धोखाधड़ी करके जमीन और पैसे हड़पने वाली महिला और उसके सहयोगी को न्यायालय ने दिया 5 वर्ष का कारवास.....
बागली(सोमेश उपाध्याय)। बागली के द्वितीय सत्र न्यायाधीश चंद्रकिशोर बारपेटे ने धोखाधड़ी के एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए एक महिला और उसके सहयोगी को 5 वर्ष के कठोर कारावास एवं 5-5 हजार रूपए के अर्थदंड की सजा से दण्डित किया। मामला उदयनगर थाना क्षेत्र के ग्राम देवनलिया में स्थित एक भूमि के टुकड़े की खरीद का है जिसमें महत्वपूर्ण यह है कि फरियादी और आरोपी सभी लोग इंदौर के रहने वाले है।
यह था पूरा मामला
एजीपी अखिलेश मंडलोई ने बताया कि धोखाधड़ी का यह मामला 31 मई 2014 से 25 फरवरी 2022 के मध्य का है। जिसमें बिचौली हाप्सी रोड इंदौर निवासी फरियादी शालिनी और उनके पति अरुण शर्मा के पड़ौस में प्रीति तारे और उसके मृत पति निशांत तारे रहते थे। दोनों परिवारों के मध्य घनिष्ठ संबंध थे। प्रीति तारे और उसके पति निशांत ने शर्मा दम्पति के सामने बागली अनुविभाग के उदयनगर थाना क्षेत्र में स्थित ग्राम देवनलिया में फार्म हाउस और रिसोर्ट निर्माण कर विक्रय करने और अत्यधिक मुनाफा कमाने का लालच दिया। जिस पर शर्मा दम्पति ने भी सहमति दी और कृषि भूमि क्रय करने का निर्णय लिया। जिसमें उन्होंने मई 2014 में भूमि स्वामी उमेश जायसवाल निवासी महिगांव थाना उदयनगर से 37 लाख 75 हजार रुपए में राजस्व मंडल 3 की 2.020 हेक्टेयर कृषि भूमि क्रय करने का अनुबंध शालिनी शर्मा और प्रीति तारे के नाम पर किया। जिसकी नोटरी बागली के एक स्थानीय अधिवक्ता से करवाई गई। उक्त अनुबंध के पेटे आरटीजीएस और चेक्स की सहायता से 13 लाख 75 हजार रुपए उमेश जायसवाल और 15 लाख रूपए प्रीति और निशांत ने भूमि स्वामी को देने के लिए स्वयं नगदी रख लिए। साथ ही निशांत ने 1 लाख 7 हजार रुपए का एक चेक ब्लैक चेचिस के नाम से भूमि विक्रेता उमेश जायसवाल की गाड़ी का एक्सीडेंट होने का बोलकर दिलवाया। अनुबंध के अनुसार 6 माह में भूमि का विक्रय पत्र शालिनी शर्मा और प्रीति तारे के नाम से होना था लेकिन निशांत तारे ने 25 फरवरी को भूमि का विक्रय पत्र पत्नी प्रीति तारे के नाम से बिना बताए ही करवा लिया। विक्रय पत्र में राजस्व मंडल और भूमि का सर्वे नंबर भी अनुबंध पत्र से अलग भरे गए। विक्रय पत्र केवल 6 लाख 87 हजार का करवाया गया और विक्रेता का 6 लाख का भुगतान होना बताया गया। शालिनी शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में आरोपियों पर 33 लाख रुपए बैंक और नगद माध्यमों से हड़पने, आर्थिक हानि पहुँचाने, तथ्यों को छुपाने और असत्य लेख करने आदि का आरोप लगाया।वहीं विक्रेता उमेश जायसवाल ने भूमि पर ऋण होने की बात भी फरियादियों से छुपाई। जिस पर कार्यवाही करते हुए पुलिस ने प्रीति तारे से क्रय की गई भूमि का विक्रय पत्र और ऋण पुस्तिका का छायाप्रति जब्त की। साथ ही प्रीति, निशांत और उमेश के पूर्व हस्ताक्षरों के दस्तावेज पैन कार्ड, पासपोर्ट, अंकसूची और किसान क्रेडिट कार्ड आदि जब्त किए। साथ ही जुलाई 2016 को तीनों आरोपियों को हिरासत में लिए लेकिन अग्रिम जमानत के चलते आरोपियों को जमानत मिल गई। न्यायालय में आरोपी प्रीति ने अपराध अस्वीकृत करते हुए कहा कि उसके और शालिनी शर्मा के द्वारा जो सौदा किया गया था वह शालिनी के द्वारा सौदे के राशि नहीं दिए जाने के कारण निरस्त हो गया। आरोपी उमेश का कहना था कि प्रतिफल की राशि समय पर नहीं मिली थी इसलिए सौदा निरस्त कर बयाने की रकम दोनों को लौटा दी थी। जिस पर शालिनी शर्मा ने सौदे की मूल प्रति नष्ट कर दी थी। जिसके बाद नविन शर्तों के अनुसार भूमि प्रीति तारे को विक्रय कर दी थी।
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विचारण के दौरान न्यायालय विक्रय पत्र के अनुसार भूमि की वास्तविक कीमत 6,87,000/- रुपये है। इस वास्तविक कीमत को छुपाते हुए. इस 6,87,000/- रुपये की भूमि पर रिसॉर्ट का व्यवसाय का लालच देकर अर्थात शालिनी एवं अरुण को प्रवंचितकर उसका सौदा 37,75,000/- रुपये में करने के लिए प्रेरित करना साक्षियों को कपट पूर्वक प्रवंचित करने की परिधि में आता है। अनुबंध पत्र के अनुसार भूमि का विक्रय पत्र शालिनी एवं प्रीति के नाम से किया जाना तय हुआ था। अर्थात प्रीति को सभी बातों की जानकारी थी और वह फरियादी शालिनी के साथ सह क्रेता थी। विक्रय प्रतिफल का भुगतान शालिनी शर्मा एवं प्रीति तारे दोनों को मिलकर करना था, परंतु 15.75,000/- रुपये का भुगतान केवल शालिनी शर्मा और अरुण शर्मा के खातों से हुआ है। आरोपी प्रीति तारे के खाते से आरोपी उमेश को भुगतान के संबंध में कोई साक्ष्य नहीं है। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी प्रीति और उमेश को धारा 420 भादंसं में दोषसिद्ध करार देते हुए 5 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5 हजार रुपए के अर्थदंड एवं धारा 120 बी (1) सहपठित 420 भादंसं में 5 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा से दण्डित किया। सजा सुनाये जाने के बाद दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया। शासन की ओर से पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक के अखिलेश मंडलोई ने की प्रकरण में मुंशी महेंद्र मंडलोई का विशेष सहयोग रहा।
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