ठेकेदार ही करवा रहे क्षेत्रों में अवैध शराब का परिवहन और विक्रय ? Transportation and sale of illicit liquor in the areas being done by the contractor?



राहुल परमार, देवास। जिले में आबकारी विभाग के कप्तान के बदलने के बाद कार्यवाहियों से जुड़े पारंपरिक प्रेस नोट तो आ रहे हैं लेकिन शराब के अवैध परिवहन और विक्रय पर लगाम फिर भी नही लगाई जा सकी है। इसका प्रमाण आपको आबकारी विभाग द्वारा मिलने वाले पारंपरिक प्रेस नोट के समाचार हैं। आये दिन विभाग द्वारा जारी किये जाने वाले प्रेस नोटों में उन क्षेत्रों में दबिश का समाचार होता है जहां पूर्व में भी विभाग द्वारा कार्रवाई की जा चुकी होती है। प्रश्न का विषय तो यह है कि जब कार्रवाईयों की पुनरावृत्ति हो रही है तो अवैध काम करने वालों को अवैध परिवहन और विक्रय की अनुमति आखिर कहां से मिलती है ? इनमें सीधे बनने वाले ठेकेदार भी शामिल हैं। सुत्रों से मिली जानकारी अनुसार तो कुछ अहाते तक शहर में अवैध संचालित किये जा रहे हैं। खैर बात हम परिवहन और विक्रय में ठेकेदारों की भूमिका की कर रहे थे तो बता दें यदि ठेकेदार के क्षेत्रों में शराब का अवैध परिवहन और विक्रय हो रहा है तो ठेकेदार उन पर आपत्ति क्यों नही ले रहे हैं ? जबकि इस प्रकार अवैध शराब के विक्रय और परिवहन से सर्वाधिक नुकसान ठेकेदार का ही होना है क्योंकि आसपास के क्षेत्रों में मिलने वाली इस शराब से ठेकेदारों की खपत पर सीधा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में भारी कीमत चुकाकर ली जाने वाली दुकानों का क्या औचित्य ? या फिर ठेकेदारों के मौन से यह समझ लिया जाए कि होटल, गुमटी और रेस्टारेंट नामक अवैध अहातों पर मिलने वाली शराब का स्टॉक उपलब्ध कराने वाले स्टॉकिस्ट संबंधित क्षेत्र के शराब ठेकेदार ही हैं और यह विक्रय कराने वाले भी ठेकेदार ही हैं। हॉ ! अंतिम शब्दों में एक बात बताते हैं जिन मामलों में ठेकेदारों की आपत्तियां आई होंगी वहां पर शराब और परिवहन करने वाले उसके कर्मचारी नही होंगे ! कुल मिलाकर ठेकेदारों को भी चपत लगाने का काम अन्य ब्लैकर कर रहे हैं। 

देखना होगा जिला आबकारी अधिकारी के रुप में श्रीमती वंदना पांडेय को कितनी सफलता मिल पाती है या फिर अवैध परिवहन और विक्रय के साथ पारंपरिक प्रेस नोट की परंपरा फिर जारी रहेगी।






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