गौपालन पर नोटिस बना बवाल ! शहर में खुलेआम घूम रहे आवारा पशु लेकिन गौमाता से हो रही गंदगी ? ये कैसा फरमान ?





    

देवास में क्या अब गोपालन पर तमगों के मास्टरमाइंड डिजाइनर व प्रोजेक्टर की कु दृष्टि?

भारत सागर / देवास/पंडित अजय शर्मा/-।  जिले में गौमाता से संबंधित कई मुद्दे गरमा रहे हैं। चाहे वह टोंकखुर्द के देवली में गौकशी का मामला हो या फिर एक नेताजी द्वारा पूर्व में अपना बछड़ा गुम हो जाने वाला बवाल हो ! इस मामले में पहले से ज्यादा अब लोकप्रियता हासिल की थी। लेकिन इन्हीं से अलग एक और मामला शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है, वह है गौपालन कर रहे एक व्यक्ति को निगम का नोटिस !  

विगत लगभग दो वर्षों से देवास में हर काम में कभी प्रदेश में तो कभी देश में  प्रथम, अव्वल, कायाकल्प, रिवार्ड, अवार्ड जैसे विजेता पुरुस्कारों के तमगे बहुत मिल रहे हैं! आखिर क्यों और कैसे? अब तमगों के मिलने का क्यों और कैसे वाला विषय आम जनता के दिलों दिमाग से होता हुआ शहर जिले में हर गली मोहल्लों सहित राजनीतिक गलियारों से पत्रकारों और हर व्यक्ति द्वारा चोराहो,पान की गुमटीयो पर जोरो से चर्चा का विषय बना हुआ है! इस विषय को लेकर जनता के दिलों दिमाग में रह रह कर जोर-जोर से कई सवाल भी उठ रहे हैं! आखिर अब ये तमगों के डिजाइनर व प्रोजेक्टर शहर में गोपालकों में डरावना खौफ उत्पन कर कौन सा तमगा लाना चाहते हैं? आखिर क्यों निगम से गौपालको को साफ सफाई की आड़ में  गौपालन करना डरावना व  गैरकानूनी होने का फरमान जारी करवाया जा रहा है ? क्यों इनको साफ सफाई की अपनी जिम्मेदारी में अब गौपालन गैरकानूनी व बाधा लग रहा है? आपसे पूछती है आम जनता?


अरे साहब आपसे जवाब पूछती है आमजनता?

             कि जब देश के मुखिया से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक गोपालन व संरक्षण पर जोर दे रहे हैं , तो आपका कौन सा तमगा गोपालन से रुका हुआ है? क्या आप अंजान हैं कि केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार तक गोपालन व संरक्षण के लिए अनुदान राशि देकर गोपलकों का सहयोग व प्रोत्साहन कर रही है, तो उनको गोवंश की गंदगी नहीं दिखाई दे रही हैं? क्या ये तमगों के जादूगर शौकीन लालची भेड़ियों को नहीं मालूम कि केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार तक जगह जगह गोशालाओं का निर्माण सरकारी भूमि व पैसे से करवाकर गोमाता को सुरक्षित व संरक्षित कर रही रही है? क्यों आपको हर गली मोहल्लों व चोराहों पर लगी मांस मटन चिकन की खुलेआम चल रही दुकानें आपके तमगा लाने में सहायक है? और क्या हर गली मोहल्लों व कालोनियों तथा मेन रोड पर सरेआम घूम घूम कर गंदगी फैलाने वाले कुत्ता, बिल्ली, सुअर, बकरा बकरी, मुर्गा मुर्गी आपके  स्वच्छता व विकास में बराबर के भागीदार है? जो आपको आस्था विश्वास व भावनाओं से जुड़ी गौमाता  का पालन संरक्षण गैरकानूनी लग रहा है? साहब पूछती है आमजनता?



               अब इन तमगों के मास्टरमाइंडों को गौपालन, क्या साफ सफाई व विकास में गैरकानूनी व बाधा लगने लगी है? तो साहब क्या ये इतने अवैध व गैरकानूनी अवैध व अनुमति व नक्शे के विपरीत तथा सरकारी भूमि पर कब्जा कर अवैध बहुमंजिला व्यवसायिक निर्माण के भूमाफियाओं  का कारोबार शहर से जिले तक बेख़ौफ़, खुलेआम, दिनदहाड़े,धड़ल्ले से ये सब भी कहीं ना कहीं आपकी सरपसती में आपकी मर्जी से ही तो नहीं चल रहे साहब? इतना ही नहीं जुआ सट्टा, सहित अवैध नशीले मादक पदार्थो, गांजा,चरस,अफिम, ब्राउन शुगर, ड्रग्स, के लिए सुरक्षित व व्यवस्थित गढ़ बना हुआ है, क्या ये सामाजिक बुराई व देश के भावी भविष्य कहें जाने वाली युवा पीढ़ी को खत्म व बर्बाद करने वाला काला कारोबार आपके कार्यकाल को स्वर्णिम बनाने में सहयोगी है? और वहीं आपको गौवंश वध,गौवंश का अवैध  ट्रांसपोर्ट,गौवशं हत्या, गौमांस सप्लाई, और सुअर पालन व अवैध सप्लाई, सहित खुलेआम, दिनदहाड़े, बेख़ौफ़ होकर गली गली मोहल्लों व चोराहों चोराहों पर मांस मटन चिकन मछली की दुकानों से क्या देवास में  विकास व स्वच्छता सुंदरता का होलोग्राम का तमगा मिलता है? आखीर क्यों और किस लालच में अवैध कारोबार को लाइसेंस दिये जाते हैं? आखिर क्यों स्थानीय पुलिस व शासन-प्रशासन सहित नूरा कुश्ती में माहिर पक्ष-विपक्ष के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि , जो जनहित व शासन हित में इस गंभीर व आवश्यक विषयों पर अपना कड़ा रुख नहीं अपनाते? आखिर क्यों इनको साफ सफाई की अपनी जिम्मेदारी में गौपालन गैरकानूनी व बाधा लग रहा है? पूछती है आमजनता?

                  अरे साहब आपसे पूछती है आमजनता ,  कि क्या इन्हीं तमगों की आड़ में प्रमोशन के लालची आम जनता की आस्था, भावनाओं व विश्वास के साथ साथ , यहां तक की मुख्य मंत्रीतक की मंशा व आदेशों को भी ताक पर रख दिए हैं ? क्या आमजनता व मुख्यमंत्री तक के विपरीत जाकर और खुद जिम्मेदारी साफ सफाई की आड़ में इस महत्वपूर्ण  बेजुबान को आवारा पशुओं में गिनती कर पालने व घूमने पर रोक लगाना चाहते हैं? क्या निगम के जिम्मेदार व राजनीतिक दलालों की ये टोली देश की आत्मा , आस्था, भावनाओं सहित विश्वास का हत्यारा बनकर अव्वलता का कौन सा तमगा पाना चाहता है?, क्या इन तमगों के भूखे भेड़िए नहीं जानते की आस्था व भावनाओं से आत्मा तक शास्त्रों में देवी-देवताओं सहित ऋषि मुनियों ने जिसकी पूजा-अर्चना , दान , स्पर्श मात्र तथा दर्शन मात्र ही देवी देवता अपनी पूजा मान स्विकारते है? क्या इन निजी स्वार्थ के लालची नहीं जानते की उपचार में भी जिसका दूध से लेकर मूत्र व गोबर तक अब तो सांइस भी इसे आयुर्वेद दवाई के रुप में मान्य कर चूका है? क्या इन तमगों के नशेड़ियों को नहीं पता की जिसे हर इंसान गौमाता कहता है, कामधेनू के रुप में पूजता है ? आज इन तमगों की जमात को अपने ही घरों में गली मोहल्लों में,गौपालना भी नहीं जम रहा है? क्या इन स्वार्थी संकीर्ण व भ्रष्ट मानसिकता वालों को उच्चाधिकारियों व स्थानीय  या प्रदेश के किसी जिम्मेदार राजनेताओं ने ऐसा करने का षडयंत्र रुपी आदेश दिया है? जिसके चलते नगरनिगम से निजी स्वार्थ के तमगा लालची भेड़ियों ने गौपालकों के मन मस्तिष्क में गौपालन को डरावने अपराध की तरहां खौफ पैदा करने के लिए  ईमानदार श्रद्धा व आस्था से पालने वाले गौपलक को  वैधानिक कार्रवाई का फरमान जारी कर दिया? सोशल मीडिया से प्रिंट मीडिया तक इस कुकृत्य की नींदा होते देख, निगम अधिकारी मुकर गये !और  साफ सफाई के लिए सामान्य सूचना पत्र बताकर टालने में लगे हैं! वहीं जिम्मेदार जनप्रतिनिधि खासकर भाजपाई इस विषय पर कुछ नहीं बोलकर जनता जनार्दन के बीच सवालों के घेरे में है!



निगम का तानाशाही फरमान , गौपालको के हलक में आई जान!

                 वर्षों से मां चामुंडा की पावन नगरी देवास यहां का इतिहास रहा है कि दो राजाओं ने बड़े ही समन्वय के साथ  अपना  अपना राजशासन स्थापित कर संचालित किया ,जो एक मिसाल बना,। वहीं आज की परिस्थिति को देखा जाए तो बाहर से आने वाले अधिकारियों का आपस में ही समन्वय नहीं है। अपनी ढफली अपना राग अलापने में लगे हुए हैं। ऐसा ही एक मामला देवास नगर निगम का सामने आया है।

            देवास नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पवन माहेश्वरी ने सिविल लाइन निवासी एक गौ पालक एडवोकेट आशुतोष यादव जो कि अपने घर पर गायों की सेवा करते हैं ।और उनके खाने पीने आदि की भी पर्याप्त व्यवस्था घर पर ही करते हैं,। उन्हें निगम द्वारा नोटिस जारी किया गया है। इस नोटिस में लिखा गया है कि ““आपके द्वारा अपने पालतु दुधारू पशुओं को बाड़े में ना बांधकर शासकीय भूमि पर बांधा जा रहा है। इस कारण उनके मलमूत्र से गंदगी एवं यातायात अवरुद्ध हो रहा है। आपका यह कृत्य म.प्र. नगर पालिक अधिनियम 56 धारा 216, 358, 340 में अपराध होकर इसी विधान में दण्डनीय है। पत्र के माध्यम से यादव को सूचित किया गया है कि वे अपने पालतु पशुओं को शासकीय सडक़ पर बांधना तत्काल बंद करें तथा 3 दिन के अंदर अपना जवाब प्रस्तुत करें, अन्यथा आपके विरुद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की जावेगी““।

गौपालक का नगरनिगम को सही भौतिक सत्यापन के आधार पर!

        उधर नोटिस मिलने के बाद श्री यादव ने नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पवन माहेश्वरी को लिखित जवाब पत्र  में उन्होंने पूर्ण सत्यता  स्पष्ट लिखित जवाब  दिया , यादव ने जवाब में लिखा  कि आपने नोटिस में लिखा है कि वे अपने पालतू दुधारू पशुओं को बॉडे से ना बाँधकर शासकीय भूमि पर बाँध रहे है, जो सरासर असत्य एवं निराधार है। क्यों कि आपके द्वारा बगैर किसी भौतिक सत्यापन के उक्त सूचना पत्र जारी किया गया है। जबकि वास्तविकता यह है कि मेरे द्वारा मेरे स्वामित्व की भूमि में ही गाय को बाँधा जा रहा है। जो शासकीय भूमि नहीं है। गौ माता का संरक्षण करने के आशय से मेरे द्वारा मेरे स्वामित्व की भूमि पर गायों का पालन पोषण किया जा रहा है। इतना ही नहीं, यादव ने अपने पत्र में यह तक लिखा है कि यदि नगर निगम सीमा में गायों का पालना प्रतिबंधित है तो इस संबंध में आदेश पत्र देवे।         

निगम का फरमान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों के कमेंट्स!

             अधिकारी के नोटिस और एडवोकेट द्वारा दिए गए जवाब की प्रतियां सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। इसके बाद सोशल मीडिया पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के मौन पर भी उंगली उठाई जा रही है,खासकर भाजपाई सवालों के घेरे में हैं। इतना ही नहीं चर्चा तो यह भी चल पड़ी कि जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान गायों के संरक्षण हेतु प्रयासरत हैं ।और देसी गायों को पालने वालों को ₹900 प्रति माह आर्थिक सहयोग कर रहे हैं, वहीं देवास की नगर निगम गाय पालकों को परेशान क्यों कर रही है? सोशल मीडिया पर इसके बाद कई लोगों ने अपना अपना विरोध दर्ज कराते हुए लिखा कि नगर निगम द्वारा मुख्य मार्ग पर से जो गाय हटाई गई वहां तक तो ठीक है, लेकिन कॉलोनी के अंदर जो लोग व्यक्तिगत पैसा खर्चा कर अपने घरों में गाय पाल रहे हैं, उनके लिए भी अब गाय पालना कष्टप्रद हो गया है? यह भी प्रश्न किया गया है कि जो लोग पालतू कुत्ते पालते हैं , उनके कुत्ते कॉलोनी में घूमते हैं और गंदगी फैलाते हैं, उन पर क्या कार्रवाई हुई? जो लोग घर पर गायों की सेवा कर रहे हैं, उनके साथ इस प्रकार का कृत्य आपत्तिजनक है? कई लोगों का कहना था कि सडक़ पर कुत्ते, बिल्ली, सुअर  तथा बकरा-बकरी, मुर्गा-मुर्गी पाले जा रहे हैं जिनकी वजह से पूरे क्षेत्र में भारी गंदगी फैली रहती है बदबू उड़ती रहती है, लेकिन नगर निगम को गाय से ही क्यों आपत्ति है? पशु चिकित्सकों द्वारा यह बात भी सामने आई है कि गाय को घूमना फिरना भी जरूरी है , अन्यथा उनके पैरों के खुर बढ़ जाते हैं और वो रोग ग्रस्त हो जाती हैं।

अवैध मांस विक्रेताओं पर ये निगम के लालची क्यों मेहरबान?

            नगरनिगम का ध्यान देने योग्य तो ये गंभीर विषय  है कि, अभी भी सडक़ों पर आवारा कुत्ते, सुअर, बकरा बकरी, मुर्गा मुर्गी घूम रहे हैं, जो वाहन चालकों आम जनता के लिए परेशानी एक्सीडेंट व झगडे का कारण बनते हैं। साथ ही साथ पूरे शहर में अवैध रूप से मांस,मटन,चिकन के विक्रय केंद्र बने हुए हैं जो नगर निगम अधिनियम 1956 के नियमों का खुला उल्लंघन है। इन धृतराष्ट्र बने लालची भ्रष्ट अधिकारियों को यह दिखाई नहीं देता की मांस विक्रय केंद्र, शहर के निर्धारित एक स्थान पर ही किया जाना विधान में लिखा गया है। विधान के विपरीत गली-गली चौराहे-चौराहे पर मटन मुर्गे मांस चिकन की अवैध दुकाने अधिकारियों की सांठगांठ से संचालित हो रही है। क्योंकि इन्हें वहां से मोटी रकम वाला चांदी के जूते का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

ग्वालियर कोर्ट ने भी सुनाया था गौपालन पर फैसला!

            पिछले दिनों ग्वालियर कोर्ट में गायों को सडक़ पर बांधे जाने को लेकर एक विध्न संतोषी द्वारा याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह कहा था, कि गायों को रोड पर नहीं तो क्या घरों में बांधा जाएगा। कोर्ट ने कहा था , कि वाराणसी की गलियों में जाओ, वहां गाय का मिलना पवित्र माना जाता है। जब मंदिर जाओ और इनका स्पर्श हो जाए, यह सब भोलेनाथ के दर्शन के लिए जरूरी होता है। अगर गलियों में गाय नहीं बंधेगी तो क्या घर में बंधेगी। यह सब गलियों की खूबसूरती हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि यह हिंदुस्तान है। गाय का बछड़ा दिख जाए, तो आदमी अपने आपको भाग्यवान समझता है। उस पर भी यदि दूध पीता हुआ बछड़ा दिख जाए तो फिर क्या कहना और तुम इनको भगाना चाह रहे हो। कोर्ट ने कहा कि सडक़ों की साफ सफाई का जिम्मा नगर निगम का है। यह निगम को ध्यान देना होगा कि वे लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सफाई व्यवस्था मुकम्मल रखें।

नगर निगम स्वास्थ्य अधिकारी जो अपने पत्र में लिखी बात से मुकरे !

             एडवोकेट यादव को जारी किए गए पत्र में स्पष्ट लिखा गया है कि उनके द्वारा पालतू पशु को बाड़े में न बांधकर शासकीय भूमि पर बांधा जा रहा है, लेकिन जब इस संबंध में निगम स्वास्थ्यअधिकारी माहेश्वरी से चर्चा की गई तो उनका यह कहना था कि हमने सभी को सामान्य सूचना पत्र जारी किए हैं, जिसमें लिखा है कि शासकीय स्थान पर गायों को न बांधे। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारी ने या तो पत्र को ठीक ढंग से पड़ा नहीं या फिर वे पत्र लिखकर भूल गए हैं।

 जाने डॉ. पवन महेश्वरी के बारे में!

               नगर निगम के जानकार सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार डॉ. पवन महेश्वरी को नगर निगम में मुख्य रूप से कुत्तों की नसबंदी के लिए पदस्थ किया गया था। क्यों कि पशू चिकित्सालय में पशु-चिकित्सकों के पास गौशालाओं, पालतू जानवरों सहित आम लोगों के पालतू जानवरों तथा गौशालाओं में भी जाकर गौमाता के स्वास्थ परिक्षण व इलाज से ही इतने व्यस्त रहते हैं की उनके पास समय का अभाव रहता है। इसी के साथ प्रायवेट कोई भी कुत्तों की नसबंदी करने को तैयार नहीं होने से डॉ. पवन महेश्वरी को कुत्तों की नसबंदी के लिए पदस्थ करना पड़ा। लेकिन महेश्वरी की मानसिकता को पढ़कर निगम के डिजाइनर आयुक्त ने डा. महेश्वरी को स्वास्थ विभाग अधिकारी बनाकर विभाग से संबंधित सभी कार्य सोंफ दिये ।और साथ में अपने विश्वसनीय भी रख दिए। हालांकि प्राप्त जानकारी अनुसार डॉ महेश्वरी की शिक्षा (B V SC and A H. M V Sc.  Medicine veterinary) है ।

और अंत में !

              ईमानदारी व श्रद्धा से गौपालन करने वालों को नोटिस जारी कर दिया गया, जो नगरनिगम में  स्वास्थ्य विभाग अधिकारी  डॉ.पवन महेश्वरी द्वारा जारी किया बताया जा रहा है। अब जनता के दिलों दिमाग में कई सवाल रह रह कर ये उठ रहें हैं कि

        क्या नगर निगम में बिना आयुक्त व बिना प्रशासक के मर्जी व लिखित या मौखिक आदेश के बगैर ही डा. पवन महेश्वरी इतने संवेदनशील विषय गौमाता के पालन पर सवालिया फरफान जारी कर सकते हैं? वो भी उस नगरनिगम से जहां बिना जिम्मेदार के पत्ता भी नहीं हिलता?

              अब देखना यह होगा कि क्या फरमान पर आयुक्त व बिना प्रशासक कोई एक्शन लेते हैं या नहीं ? और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि वो भी जनता की नजर खासकर मुख्य धारा के भाजपाईयों की प्रतिक्रिया पर टकटकी लगाए बैठे हैं, क्यों कि भाजपा गौमाता के लिए बहुत आगे आती है या मौन साध कर अधिकारियों के द्वारा जारी फरमान का सहयोग करती है। चुनाव नजदीक है जनता सब जानती है और सबको पहचानती भी है। ये नए भारत की जनता है साहब भूलती नहीं है।

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