जिला चिकित्सालय बना भ्रष्टाचार का अड्डा ? घटिया निर्माण छुपाने के लिए कर दिया डामरीकरण



जिला चिकित्सालय
बना भ्रष्टाचार का अड्डा ? घटिया निर्माण छुपाने के लिए कर दिया डामरीकरण 


देवास। जिला चिकित्सालय के मुख्य द्वार से अंदर लाखों रुपए की बनी सीमेंट कांक्रीट की सडक़ को दो माह भी नहीं हुए और सडक़ उखडऩे लगी थी। सडक़ पर गड्डे ना दिखे जिस पर स्वास्थ्य विभाग ने ताबड़तोड़ सीमेंट की सडक़ पर डामरीकरण कर दिया। वहीं लीपापोती की तो हद हो गई, नाला निर्माण करने में डस्ट का उपयोग किया जा रहा है, जबकि रेत का उपयोग कर निर्माण किया जाना था, किंतु पैसा बचाने की नियत से लीपापोती में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पीएचडी कर रखी है जिससे निर्माण कार्य कुछ दिनों तक टीक पाए वह भी कहना उचित नहीं है। 



महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय के मुख्य द्वार से सीएमएचओ कार्यालय के पहले इमरजेंसी वार्ड के गेट तक अस्पताल के मुख्य मार्ग को सीमेंट कांक्रीट कर नई सडक़ का निर्माण रेडक्रॉस द्वारा कराया गया था। बताया गया है की इसकी निर्माण एजेंसी देवास विकास प्राधिकरण थी। लगभग 25 लाख रुपए की लागत से इस सिमेंटीकृत रोड का निर्माण कोरोना काल के समय किया गया था। सडक़ बने दो माह भी पूरे नहीं हुए और सडक़ निर्माण की पोल खुलकर सामने आ गई थी। सीमेंट के मार्ग पर गिट्टी दिखने लगी गिट्टी निकलते देख कई लोगों ने इस घटिया सडक़ निर्माण पर उंगलियां उठाई थी जिसके चलते प्रशासनिक अधिकारियों ने ठेकेदार को परफारमेंस गारंटी के तहत इसको सुधार करने के निर्देश दिए थे और ठेकेदार द्वारा इस सीमेंटीकृत मार्ग को सुधार करने के लिए इस पर डामरीकरण किया गया। मार्ग का घटिया निर्माण कहीं ना कहीं यह साफ दर्शाता है कि जब निर्माण कार्य चल रहा था तब इसमें लगी सरकारी एजेंसी के इंजीनियर अधिकारी व कर्मचारी निर्माण कार्य को गुणवंता की जांच सही नहीं करते जिससे घटिया काम हो जाता है और उस पर बाद में ठेकेदार द्वारा लीपापोती की जाती है। निर्माण कार्य के समय ही गुणवत्ता की और ध्यान दिया जाए तो ठेकेदार घटिया निर्माण कार्य नहीं कर पाता, लेकिन क्या करें ठेकेदार हो या निर्माण एजेंसी काम के बदले अधिक दाम कमाने की लालच में घटिया कार्य भी बड़ी सफाई से कर जाते हैं। 



यहां भी लीपापोती कर डाली

सीमेंट की सडक़ पर डामरीकरण करने के बाद आसपास बने नालों का कार्य भी किया जा रहा है, लेकिन इस नाले का निर्माण भी कुछ ऐसा हो रहा है की नाले को बनाने के लिए डस्ट का प्रयोग किया जा रहा है। जबकि नियमानुसार यहां पर नाला निर्माण के लिए रेत का उपयोग करना था, किंतु विभाग के आला अधिकारी निर्माण कार्य में पैसा बचा रहे हैं जिससे उनके कार्य की दक्षता सामने दिखने लगी है। 



अस्पताल के गेट के सामने ही पार्किंग

गौरतलब है की अस्पताल में एक पार्किंग बना हुआ था, कोरोना काल के दौरान एक ठेकेदार से यातायात थाना प्रभारी सुप्रिया चौधरी ने लेवल कराने का कहा था, किंतु लेवल नहीं हो पाया बात को हवा हवाई कर दी थी, जिसके बाद आज तक लेवल करने का कार्य अधर में है वहीं पार्किंग वहां से खत्म होने के बाद अब अस्पताल के मुख्य द्वार तक वाहनों का जमावड़ा पुन: शुरू कर दिया गया है। 



खासकर अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर से लेकर कर्मचारी तक अपने वाहन मुख्य द्वार के सामने ऐश के साथ खड़े करते हैं, वहीं कुछ ऐसे कर्मचारी भी है जो इमरजेंसी  वार्ड के सामने खड़े कर देते हैं। ऐसे में यहां मरीज को लेकर आ रही एंबुलेंस को काफी परेशानियां होती है।



ये कैसी व्यवस्था, जानवरों का भी हो रहा आवागमन

एक और कलेक्टर चन्द्रमौली शुक्ला कहते हैं की कोरोना की तिसरी लहर आने से पूर्व जिला अस्पताल में सभी प्रकार से व्यवस्थाएं सुचारू रूप से होगी, लेकिन यहां की हालत देखने पर ऐसा प्रतीत नहीं होता है की अस्पताल की हालत में सुधार हो रहा है। अस्पताल के मेन गेट पर जानवरों के आगमन से बचाव के लिए लोहे के पाईप लगाए गए हैं, लेकिन उनकी हालत यह है की यहां पर जानवर आसानी से अस्पताल परिसर में प्रवेश कर लेते हैं। इन लोहे के पाईपों को देखने पर लगता है कि यहां पर पाईप नहीं है बल्कि लोहे की जाल बिछाई गई है जा वाहनों के गतिअवरोधक का कार्य कर रही है। कलेक्टर साहब...इस और थोड़ा ध्यान आकर्षित कर अस्पताल की व्यवस्थाओं को सुधारें जिससे मरीज व परिजनों को फिर कोई परेशानी ना हो। 

इनका कहना :

इस संबंध में देवास विकास प्राधिकरण वर्तमान अधिकारियों से चर्चा करना चाही लेकिन किसी ने भी फोन उठाना उचित नहीं समझा।

यह कार्य देवास विकास प्राधिकरण के माध्यम से किसी ठेकेदार द्वारा कराया जा रहा है, यह हमारे स्वास्थ्य विभाग का मामला नहीं है, आप विकास प्राधिकरण के अधिकारी से बात करें। 

                        सीएमएचओ एमपी शर्मा


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