वाह पटवारियों.... ! किसानों की परेशानी छोड़, अपने स्वार्थ के लिए दे रहे ज्ञापन ?
- नहीं मानी मांगे तो पोर्टल से लॉगआउट होंगे पटवारी ? मप्र पटवारी संघ ने दी चेतावनी !
- मप्र पटवारी संघ ने मांगो को लेकर सौंपा ज्ञापन, मांगें नहीं मानी तो होगा चरणबद्ध आंदोलन
भारत सागर न्यूज, राहुल परमार देवास।
प्रशासन के अधीनस्थ रहते हुए पटवारियों को खासकर किसानों हित के कार्य करना होते हैं, लेकिन आए दिन इन पटवारियों की अपनी मांगों के चलते हड़ताल करते हैं जिससे किसानों को भारी परेशानियां झेलना पड़ती है। वैसे पिछले ही दिनों पटवारी संघ ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल की थी। इधर मंगलवार को पटवारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन दिया है। इन पटवारियों को वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह सोचना चाहिए की किसानों के हित को देखते हुए शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाया जाए, किंतु यहां पर तो पटवारी संघ अपने शुभ-लाभ के लालच में लगा हुआ है, इन पटवारियों को किसानों से कुछ लेना देना नही है, यह सिर्फ अपनी जुगत में लगे हुए हैं और प्रशासन को अपनी मांगों के चलते यह जता रहे हैं कि इनके बगैर कोई काम नहीं हो सकता है। पटवारियों के मुखिया जिलाध्यक्ष अपनी मांगों को जायज बताने में जुटे रहते हैं लेकिन इन्होनें कभी किसानों के दर्द को महसूस नहीं किया है। मंगलवार को भी कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन दिया जहां इन्होनें यह बताया कि यह लोग विभागीय कार्यों का कुशल संपादन कर रहे हैं साथ ही 56 विभागों के कार्य का जिम्मा इन्हीं का है। अब ये पटवारी खुद ही बताएं कि जब प्रशासनिक अधिकारी इनसे कार्य कराते हैं तो क्या इन्हें मासिक वेतन नहीं मिलता ? वहीं शासन की योजनाओं का लाभ भी इन पटवारियों को मिल ही जाता है उसके बावजूद हड़ताल करना और अपनी मांगों के चलते अधिकरियों को ज्ञापन देना इनकी ओर से जारी है। जबकि इन दिनों किसान पटवारी के लिए यहां-वहां भटक रहा है, लेकिन यह लोग इनके मुखिया के इशारे पर कार्य कर रहे हैं। इधर जिलाध्यक्ष चौबे ने अपने प्रेस नोट में इनके काम न करने से होने वाले नुकसान के लिए जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। जबकि धरातल पर जब आप जायेंगे तो कई किसान परेशान नजर आयेंगे। कलेक्टर कार्यालय देवास में होने वाली जनसुनवाई में कई बार किसानों और आमलोगों को पटवारियों के द्वारा समय पर काम न किये जाने के मामले सामने आये हैं जिनमें कई बार जिम्मेदारों के द्वारा समय पर काम न करने पर उनके काम अटके कई समय हो जाता है । यहीं नही यदि आप किसी आमजन और किसान से जब पूछेंगे तो पता चलेगा कि बिना शुभ-लाभ के कोई काम नही हुआ होगा।
पटवारियों को लेकर आपको वर्ष 2019 का जीतू पटवारी का वह किस्सा तो याद होगा जिसमें जीतू पटवारी ने पटवारियों के पैसे लेनदेन को लेकर कोई बयान दे दिया था इस दौरान पटवारी ने कह दिया था कि 100 % पटवारी रिश्वत लेता है। उस दौरान सोशल मीडिया पर गदर मच गई थी। हालांकि बाद में उक्त बयानों को लेकर जीतू पटवारी ने सफाई में अपना ट्वीट भी दिया था। सोशल मीडिया पर बवाल के बाद कई धरने और ज्ञापन भी हुए थे। बाद में पटवारियों ने जीतू पटवारी के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया था। इस दौरान वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पटवारियों का साथ भी दिया था हालांकि उन्होने यह भी कहा था कि पूरे राजस्व परिवार को 100 प्रतिशत भ्रष्ट कहना कहां तक उचित है ? भई हम भी यही कह रहे हैं कि कुछ लोगों के कारण सारा समाज बदनाम हो रहा है। वैसे राजस्व विभाग और मप्र पटवारी संघ को किसानों और आमजन की इस मुख्य समस्या को भी अपने एजेंडे में शामिल करना चाहिये ताकि कार्य में पारदर्शिता बने रहे।
पटवारी संवर्ग की प्रमुख तीन सूत्रीय मांगे
पटवारियों ने ज्ञापन में ग्रेड पे को 2800 करते हुए समयमान वेतनमान विसंगति को दूर की जाने की मांग की है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर राजस्व मंत्री द्वारा भी पटवारियों का वेतनमान 5200-20200 2800 ग्रेड पे किये जाने के लिए वर्ष 2019 में लिखित आश्वासन पत्र दिया गया है किंतु अभी तक उक्त वेतनमान स्वीकृत नहीं हुआ है। पटवारियों की दूसरी मांग है कि उन्हें उनके ग्रह जिले में पदस्थ किया जाए जिससे वे अपने पारिवारिक दायित्वों का पालन कर सके। उनकी तीसरी मांग है कि नवनियुक्त पटवारियों के लिए सीपीसीटी की अनिवार्यता संबंधी नियम को समाप्त किया जाए। पटवारी संघ ने उक्त सभी मांगों को स्वीकृत करने व तत्संबंध में आदेश प्रसारित करने का निवेदन करते हुये चेतावनी दी है कि यदि शासन द्वारा आगामी 15 दिवसों में पटवारियों की उक्त सभी मांगे पूरी नहीं की जाती है तो मप्र पटवारी संघ प्रदेशव्यापी आंदोलन करने के लिये बाध्य होगा तथा इसकी समस्त जिम्मेदारी मप्र शासन की होगी। ज्ञापन में संघ ने आगामी आंदोलन की रूपरेखा के बारे में भी बताया। इस दौरान जिले के वरिष्ठ व युवा पटवारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
भारत सागर न्यूज से बात करते हुए चौबे ने बताया कि यदि मांगे नही मानी तो चरणबध्द तरीके से हम आंदोलन करेंगे जिसमें आगामी 7 जुलाई को हम शासकीय पोर्टलों से लॉगआउट कर देंगे। उसके बाद भी यदि हमारी मांगे नही मानी गई तो हम पटवारियों द्वारा किये जा रहे भूअभिलेखों के कामकाज को बंद कर देंगे। तत्पश्चात् भी मांगे नही मानी गई तो हम पटवारी संघ सामूहिक अवकाश पर जायेंगे।
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