क्रान्तिकारी रेंगा कोरकू की जयंती पर बागली में जनजाति विकास मंच ने आयोजित की संगोष्ठी!




देवास। जिले बागली क्षेत्र के जनजाति समाज के शासकीय कर्मचारी, अधिकारी, सरपंचों वरिष्ठ नागरिकों एवं युवा शक्ति ने करी सहभागिता जनजाति समाज के इतिहास के साथ अंग्रेजों ने की छेड़छाड़, इतिहास को सुधारने की जरूरत : कैलाश आमलियार पिछले सप्ताह की 22 जुलाई को जनजाति क्रान्तिकारी रेंगा कोरकू जी के जयंती के उपलक्ष्य पर कल दिनांक 25 जुलाई 2023 को जनजाति विकास मंच ने बागली के जनपद पंचायत के सभाग्रह में जनजाति समाज के बागली जनपद के सभी शासकीय विभागों से अधिकारी, कर्मचारी, वरिष्ठ व युवा नेतृत्ववान समाजजनो का संगोष्ठी कार्यक्रम आयोजित करा। कार्यक्रम में बागली जनपद के वनमंडलाधिकारी अमित सोलंकी मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच जिला संयोजक पवन भावसार ने की एवं कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मंच के प्रांतीय अधिकारी कैलाश जी अमलियार थे।  वनमंडल अधिकारी अमित सोलंकी ने अपने संबोधन में जनजाति समाज के नायकों के योगदान को याद करते हुए कहा की लंबे समय के बाद अब जनजाति क्रांतिकारियों और उनकी  परंपराओं को समाज में सभी स्तरों पर सम्मान मिलने लगा है। इसी के साथ साथ उन्होंने अपने जीवन के दृष्टान्त देते हुए जनजाति समाज में शिक्षा का महत्व पर भी चर्चा करी और परिवारों व युवाओं को प्रोत्साहित भी करा। सोलंकी जी ने अपने भाषण में कहा की जनजाति समाज ने देश की स्वतंत्रता के लिए ब्रितानी शासन से वीरता और बहादुरी के साथ लोहा लिया परंतु दुर्भाग्यवश हम अपने वीर योद्धाओ से परिचित ही नही है। आज हमारे युवाओं के शैक्षणिक उन्नयन की आवश्यकता है।माता पिता को भी अपनी संतानों को अपनी मूल संस्कृति और परम्पराओं का ज्ञान देना चाहिए।


 






मुख्य वक्ता कैलाश अमलियार ने अपने संबोधन के पहले कार्यक्रम में उपस्थित श्रोतागणों से क्षेत्र और समाज की वर्तमान चुनौतियों पर चर्चा करी जिसमे महिलाओं ने भी मंच पर आकर अपनी बात रखी और क्षेत्र की समस्याओं खासतौर से शिक्षा और नशे पर चर्चा हुई। अमलियार जी ने आगे अपने संबोधन में रेंगा कोरकू,टंट्या मामा, बिरजू नायक व अन्य मध्य प्रदेश के जनजाति क्रन्तिकारी के बलिदान और अंग्रेज़ों द्वारा जनजाति समाज का मानगढ़ में हुआ नरसंहार के बारे में बताते हुए आगे कहा कि जनजाति समाज देश की गौरवशाली संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है।हमारे देश और हमारी संस्कृति का सबसे अधिक नुकसान मुगलों और अंग्रेजो ने किया। जनजाति समाज ने सर्वाधिक संघर्ष अंग्रेजी हुकूमत के साथ किया।टंट्या मामा और रेंगा कोरकू की जुगलबंदी ने अंग्रेज सरकार के दांत खट्टे कर दिए थे।जिन अंग्रेजों को हमारे जनजाति क्रांतिकारियों ने संघर्ष किया अंग्रेजी इतिहासकारों ने झूठा इतिहास लिख हमे सच्चाई से दूर रखा। आगे अमलियार जी ने कहा की जनजाति समाज को आज शब्दो के भ्रम में उलझाया जा रहा है।आज विदेशी ताकतें अनेकानेक षड्यंत्रों के माध्यम से हमारी संस्कृति पर कुठाराघात करने का प्रयास कर रही है।आज भारत की वैश्विक शक्ति को विश्व भी पहचान रहा है,परंतु ऐसा तंत्र जो हमारी संस्कृति का विरोधी है,जो भारत माता की जय नही बोल सकता और हमे बरगलाने का प्रयास करता है। ऐसे तंत्र से हमे सावधान रह कर अपने मूल इतिहास को समझने की जरूरत है।



कार्यक्रम का शुभारंभ वीर रेंगा कोरकू व भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।क्रांतिकारी इतिहास पर गीत सागर राणा ने लिया। अतिथियों का स्वागत सुनील बारेला, हरनाम सिंह जी भार्गो व काशीराम जी ने अंग वस्त्र व श्री फल भेंट कर के किया।कार्यक्रम का संचालन विभाग संयोजक विनोद भार्गो ने किया साथ ही कार्यक्रम की शुरुवात में उन्होंने जनजाति विकास मंच की संरचना व कार्ययोजना के बारे में विस्तार से बताया और अंत में सभी अतिथियों काआभार भी व्यक्त करा। पवन जी भावसार ने कार्यक्रम के शुरुवात में पवन भावसार ने रेंगा कोरकू के जीवनवृत पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के आरंभ में नेमावर में पदस्थ थे। जनजाति समाज के टीआई राजाराम वास्केल के असामयिक निधन पर 2 मिनट का मौत रख श्रद्धांजलि दी गयी। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत, वंदे मातरम से हुआ। जो प्रधानाचार्य मुकेश दांगी ने गया।








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