World Environment Day : 28 वर्षों से पौधारोपण का दैनिक लक्ष्य, लाखों लोग जुड़े अभियान सेः संस्था कदम ...
एक इंसान ने सपना देखा था अहिंसा के माध्यम से देश को आज़ाद कराने का । ज़िद की, लोगों को साथ लिया और देश को आज़ाद करवा कर दम लिया । उसे पूरी दुनिया ने महात्मा के नाम से जाना । एक और इंसान ने सपना देखा है ‘‘युद्ध मुक्त संसार’’ का । हथियार बनाया है - ‘‘ विश्व में शांति की स्थापना के विचार के साथ जन्म दिवस पर पौधारोपण के अभियान’’ को । नारा चुना कबीर का - ‘‘जो घर फूंके आपना चले हमारे साथ’’। 20 जनवरी 1995 को ‘‘क़दम’’ नामक एक संस्था की स्थापना की और लड़ाई प्रारम्भ की नशे के खिलाफ, अशिक्षा के खिलाफ, स्त्री-पुरुष के ग़ैर बराबरी के समाज के खिलाफ। युवाओं में कला और संस्कृति के प्रति रुझान पैदा करने, उन्हें स्वावलंबी बनाने और संगठित विश्वास की जकड़न से मुक्त कराने के उद्देश्य से क़दम कला केंद्र की भी स्थापना की।
वस्तुतः कदम एक आंदोलन है, “समग्र उत्तरदायित्व बोध” को अन्तस में उतारने का, ताकि हम सीमित से समग्र हो जायें । क्योंकि जब हम समग्र होंगे तभी सम्पूर्ण प्रेम का जन्म होगा । यह कोई क्रमबद्ध लम्बी प्रक्रिया नहीं है । यह एक घटना है, जो किसी भी समय हमारे भीतर घट सकती है ।
इस विश्वास के साथ कि ‘‘एक पौधा विश्व में शान्ति ला सकता है’’, 17 जुलाई 2004 से जन्म दिवस पर पौधारोपण अभियान का आंदोलन शुरू किया गया । इस तारीख़ से आज़ तक, क़दम समय ठीक 10 बजे (एक सेकंड भी ऊपर-नीचे नहीं) रोज़ पौधा लगाते आ रहे हैं योगेश गनोरे । जी हाँ इन शख्स का नाम है योगेश गनोरे ।
यदि ये किसी कारण अपने गृहनगर जबलपुर से बाहर जाते हैं तो एक गमला और पौधे साथ ले जाते हैं, ताकि इस अभियान में कोई व्यवधान न हो । बस में हों या ट्रेन में, सुबह 10 बजे पौधा गमले में लगा देते हैं, जिसे बाद में धरती माँ की गोद में सौंप दिया जाता है ।
इस संघर्ष में पत्नि अंजु ने भी भरपूर साथ दिया । विवाह के पूर्व ही अंजु जी को कैंसर की चुनौती का सामना करना पड़ा । योगेश जी को विवाह पूर्व ही यह बात, पता भी चल गई थी । परंतु उन्होंने फ़िल्म के नहीं, ज़िंदगी के नायक की तरह इस चुनौती का सामना, अंजु जी से विवाह करके और उनका इलाज करवा कर किया । हालाँकि डाक्टर्स ने कहा था कि अब ज़िन्दगी डेढ़ साल से अधिक नहीं बची है, लेकिन इस दम्पत्ति की ज़िद के कारण मौत की हार और ज़िंदगी की जीत हुई । इस घटना को 22 वर्ष गुज़र चुके हैं और अंजु जी हर कदम पर योगेश जी के साथ खड़ी हैं ।
लेकिन चुनौती इतनी ही नहीं थी । अब डाक्टर्स ने अंजु जी को गर्भधारण के लिये मना किया पर अंजु जी ने इस चुनौती को भी स्वीकार किया और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया । परंतु नियति को कुछ और मंज़ूर था । कुछ समय बाद इस दम्पत्ति पर दुरूख का पहाड़ टूट पड़ा, क्योंकि उनके पुत्र ने अल्पायु में ही इस दुनिया से विदा ले ली । योगेश जी ने इस दिन भी क्रम नहीं टूटने दिया और निर्धारित समय सुबह 10 बजे पौधारोपण करने के बाद ही अपने लाड़ले को अंतिम विदाई दी । इस दम्पत्ति की ऐसी ही परीक्षा एक बार और हुई, जब दूसरे पुत्र को भी नहीं बचाया जा सका । बहुत मुश्किल पल रहे होंगे वो । परन्तु योगेश जी इस बार भी अपने संकल्प पर क़ायम रहने में सफल हुए ।
अब डाक्टर्स ने पुन: गर्भधारण के लिये मना किया. परंतु अंजु जी कहाँ मानने वाली थीं । एक बार फिर जिद की जीत हुई और प्यारे बेटे समग्र का आगमन हुआ । योगेश जी और उनके साथी क़दम मित्र एक और महत्वपूर्ण अभियान को अंज़ाम दे रहे हैं और वह है - ‘बीजारोपण अभियान‘ । इस अभियान के अंतर्गत स्कूलों में जा कर लगभग 1 लाख बच्चों को प्रतिवर्ष बीज वितरित किये जाते हैं और उन्हें इनको अंकुरित करने की विधि भी समझाई जाती है । बच्चे, इन बीजों को अपनी कोमल भावनाओं से सींच कर पौधे के रूप में विकसित करते हैं और वर्षांत में हज़ारों की संख्या में जबलपुर स्टेडियम में एकत्र होते हैं । वहाँ इन बच्चों को प्रोत्साहन स्वरूप अनेक पुरस्कार, जैसे मैटेलिक एग्ज़ाम बोर्ड्स, लगभग 100 साइकि़लें और पहला इनाम - उच्च शिक्षा के लिये 1 लाख रुपये की फ़िक्स्ड डिपॉज़िट की राशि और लैपटॉप भी दिया जाता है ।
उल्लेखनीय है कि क़दम संस्था ने इतने वर्षों में अभी तक सरकार से कोई सहयोग नहीं लिया है । इसके सभी कार्य क़दम मित्रों और जन साधारण के सहयोग से होते हैं । जन सहयोग से ही जबलपुर रेलवे स्टेशन के बाहर एक पौधे की रक्षा के लिये ‘गोल्ड ट्री गार्ड’ भी लगाया गया है । गोल्ड का ट्री गार्ड लगाने का मक़सद है, लोगों तक यह संदेश पहुँचाना कि “सोना” अत्यंत मूल्यवान होता है, परंतु उससे भी अधिक मूल्यवान हैं हमारी साँसें । और जब युद्ध की विभीषिका समाप्त हो जायेगी तो ये साँसें “चैन की साँसों” में तब्दील हो जायेंगी ।
बीजारोपण का यह अभियान देश के 26 सभी राज्यों की राजधानियों और दिल्ली के स्कूली बच्चों तक पहुँचाया गया है । इस अभियान के अंतर्गत एक बस से 26 राज्यों में लगभग 44000 किलोमीटर की यात्रा दो दौर में की गई । पहले दौर में बीज बाँटे गये और दूसरे दौर में इन बच्चों द्वारा विकसित पौधों का निरीक्षण किया गया । बच्चों से यह भी लिख कर बताने को कहा गया कि वो कैसी दुनिया चाहते हैं ? योगेश जी का मानना है कि हम बच्चों की दुनिया बनाने में असफल हो गये हैं । हम यदि उनके अनुसार दुनिया बनाने में कामयाब हो जाते हैं तो वह प्रेम, सद्भाव और शांति की दुनिया बनेगी ।
पौधारोपण के इस अभियान में अभी तक जबलपुर में लगभग 2 लाख 18 हज़ार स्त्री-पुरुष सम्मिलित हो चुके हैं और जबलपुर के दैनिक पौधारोपण कार्यक्रम के अतिरिक्त भोपाल, पटना, छिंदवाड़ा, सागर, बालाघाट, गाडरवारा, दमोह, इंदौर, प्रयागराज एवं जबलपुर के 3 और स्थानों में साप्ताहिक पौधारोपण के कार्यक्रम निरंतर जारी हैं ।
“युवा कदम” मित्र प्रति वर्ष सरकारी स्कूलों में गरीब विद्यार्थियों के लिये“समर कैम्प”का आयोजन करते हैं । जिसमें विभिन्न विधाओं नृत्य, गायन, अभिनय, कैलीग्राफ़ी, अंग्रेज़ी भाषा आदि का प्रशिक्षण निरूशुल्क दिया जाता है ।
कदम का एक और अभियान है “अंशरोपण”, जो धीरे-धीरे परम्परा का रूप लेता रहा है । जैसे प्रतिदिन पौधारोपण के अभियान को जन्म से जोड़ा गया है,उसी प्रकार से मृत्यु को भी पौधारोपण से जोड़ने का प्रयास अंशरोपण है । जब हमारे स्वजन इस दुनिया से विदा ले लेते हैं तो उनके दाह संस्कार से प्राप्त मुट्ठी भर पवित्र भस्म को उनके परिजनों की उपस्थिति में एक गमले में खाद और मिट्टी के साथ मिलाया जाता है और उसमें परिजनों द्वारा एक बीज का रोपण किया जाता है ।
भावनात्मक पक्ष
15-20 दिनों के बाद उस बीज से अंकुरित हो कर एक नन्हा सा पौधा जन्म लेता है । जिसमें खाद पानी मिट्टी के साथ-साथ उस पवित्र भस्म के अंश की मौजूदगी भी रहती है और हम इस अहसास से भर जाते हैं कि हमारे प्रिय जन अब इस पौधे के रूप में हमारे साथ हैं और उन की स्मृतियाँ एक वृक्ष के रूप में सदैव जीवित रहने वाली हैं ।
वैज्ञानिक पक्ष
राख में Calcium Carbonate (CaCO3) प्रचुरता में होता है जो कि acidic soils के लिए वरदान है । इसके अलावा राख में Potash (K) तथा Phosphates (PO4) भी होते हैं जो पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक हैं ।
दर असल हमारा शरीर पंच तत्वों - धरती, पानी, अग्नि, वायु और आकाश से बना है । अंश रोपण के माध्यम से यह, पाँचों तत्वों में विलीन हो कर वृक्ष के रूप में हमारे बीच रहता है ।
कदम संस्था द्वारा एक नये अभियान - “आओ शहर को नीम से ढँक दें” की शुरुआत की गई है । इस अभियान के अंतर्गत अगले चार वर्षों में एक लाख विकसित नीम के पेड़ शहर में लगाने का संकल्प है । “कदम” का यह गौरवमयी 28वाँ वर्ष है और यात्रा निरंतर जारी है ।
जानकारी स्त्रोत
- राजीव चतुर्वेदी, समन्वयक, कदम संस्था ।
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