जिला अस्पताल में चार दिन के नवजात बच्चे की उपचार के दौरान हुई मौत.......

बच्चे की माँ व परिजनों ने लगाए आरोप : देवास जिला चिकित्सालय बहुत खराब है 



देवास। पिछले कुछ दिनों पूर्व दो दिन की बच्ची जिला चिकित्सालय से चोरी हो गई थी, जो अभी तक नहीं मिली है। बच्ची के परिजनों ने उस दौरान भी अस्पताल की व्यवस्थाओं को जिम्मेदार बताया था। अब चार दिन के एक बच्चे की शुक्रवार दोपहर में अस्पताल के एनआईसीयू वार्ड में उपचार के दौरान मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन व डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप लगाए। वहीं अस्पताल के मुख्य द्वार पर काफी देर तक मृत बच्चे को लिए उसकी माँ व परिजन काफी देर तक बैठे रहे थे। इस बीच मृत शिशु कि माँ की तबीयत भी खराब होने लगी लेकिन अस्पताल की व्यवस्थाओं से नाराज महिला ने उपचार कराने से मना कर कहा कि मैं और कहीं उपचार करा लूंगी लेकिन देवास के जिला चिकित्सालय में नहीं कराऊंगी। सूचना मिलते ही मौके पर नगर पुलिस अधीक्षक व डीएसपी पहुंचे और परिजनों को समझाईश देकर एंबुलेंस से उनके गांव रवाना कर दिया था। 


 

गत 9 मई को जिला अस्पताल में उषा पति राकेश कुशवाह निवासी कुसमानिया तहसील कन्नौद ने शाम करीब 6.27 मिनट पर ऑपरेशन से एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था। मृत शिशु की मां ने बताया कि मेरे बच्चे को तीन दिन से बहुत तेज बुखार आ रहा था। तीन दिन तक लगातार उसे आईसीयू रुम में ले गए चेक करके डॉक्टर बोल देते ठीक ठाक है। टीके के कारण बुखार आता है और हमें वहां से भगा देते। शुक्रवार करीब 12 बजे मेरा बेटा मर गया। पति वाहन चलाकर मजदूरी करते है। हम गरीब परिवार से है। हमारे बच्चे को प्रायवेट अस्पताल भी नहीं ले जाने दिया। पीडि़त मां ने यह भी कहा कि नर्स बॉटल लगने के बाद भी काफी समय तक बुलाने पर भी नहीं आती है। मेरे हाथ में सुई के कारण सूजन तक आ गई। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर नगर पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह चौहान, डीएसपी किरण शर्मा, कोतवाली थाना प्रभारी महेन्द्र सिंह परमार सहित महिला पुलिस बल पहुंचे थे। 



माँ व परिजनों ने लगाए आरोप

मृत शिशु की माँ ऊषा ने बिलखते हुए कहा कि यह अस्पताल बहुत खराब है, यहां पर नर्स मरीजों का ध्यान तक नहीं रखती है। उन्होनें कहा कि उनकी यह दूसरी डिलेवरी थी पहली भोपाल के शासकीय अस्पताल में हुई थी जहां 2 जुडवा बच्चे पैदा हुए थे, उस दौरान किसी ने ऑपरेशन का पैसा नहीं लिया था। लेकिन यहां पर डिलेवरी का रूपया 400 सौ रूपए देने के बाद भी मेरा बच्चा नहीं बचा। उन्होनें बताया कि हमने जब निजी अस्पताल में बच्चे को ले जाने के लिए कहा तो नर्सों ने मना कर दिया और कहा कि यहां पर बच्चे चोरी हो रहे हैं। जिस पर उन्होनें कहा कि हम क्या बच्चे चोरी करने वाले दिख रहे है। उन्होनें अस्पताल पर आरोप लगाते हुए कहा कि ना तो मेरे बच्चे की किसी प्रकार से जांच करवाई ना ही ठीक से उपचार किया गया। हमने पहली बार देखा देवास का ऐसा अस्पताल। 



मैं इलाज देवास में नहीं कराऊंगी 

जब शिशु की माँ की तबीयत अचानक से खराब होने लगी तो उसे अस्पताल में उपचार के लिए ले जाने लगे उस दौरान मृत बच्चे की माँ ऊषा ने उपचार कराने के लिए मना कर दिया। उसने आरोप लगाते हुए कहा कि जब मेरे बच्चे की मौत यहां हो गई तो मैं यहां पर अपना इलाज नहीं कराऊंगी। बच्चे की माँ को मौजूद महिला पुलिस ने भी समझाया लेकिन उसने कहा कि मैं अपना उपचार कहीं भी करा लूंगी लेकिन देवास के जिला अस्पताल में नहीं कराऊंगी। 

इनका कहना :

अस्पताल में इनका इलाज चल रहा था तो इनके बच्चे की मौत हो गई थी। इनको शंका थी जिसके लिए इन्हें पीएम कराने के लिए भी कहा गया था ताकि जांच की जा सकेगी।  

   नगर पुलिस अधीक्षक, विवेक सिंह चौहान


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