राम जी के चौदह वर्ष के वनवास की कथा सुन भक्त हुए भाव विभोर

मानव धर्म की रक्षा और प्रेम का सूत्र है राम कथा- पं. विष्णुकांत महाराज



देवास। प्रभु श्रीराम ने केवट को नाव से पार उतारने को कहा तो केवट ने मना कर दिया। बोला आपके चरण रज से पत्थर नारी बन गई, पहले मैं आपके चरण पखारूंगा उसके बाद नाव में बैठा कर पार लगाउंगा। केवट ने श्रीराम से गंगा पार करने की उतराई के रूप में उनके पाव धोने की सेवा मांगी। उक्त उद्गार पाचुनकर कालोनी में चल रही श्रीराम कथा के पंचम दिवस श्रीधाम वृंदावन के पं. विष्णुकांत महाराज ने व्यक्त किए। मनोहर फडनीस ने बताया कि कथा में प्रभु श्रीराम के चौदह वर्ष वनवास की कथा प्रसंग का महाराज श्री ने सचित्र वर्णन किया, जिसे सुन भक्त भावविभोर हो गए। महाराज श्री ने आगे कहा कि प्रभु राम ने जब केवट से कहा कि सेवा के बदले कुछ लेना होगा तो केवट ने कहा मैने आपको गंगा पार करने की सेवा की है, आप मुझे इस भवसागर से पार करने की कृपा कर देना। मानव धर्म की रक्षा और प्रेम का सूत्र है राम कथा। महाराज श्री ने अयोध्या में राम के राजतिलक की तैयारी, कैकेयी के कोप भवन में प्रवेश, राजा दशरथ की मनुहार में तीन वरदान देते हुए श्रीराम को वनवास की आज्ञा देना, सीता, लक्ष्मण सहित राम का वन गमन और चित्रकूट में भरत मिलाप के प्रसंग के माध्यम से रामायणकालीन पारिवारिक, सामाजिक व राजनीतिक मूल्यों को बताया। रामकथा 24 फरवरी तक दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक चलेगी। 






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