संत के आने से खुशी तो डाकू के आने से दुख मिलता है सद्गुरु मंगल नाम साहेब ! Sadhguru Mangal Naam Saheb brings happiness when a dacoit comes, Sadhguru Mangal Naam Saheb!
दुष्टों के आने पर दरवाजा बंद कर लेते हैं लोग- सद्गुरु मंगल नाम साहेब
देवास। एक सह्रदय संत सबके सुख-सुविधाओं की बात पूछता है। कोई दुख में तो नहीं है। संत ऐसे व्यक्ति परिवार को दुखों को संभालने की सामर्थ्य दे देता है। लेकिन एक दुष्ट आता है तो सबकी सुविधाओं को छीन ले जाता है। इसलिए लोग डाकुओं को दुष्टों को देख कर दरवाजा बंद कर लेते हैं। कि यह अपना सब कुछ छीन कर ले जाएगा। संत के आने से सुख बरसता है। सुविधाएं, सुमति और शांति आती है। संत के संवाद से जिंदगी के पक्षधर खुल जाते हैं। डाकू सारे जीवन की अच्छाई जो संपदा जिसे हम आर्थिक स्थिति कहते हैं छीन कर ले जाता है। डाकू अपने सुख के लिए कितनी माता बहनों को विधवा कर बच्चों को अनाथ कर जाते हैं। इसलिए संत और डाकू में एक ही अंतर है कि एक के आने से सुख, खुशी की बाहर आ जाती है तो एक के जाने से खुशी होती है।
अच्छा ही हुआ चला गया पापी। हर एक आदमी संत पर अपनी संपदा लुटा देते हैं। संत इस सांसारिक जगत में सुमति, शांति, सत्य का सहज ही अनुभव करा देते हैं। यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने बालगढ़ में आयोजित चौका विधान, चौका आरती, गुरुवाणी पाठ में व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि जो मानव जीवन के झूठे स्वाद की तरफ भागने लगते हैं। उसे होंश आ जाता है। फिर वह परमात्मा को उस सत्य स्वरूप को चाहे कितना भी कष्ट मिले वह प्राप्त कर लेता है। वह कष्ट को भी खुशी, खुशी झेल लेता है। क्योंकि संत से अनंत जन्मों की सुख सुविधाएं उपलब्ध हो जाती है। परमात्मा किसी स्वरूप में नहीं बसता न किसी विचार में बसता है। महल बना लिया शादी कर ली पर शांति नहीं मिलती। लेकिन संतों के विचारों से राजपाट महल सब छोड़कर लोग चले जाते हैं। क्योंकि सब कुछ होते हुए भी हमसे ओ छुपा हुआ है। संतों के सानिध्य में हर परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता जागृत हो जाती है।
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