शिव नाम जप ले सहारा मिलेगा, डूबे हुए को किनारा मिलेगा- पं. द्विवेदी




देवास। शिव नाम जप ले सहारा मिलेगा, डूबे हुए को किनारा मिलेगा। श्वास अमोलक विरथा गंवाए, जो न शिव कथा सुनने न आए। जीवन न तुझको ये दोबारा मिलेगा, ये अवसर न तुझको दोबारा मिलेगा। एक ही शिव का नाम है सच्चा और जगत में सब कुछ झूठा है। मानव जीवन का कल्याण हो जाए ये सभी के जीवन का मूल उद्देश्य होता है और भगवान शिवजी के कृपा से ही कल्याण होता है। क्योंकि शिव का अर्थ ही होता है कल्याण। उक्त बात आवास नगर स्थित बड़ी दुर्गा माता मंदिर में आयोजित शिव महापुराण कथा में छठवें दिन व्यासपीठ से पं. सूरज द्विवेदी (शास्त्री) ने कहा। पं. मयंक द्विवेदी एवं मोंटी जाधव ने बताया कि कथा में तुलसी पूजा का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तों ने तुलसी पूजा कर पंडित जी द्वारा उसका महत्व जाना व्यासपीठ की आरती महायोगी वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज जोशी, भाजपा जिला संयोजक पिंटू ठाकुर, भाजपा नगर महामंत्री राहुल प्रजापति, भगवा राज संगठन रोशन यादव, बंटी जैन, अनिल डाबी, निलेश चौहान, राजेश सोनी, विशाल जोशी, राजेश गंगराड़े, राजेश ठाकुर, महेश जायसवाल, धर्मेन्द्र रेनिवाल आदि ने किया। पं. द्विवेदी ने तुलसी जी कथा सुनाते हुए कहा कि श्रीमद देवी भागवत पुराण में इनके अवतरण की दिव्य लीला कथा भी बनाई गई है। एक बार शिव ने अपने तेज को समुद्र में फेंक दिया था। उससे एक महातेजस्वी बालक ने जन्म लिया। यह बालक आगे चलकर जालंधर के नाम से पराक्रमी दैत्य राजा बना। इसकी राजधानी का नाम जालंधर नगरी था। दैत्यराज कालनेमि की कन्या वृंदा का विवाह जालंधर से हुआ। जालंधर महाराक्षस था। अपनी सत्ता के मद में चूर उसने माता लक्ष्मी को पाने की कामना से युद्ध किया, परंतु समुद्र से ही उत्पन्न होने के कारण माता लक्ष्मी ने उसे अपने भाई के रूप में स्वीकार किया। 




वहां से पराजित होकर वह देवी पार्वती को पाने की लालसा से कैलाश पर्वत पर गया। भगवान देवाधिदेव शिव का ही रूप धर कर माता पार्वती के समीप गया, परंतु मां ने अपने योगबल से उसे तुरंत पहचान लिया तथा वहां से अंतर्ध्यान हो गईं। देवी पार्वती ने क्रुद्ध होकर सारा वृतांत भगवान विष्णु को सुनाया। जालंधर की पत्नी वृंदा अत्यन्त पतिव्रता स्त्री थी। उसी के पतिव्रत धर्म की शक्ति से जालंधर न तो मारा जाता था और न ही पराजित होता था। इसलिए जालंधर का नाश करने के लिए वृंदा के पतिव्रत धर्म को भंग करना बहुत ज़रूरी था। कथा 29 दिसम्बर तक प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक चलेगी।

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