दुख, विपत्ति, व्यथा और पीड़ा का कारण अज्ञानता है
देवास। श्रीराम मंदिर इटावा पर श्राद्ध पक्ष में आयोजित श्रीमद भागवत को प्रारंभ करते हुए पं. इंद्र भानु प्रसाद द्विवेदी ने कथा का सार का विस्तृत विवरण एवं कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि दुख, विपत्ति और पीड़ा का कारण अज्ञानता है। मृत्यु के समय दुख प्राप्त करने का, नरकी ज्वाला में जलने का, भूत-प्रेतों में भटकने का केवल अज्ञानता है। अंधकार से प्रकाश की ओर चलो, मृत्यु से अमृत की ओर चलो, ईश्वर प्रेम रूप है, प्रेम की उपासना करो। स्वर्ग पैसे से नही खरीदा जा सकता, खुशामद से मुक्ति नही मिल सकती। आत्मा का आत्मा से ही उद्धार कीजिए और अपना कल्याण स्वयं कीजिए। कथा प्रारंभ होने के पूर्व कोरोना महा आपदा के कारण जिन परिवारों ने अपनो को खोया है। कथा स्थल पर लगे चित्रों का उनके परिवार द्वारा विधिवत पूजन किया गया, कथा स्थल पर भागवत महापुराण ग्रंथ को मुकुल बांगर, उदित राव बांगर ने अपने हाथों से ढोल-ढमाकों, भजन-कीर्तन के साथ प्रवेश कराकर व्यासपीठ पर स्थापित कर पूजन किया। श्री राम मंदिर समिति के भेरूसिंह ठाकुर, राधेश्याम कारपेंटर, संतोष सिंह चावड़ा, कैलाश मामा गहलोत, हेमंत चव्हाण, नितीन गांगुर्डे, विजय पांचाल, आकाश बडोला ने पंडित जी का पुष्पमाला से स्वागत किया एवं कथा के मुख्य अतिथि समाजसेवी रामप्रसाद मिश्रा, प्रमोद जाधव, श्याम मामा पाटिल ने कथा में सम्मिलित होकर महाआरती की। कथा 5 अक्टूबर तक प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक चलेगी।
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