यह नही है लापरवाही यह है कर्मचारी की कलाकारी ? जिला अस्पताल में एक ही मरीज के ब्लड की रिपोर्ट ?


  • देवास जिला अस्पताल बड़ी लापरवाही, एक मरीज को दे दी दो ब्लड ग्रुप की रिपोर्ट ? 
  • लापरवाही के बाद महिला लैब टेक्नीशियन की बत्तमीजी ?
  • ब्लड ग्रुप की जांच लेने पहुंचे मरीज के अटेंडर से लैब टेक्नीशियन बोली चांटा मार दूंगी तुम्हें ? 
  • जिला अस्पताल में हीमोग्लोबिन कम होने पर महिला मरीज को लेकर आया था उसका बेटा 
  • सीएमएचओ बोले बड़ी लापरवाही है, जांच का विषय, लापरवाही मिलने पर की जाएगी कार्यवाही ?

राहुल परमार, देवास 

देवास का जिला अस्पताल लापरवाहियों में अब प्रसिध्द हो चुका है। जहां यदि कर्मचारियों से काम सही करने का बोल दो तो कर्मचारी चांटा मारने तक की तैयारी कर लेते हैं और जब काम में लापरवाही का भंडाफोड़ हो जाये तो कर्मचारी काम से ही गायब हो जाते हैं। 

ताजा मामला देवास जिले के जिला अस्पताल का हैं जहां सोमवार को जिला अस्पताल में एक महिला मरीज को उसका बेटा हीमोग्लोबिन कमी के चलते ब्लड चढ़वाने पहुंचा था अस्पताल में जांच कराने पर कर्मचारी मरीज के ब्लड ग्रुप ही अलग बता दिये । यही नही इसके लिए मरीज के परिजन को ब्लड की रिपोर्ट की दोनों कॉपी भी दी गई। 



    आप देख सकते हैं एक रिपोर्ट में मरीज का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटीव है वहीं एक अन्य रिपोर्ट में इसी मरीज का ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटीव बता दिया गया है। अब इसे जिला अस्पताल में कर्मचारियों की कलाकारी कहें या लापरवाही जो एक ही महिला के ब्लड की जांच परिजनों को दो बार करवानी पड़ रही है। जब महिला मरीज की रिपोर्ट एक दिन में दो बार की गई और दोनों बार महिला की अलग अलग ब्लड ग्रुप की रिपोर्ट आई तो महिला के परिजन परेशान हो गए।   एक बार ब्लड रिपोर्ट गलत आने के बाद जब महिला मरीज के परिजन दौबारा लैब टेक्नीशियन के पास पहुंचे तो ब्लड रिपोर्ट बदल कर दे दी। दूसरी बार पहुंचे परिजनों ने जब लैब टेक्नीशियन का वीडियो बनाया तो महिला लैब टेक्नीशियन ने चांटा मारने की बात मरीज महिला के परिजन को कह दी। इधर वीडियो लेकर मरीज महिला के परिजन सीएमएचओ को लैब टेक्नीशियन के खि़लाफ़ शिकायत लेकर आवेदन देने पहुंचे। जहां पर सीएमएचओ ने परिजनों से आवेदन लेकर जांच का विषय बताया। 


    एमजी अस्पताल में भर्ती महिला मरीज उर्मिला ठाकुर के बेटे आशीष ठाकुर ने बताया कि वह उसकी माँ को सुबह 11 बजे भर्ती करने एमजी अस्पताल लाया था जहां उनका ब्लड टेस्ट करवाया गया। वहीं लैब टेक्नीशियन ने उनकी बिना जांच किये रिपोर्ट गलत दे दी। जिसके बाद वह उनसे दौबारा रिपोर्ट लेने पहुंचे तो लेब टेक्नीशियन ने उनसे बत्तमीजी की व चांटा मारने की बात कही। 

    इस मामले में सीएमएचओ एमपी शर्मा का कहना मैने पेपर का अध्ययन किया है और जांच करने के लिए सिविल सर्जन को कहा है। और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है अगर इस तरह की कोई त्रुटि हुई है तो निश्चित ही कार्यवाही की जाएगी। लेब टेक्निशियन की चांटे वाली बात पर सीएमएचओ ने कहा हो सकता है अपने बचाव में ऐसी बात घबराहट में कह दी हो। यह शब्द का प्रयोग उन्हें नहीं करना चाहिए था। यह एक शालीनता की श्रेणी में नहीं आता है।

    बात साफ है जिला अस्पताल में कर्मचारियों की ऐसी गंभीर लापरवाहियों का भुगतान मरीज को करना पड़ता है। दो रिपोर्ट में से कौन सी रिपोर्ट सही है ? यह समझने में खुद डॉक्टरों को पसीना आ जायेगा । ऐसे में परीजन करें तो क्या करें ? वहीं मामले में सीएमएचओ के सामने कागज आने के बाद भी कठोर निर्णय क्यों नही लिये गए। यदि डॉक्टर  या कर्मचारी के साथ अभद्रता होती है तो सभी मिलकर काम बंद कर देते हैं और अब खुद कर्मचारी वीडियो में चांटा मारने की बात कर रही है तो इस पर सख्त कदम क्यों नही ? 

क्या जिला अस्पताल ने लापरवाहियों से मौतों का सौदा कर रखा है  ? 

यदि नही तो फिर ऐसे गैरजिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई में देरी क्यों ? 


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