पुत्र के लिए माता पिता, पत्नी के लिए पति और शिष्य के लिए गुरु यही तीर्थ स्थान हैं- महेश गुरुजी !
देवास - पुत्र के लिए माता पिता, पत्नी के लिए पति और शिष्य के लिए गुरु यह घर में ही तीर्थ स्थान हैं। अपने समीप के तीर्थ स्थान हैं जो इनकी सेवा कर लेता है। इनको संतुष्ट प्रसन्न कर लेता है उसको सारे तीर्थों का फल और पूर्ण घर में ही प्राप्त हो जाता है। उक्त विचार माँ कैलादेवी मन्दिर प्रांगण में चल रही श्री शिव महापुराण कथा में पंचम दिवस मैं श्री महेश गुरुजी उज्जैन ने कही। गुरुजी ने उदाहरण देते हुए बताया कि पुंडरीक ने अपने माता-पिता की सेवा की तो भगवान पंढरीनाथ उनको दर्शन देने के लिए स्वयं वहां पर आए। अनुसूया ने अपने पति की सेवा चित्रकूट के गहन वन अपनी घास फूस की झोपड़ी में ही की। उससे ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवता प्रसन्न होकर के उनके पुत्र बने और शबरी ने अपने गुरु मतंग ऋषि की सेवा वहीं पर अपने आश्रम में ही की। उस से प्रसन्न होकर के भगवान श्री राम जी ने शबरी को जाकर के वहां पर दर्शन दिया तो शास्त्र में जैसा धर्म जो जिसके लिए कहा गया है। उसका पालन अगर हम लोग करते हैं तो निश्चित रूप से कम परिश्रम में कम समय में हम ज्यादा धर्म लाभ कमा सकते हैं और भगवान के कृपा भाजन बन सकते हैं। गोपाल ठाकुर ने बताया मुख्य अतिथि पूर्व पाठ्य पुस्तक निगम अध्यक्ष वर्तमान भाजपा कार्यकरनी समिति प्रदेश सदस्य राय सिंह सैंधव, पार्षद अज़ब सिंह ठाकुर, आष्टा शहर अध्यक्ष अतुल शर्मा, धर्मेंद्र सिंह पहलवान मेहतवाडा पधारे। यजमान सचिन अंकिता व्यास ने व्यास पीठ की आरती की और कथा में आने के लिए ज़्यादा ज़्यादा संख्या में आने की अपील की। कथा प्रतिदिन समय 4 से शाम 7 बजे तक चल रही है।
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