वाहनों को फर्जी तरीके से पंजीकृत कराकर विक्रय करने के अपराध में हुई सजा ......
देवास। जिला अभियोजन अधिकारी राजेन्द्र सिंह भदौरिया ने बताया कि फरियादी द्वारा पुलिस अधीक्षक को इस आशय का आवेदन प्रस्तुत किया था कि जिला परिवहन कार्यालय में जाकिर, जमालुदद्ीन, मेहमूद, मकसूद, अजहरूद्दीन तथा मजहरूद्दीन के द्वारा चोरी के वाहनों, टैक्स में बकाया वाहनों एवं फायनेंस के वाहनों जिन पर फायनेंस की राशि बकाया है, उन वाहनों को बड़ी आसानी से जिला परिवहन कार्यालय में फर्जी तरीके से पंजीकृत कराकर नये नंबर प्राप्त किये जाते है और तत्पश्चात उन समस्त वाहनों को हमीदुल्ला के द्वारा अन्य शहर या अन्य राज्य में एनओसी जारी करवाकर विक्रय कर दिया जाता है। इन वाहनों में वाहन क्रमांक एमपी 41-जीए-1695, एमपी 41-जीए-1760, एमपी 41-जीए-1761, एमपी 41-पी-0779 को फर्जी सेल लेटर एवं फर्जी एनओसी के आधार पर पंजीकृत करवाकर विक्रय कर दिया गया है। उपरोक्त समस्त वाहनों को दिनांक 8 जनवरी 2015 को रजिस्टर्ड कर उसी दिनांक को एनओसी जारी कर वाहन अन्य शहर एवं राज्य में रजिस्टर्ड करवाये गये। फरियादी का उक्त आवेदन जांच हेतु पुलिस थाना सिविल लाईन भेजा गया था तथा जांच उपरांत आरोपीगण के विरूद्ध अपराध क्रमांक 14/2016 दर्ज कर प्रकरण विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत उक्त आरोपीगण के विरूद्ध अंतर्गत धारा 420, 467, 468, 471 के अंतर्गत दण्डनीय अपराध सत्र न्यायालय द्वारा विचाराणीय होने से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मामले को विचारण हेतु सत्र न्यायालय को उपार्पित किया, जहां प्रकरण सत्र प्रकरण के रूप में पंजीबद्ध किया गया।
बुधवार 30 मार्च को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश नीरज शर्मा ने निर्णय पारित करते हुये आरोपी सैय्यद मीर जाकिर अली को धारा 120(बी), 468, 420, भादसं में क्रमश: 3-3 वर्ष के सश्रम कारावास से दण्डित किया तथा उक्त धाराओं में 15000/- के अर्थदण्ड से दण्डित किया एवं धारा 467, 471 भादसं में क्रमश: 7-7 वर्ष के सश्रम कारावास से दण्डित किया तथा उक्त धाराओं में 20000/- के अर्थदण्ड से दण्डित किया। उक्त प्रकरण में शासन की ओर से सुधीर नागर जिला लोक अभियोजक द्वारा प्रकरण का कुशल संचालन किया गया।
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