जन्म-मृत्यु से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय शास्त्र आधारित भक्ति है - संत रामपाल जी



देवास म.प्र. | यदि किसी व्यक्ति को जन्म मरण रूपी चक्कर से छुटकारा पाना है और मोक्ष प्राप्त करना है तो उसे शास्त्रों पर आधारित भक्ति करना होगा। शास्त्रों में बताई गई वास्तविक भक्ति विधि पर विस्तृत विवेचन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बीते रविवार को मध्यप्रदेश के देवास जिले की तहसील खातेगांव में गोमती गोशाला " में सत्संग आयोजित किया गया।

संत रामपाल जी महाराज ने धार्मिक शास्त्रों से निष्कर्ष निकालकर बताया कि बिना सतगुरु मुक्ति प्राप्त नहीं हो सकती हैं और सद्गुरु के द्वारा बताए भक्ति मार्ग पर चलकर पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब की भक्ति करने से सभी दु:खों से छुटकारे के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति भी हो जाती है। वास्तव में यह वही भक्ति है जिसके द्वारा अंधे को आंख और कोड़ी को काया मिलती है। उन्होंने बताया कि इस भक्ति विधि के बारे में गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में बताया है तथा इस भक्ति विधि को पाने के लिए गीता जी में अध्याय 4 श्लोक 34 मैं तत्वदर्शी संत की खोज करने के लिए समझाया गया है। 

वहीं सत्संग में संत रामपाल जी महाराज के प्रवचन को सुनकर लोगों ने कहा है कि वे गीता जी का पाठ तो काफी समय से कर रहे हैं, लेकिन गीता जी के गूढ़ रहस्य के बारे में उन्होंने संत रामपाल जी महाराज के सत्संग के माध्यम से ही पता चला। सत्संग के अंदर संत रामपाल जी महाराज ने गीता जी के माध्यम से यह भी समझाया कि मोक्ष पाने के लिए सन्यासी बनने की जरूरत नहीं है बल्कि श्रद्धालु अपने दैनिक कार्य करते हुए मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।

वहीं, सत्संग के अंदर संत रामपाल जी द्वारा समाज कल्याण के लिए लिखी गई पुस्तकों को बहुत ही कम कीमत पर जन सामान्य को उपलब्ध कराया गया। इन पुस्तकों के अंदर आध्यात्मिक उत्थान के साथ-साथ सामाजिक सुधार को भी महत्व दिया गया है जिसे पढ़कर समाज में व्याप्त सभी बुराइयों को समाप्त किया जा सकता है। वहीं संत रामपाल जी महाराज जी का मूल उद्देश्य है कि विश्व को सतभक्ति देकर "मोक्ष" प्रदान करना और बुराई व कुरीतियों को जड़ से खत्म करके "स्वच्छ" समाज बनाना है।




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