शिवलिंग की पूजा कर बहरा, गूंगा भी मुक्ति प्राप्त कर सकता है- पं. महेश गुरू !
देवास। कैला देवी मंदिर में चल रही श्री शिव महापुराण कथा में दूसरे दिन महाकाल नगरी उज्जैन से पधारे परम पूज्य महेश गुरूजी ने शिव महापुराण कथा का वाचन करते हुए कहा कि की भगवान शिव ने कृपा करके अनेक मार्ग भक्तों के लिए बनाए हैं। जिनका आश्चर्य ले करके इनका अनुकरण करके भक्त आसानी से लोक में भी सुखी रह सकते हैं और भगवान के परमधाम को भी प्राप्त कर सकते हैं। भगवान शिव श्री शिव महापुराण में कहते हैं कि ओमकार का 10,000 बार जप करने से या दोनों समय सुबह और शाम एक-एक बार नाम जप करने से भी जीव अपने सारे मनोरथों को पूर्ण करते हुए मेरे परमधाम को प्राप्त कर सकता है। कोई भी शिवलिंग की पूजा करके वह बहरा, गूंगा ही क्यों ना हो वह भी मुक्ति प्राप्त कर सकता है। बिल वृक्ष पर जल चढ़ाकर के तीनों लोकों में जितने तीर्थ हैं। उनके सेवन का जो फल है उसको प्राप्त कर सकता है। भगवान शिव ने करुणा करके अपने अश्रु बिंदुओं से रुद्राक्ष पैदा किए और अलग-अलग वर्ण के रुद्राक्ष सफेद लाल पीला और काला ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शुद्र इन वर्ण के रुद्राक्ष को धारण करके भगवान शिव की कृपा के पात्र हमेशा हमेशा के लिए कृपा पात्र बन जाते हैं। जिसने रुद्राक्ष धारण कर रखा है भूत, प्रेत, पिशाच एक अभी उसके समीप नहीं आते हैं। साथ में पंचदेव जो हैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सूर्य, दुर्गा, गणेश रुद्राक्ष धारण करने वाले को देख कर के प्रसन्न होते हैं। रुद्राक्ष धारण करने से बहुत सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं और रुद्राक्ष धारण किए रहता है। वह भगवान शिव के परमधाम को भी प्राप्त करता है। रुद्राक्ष धारण करने से शरीर निरोग भी रहता है। खासकर के हृदय के रोग जो हैं और डायबिटीज अस्थमा, डिप्रेशन, बीमारियां है। इनसे भी लडऩे की ताकत रुद्राक्ष धारण करने से प्राप्त होती है। ऐसे भगवान शिव ने अनेक मार्ग प्रकट किए हैं। जिससे जीव अपना कल्याण कर सके। गोपाल ठाकुर ने बताया व्यासपीठ की आरती यजमान परिवार सचिन अंकिता व्यास ने की। कथा प्रतिदिन 4 से शाम 7 बजे तक चलेगी।
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