महिलाओं ने दशामाता का व्रत रखकर की पूजा-अर्चना, घर-घर आकर महिलाओं ने लगाए हल्दी और कंकू के छापे | Dasha Mata Poojan/Sonkatch



विजेन्द्र नागर सोनकच्छ

सोनकच्छ में रविवार को दशामाता का त्यौहार होने की वजह से महिलाओं ने व्रत रखकर की पूजा-अर्चना। नगर में महिलाओं द्वारा दशामता पर्व होने की वजह से नगर की महिलाओं द्वारा एकात्म व्रत रखकर पीपल की पूजा की गई। सुबह से ही नगर के पीपल के पेड के नीचे महिलाएं बडी संख्या में पहुंचकर पूजा अर्चना करती हुई देखी गई। नगर सोनकच्छ एवं आसपास के ग्रामों में भी महिलाओं ने दशामाता की बडी संख्या में पूजा-अर्चना की।

            चैत्र कृष्ण की दशमी के दिन कच्चे सूत का 10 डोर लेकर महिलांए पीपल की पूजा करती है। महिलांए डोर से पीपल की पूजा करने के बाद पूजनस्थल पर नल-दमयंती की कथा सुनती हैं। पूजा और कथा सुनने के बाद महिलांए इस डोरे को अपने गले में धारण करती है। इसके बाद महिलांए अपने घरों पर हल्दी और कुमकुम के छापे लगाती है। महिलांए दिन में एक समय ही भोजन करती है। इस दिन भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन घर की साफ-सफाई के लिए झाडू खरीदने का विधान है। यह व्रत जीवनभर किया जाता है। इस व्रत का उद्यापन नहीं किया जाता है।

      शास्त्रों के अनुसार ऐसा मानना है कि इस व्रत को करने से मनुष्य की विपरीत परिस्थिति उसके अनुकूल हो जाती है। शास्त्रों में दशामाता व्रत के बारे में जानकारी मिलती है। इस व्रत को पूरे विधि विधान के साथ किया जाता है। दशामाता का व्रत महिलांए रखती है। इस व्रत को मुख्यरूप् से घर में चल रहे बुरे समय को दूर करने के लिए किया जाता है। इस दिन महिलांए कच्चे सूत का डोरा लाकर डोरे की कहानी कहती है। दशामाता पूजन के दौरान महिलांए पीपल की पूजा कर 10 बार पीपल की परिक्रमा करते हुए उस पर सूत लपेटती है। इसके साथ डोरे पर 10 गांठ लगाकर महिलांए गले में धारण करती है। इसलिए शास्त्रों में कहा जाता है कि दशामाता का व्रत विधि विधान से करने से घर से बुरा समय चला जाता है तथा परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है।

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