जानिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात के कुछ अनसुने पहलु ! प्रधानमंत्री क्यों हुए भावुक !
नरेन्द्र मोदी को 1000 से अधिक चिढ़ीयां मिली और लाखो सन्देश प्राप्त हुए है। इन संदेशो को पड़कर नरेन्द्र मोदी भावुक हुए है। नरेन्द्र मोदी जी ने मन की बात का संबोधन जनता को दिया, उन्होंने कहा कि यह कोटि-कोटि भारतीयों के मन की बात है और भारतीयों का प्रगतिकरण है। यह बात 3 अक्टूबर 2014 को विजयादशमी का पर्व था। इस दिन मन की बात का शुभारम्भ हुआ था। विजयादशमी का अर्थ है बुराई पर अच्छाई की जीत। इस दिन नकारात्मकता का नाश हुआ था, सकरात्मकता का अनोखा पर्व बना है। मन की बात में विश्वभर में हर जगह से लोग एवं हर आयु वर्ग के लोग जुड़े है। बेटी बचाओ बेटी पढाओं, स्वच्छ भारत आन्दोलन, खादी के प्रति प्रेम हो या प्रकति की बात हो, आज़ादी का अमृत महोत्सव हो या अमृत सरोवर की बात हो, जिस विषय से जुडा हो वो जल आन्दोलन हो गया और आम जनता ने भी इस आन्दोलन में साथ दिया। नरेद्र मोदी ने कहा उनके मार्गदर्शक श्री लक्ष्मण रावजी रहे, जिन्हें वकील साहब कहा गया, वो हमेशा कहते थे कि हमे दुसरो के गुणों की पूजा करनी चाहिए। सामने कोई भी हो अपने साथ खड़ा हो या अपना विरोधी हो उसके अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए, उनकी इस बात से नरेन्द्र मोदी को प्रेरणा मिलती है।
प्रधानमंत्री की कुछ मन की बाते -
1. नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मन की बात को याद किया. पीएम मोदी ने कहा, ’जब मैंने, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ साझा ‘मन की बात’ की थी, तो इसकी चर्चा पूरे विश्व में हुई थी।
2. मन की बात के एपिसोड में जम्मू-कश्मीर की पेन्सिल स्लेट्स के बारे में बताते हुए मंजूर अहमद जी का जिक्र किया था. पीएम ने मंजू अहमद को फोन किया। पीएम मोदी ने जब उनसे पूछा कि काम कैसे चल रहा है? इस पर उन्होंने जवाब दिया, ’आपने हमारी बात, ‘मन की बात’ में कही तब से बहुत काम बढ़ गया दूसरों को भी रोजगार यहां बहुत बढ़ा है इस काम में।
3. नरेन्द्र मोदी ने हीलिंग हिमालयाज अभियान चलाने वाले प्रदीप सांगवान को फोन किया. पीएम मोदी ने साल 2020 में एक मन की बात एपिसोड में जिक्र किया था प्रदीप सांगवान ने कहा, ’2020 से ऐसा मानिये कि जितना काम हम पांच साल में करते थे अब वो एक साल में हो जाता है।
4. नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ’पचासों साल पहले मैंने अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि एक दिन अपने ही देश के लोगों से संपर्क ही मुश्किल हो जायेगा. जो देशवासी मेरा सब कुछ है, मैं उनसे ही कट करके जी नहीं सकता था. ‘मन की बात’ ने मुझे इस चुनौती का समाधान दिया।
5. नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि ’मेरा कोई देशवासी 40-40 साल सेनिर्जन पहाड़ी और बंजर जमीन पर पेड़ लगा रहा है, कितने ही लोग 30-30 साल से जल-संरक्षण के लिए बावड़ियां और तालाब बना रहे हैं, उसकी साफ़-सफाई कर रहे हैं. कोई 25-30 साल से निर्धन बच्चों को पढ़ा रहा है। कोई गरीबों की इलाज में मदद कर रहा है। कितनी ही बार ‘मन की बात’ में इनका जिक्र करते हुए मैं भावुक हो गया हूं ।
नरेन्द्र मोदी ने प्रोग्राम के आखिर में यूनेस्को की डायरेक्टर जनरल औद्रे ऑजुले से फोन पर बात कीप् औद्रे ऑजुले ने शिक्षा और संस्कृति संरक्षण को लेकर भारत के प्रयासों के बारे में जानना चाहाI पीएम मोदी ने कहा कि ये दोनों ही विषय ‘मन की बात’ के पसंदीदा विषय रहे हैं आखिर में पीएम मोदी ने कहा, ’मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे उपनिषदों का एक मंत्र सदियों से हमारे मानस को प्रेरणा देता आया हैI आज हम इसी चरैवेति चरैवेति की भावना के साथ ‘मन की बात’ का 100वां एपिसोड पूरा कर रहे हैं।
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