भव से पार उतरना है तो मन को भगवान के चरणों में लगाएं- घनश्याम दास !
भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाया धूमधाम से
देवास - मन को भगवान के श्री चरणों मे लगाएं। भगवान की भक्ति ही इस भव से पार उतरने का सरल मार्ग है। इस चंचल मन पर भक्ति रूपी अंकुश लगाएं। जिसका नाम लेने से भगवान का नाम का स्मरण हो वही नाम रखना चाहिए नाम भी भगवान के नाम से मिलता जुलता होना चाहिए। भगवान की भक्ति बैकुंठ प्राप्त करवाती है। कृष्ण का नाम हम लेंगे भगवान का नाम लेगे तो हमारा उद्धार हो जाएगा।यह विचार राधा कृष्ण मंदिर चाणक्यपुरी में 9 मार्च से चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के चौथे दिन रविवार को व्यास पीठ से घनश्याम दास ने व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि जिस प्रकार से मेहंदी को पत्थर पर रगड़ने पर हमारे हाथ भी लाल हो जाते हैं। उसी प्रकार हमारी संगति का भी प्रभाव पड़ता है। संगति से सदगुण उपजे, संगति से सब गुण जाए। संगति से मन, हमारे विचारों में हमारे आचरण में बैठ जाते है। फिर हम वैसा ही व्यवहार और आचरण करने लग जाते है। वैसे ही हो जाते हैं। इसलिए कभी भी संगति करना हो तो संतों की सद्गुरु की और विद्वानों की करना चाहिए। इस दौरान कथावाचक घनश्याम दास ने कृष्ण कहने से तर जायेगा। पार भव से उतर जाएगा सुमधुर भक्तिमय गीत की प्रस्तुति से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। ढोल बाजे व आतिशबाजी के साथ पांडाल में लाया गया। आयोजक मंडल की चंदा शर्मा सहित सैकड़ों महिलाओं ने व्यासपीठ की पूजा अर्चना कर महाआरती की गई। मुख्य यजमान भगवान रंगनाथ थे।
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