलिस को उनका डंपर मिलने की खुशी मे धन्यवाद प्रेषित किया है। ज्ञात हो विजय गेहलोत देवास रेत मंडी एसोसिएसन के अध्यक्ष हैं। विजय गेहलोत ने बताया कि पुलिस का विरोध करके हम उनके काम नही बना सकते बल्कि उनके कार्यो में अच्छी जनता बनकर सहायता कर सकते हैं। इससे पुलिस त्वरित सहायता करती है। 




   

आखिर क्या कारण है कि हाईवे किनारे अन्य राज्यों मे पंजीयित वाहन आसानी से हो जाते हैं चोरी ? 

जानकारी अनुसार राजस्थान में परिवहन का टैक्स कम होने के कारण मध्यप्रदेश के कई व्यापारी राजस्थान आरटीओ से अपने वाहनों का पंजीयन कराते हैं। संभवतः राजस्थान की परिवहन प्रक्रिया मध्यप्रदेश की तुलना में सरल और सुलभ है। इसलिये भी व्यापारी वर्ग अपने भारी वाहनों पर भारी टैक्स बचाने की जुगत कर लेते हैं। चूंकि यह वाहन राजस्थान में रजिस्टर्ड हुआ है तो इसकी नंबर प्लेट भी आर जे नाम से ही प्रिंट होगी। जिसका सीधा फायदा चोर उठाते हैं और समीपवर्ती राज्य में आसानी से वाहनों को ठिकाने लगा देते हैं। वैसे आपको बता दें शहर के आसपास रेती और अन्य खनिजों में प्रयुक्त होने वाले कई डंपर राजस्थान परिवहन से पंजीकृत है। 




इनका रहा सराहनीय कार्य - 

थाना प्रभारी अमित सोलंकी, उप निरीक्षक गोपाल चौधरी, सहायक उप निरीक्षक कमलसिंह ठाकुर, हितेंद्र चंद्रवंशी, प्रधान आरक्षक कुलदीप सिंह, रामप्रताप सिंह चौहान, दिनेश मुकाती, भरत चौधरी एवं सायबर सेल प्रभारी उप निरीक्षक पवन यादव, प्रधान आरक्षक सचिन चौहान, शिवप्रतापसिंह सेंगर, संजय शर्मा एवं आरक्षक योगेश कदम का सराहनीय योगदान रहा।









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