नापतोल विभाग का बिगड़ा संतुलन ? जनता को कम तौलकर देने की सहमति का संदेह? NaapTaul Vibhag
कृषि मंडी ,सब्जी मंडी, उचित मूल्य की दुकान, पेट्रोल पंप, मिठाई, नमकीन वाले तक कर रहे गड़बड़ी !
देवास/पंडित अजय शर्मा/- देवास जिले के अधिकांश ऐसे व्यापारी हैं, जो नापतोल में जमकर गड़बड़ी कर रहे हैं। व्यापारी छोटा हो या बड़ा मुनाफा कमाने में चूक नहीं करता है। नापतौल में गड़बड़ी होने की वजह से आम नागरिक ठगाया जा रहा है जिसकी चिन्ता किसी को नहीं है । नापतौल में गड़बड़ी रोकने का जिम्मा नापतौल विभाग के पास होता है लेकिन यह विभाग यहां पर कब, किस प्रकार से कार्रवाई करता है किसी को पता ही नहीं चलता। विभाग के अधिकारी के पास कोई व्यक्ति जाता है तो एकमात्र कर्मचारी निरीक्षण पर जाने का बोल संबंधित व्यक्ति को समझा-बुझाकर चलता कर देते हैं। अधिकारी कार्यालय में भी नहीं दिखाई देते और बाजार में भी निरीक्षण करते नजर नहीं आते । नापतोल विभाग पर जिला प्रशासन का अंकुश नहीं होने की वजह से यह विभाग निरंकुश हो गया है । विभाग की लापरवाही की वजह से आज चारों ओर नापतौल में गड़बड़ी मची हुई है। कृषि उपज मंडी में व्यापारियों के कांटों से किसान हानि उठा रहे हैं । तोल में गड़बड़ी को लेकर कृषि मंडी में कई बार हंगामे हो चुके हैं। सब्जी मंडियों में दोनों जगह पर खेरची दुकान पर फेरी लगाकर मेहनत व ईमानदारी के साथ धंधा करने वाले छोटे व्यापारियों को सब्जी मंडियों के कांटे करतब दिखा रहे हैं । आढ़तियों की दादागिरी के सामने छोटा व्यापारी विवाद होने से बचने की कोशिश करता है । पेट्रोल पंप पर कम मात्रा में पेट्रोल डीजल देने में पंप के कर्मी अलग कलाकार है। पलक झपकते ही हाथ की सफाई कर देते हैं । कम मात्रा में पेट्रोल-डीजल के मामले में पंपों पर हंगामें हो चुके हैं। यहां तक कि मारपीट तक की नौबत तक भी आ गई है। शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर बांट के अलावा पत्थर तक मौजूद रहता है जो गरीबों के राशन पर डाका डालता है । इतना ही नहीं खाद्य, किराना सामग्री से लेकर मिठाई, नमकीन तक के व्यापारी तौल में गड़बड़ी कर उपभोक्ता के अधिकारियों के सामने खिलवाड़ कर रहे हैं। आश्चर्य का विषय यह है कि नापतौल विभाग क्या कर रहा है? या प्रशासन इस विभाग की गतिविधियों पर नजर नहीं रख पा रहा है ? यही कारण है कि उपभोक्ता ठगे जा रहे हैं और विभाग लापरवाह बना हुआ है ?
देखना होगा कि नापतौल विभाग के कांटे का संतुलन कब सुव्यवस्थित होगा या फिर हमेशा की तरह निरीक्षणों की नौटंकी की बात आमजन में छायी रहेगी ?
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