देवास में प्रभारी मंत्री और सांसद की सक्रियता ही संकट काल में जनता के बीच राहत साबित हुई! प्रभारी मंत्री का अचानक देवास से मोह भंग होना भी चर्चा का विषय है ?



देवास/पंडित अजय शर्मा। कहते हैं कि मुसीबत में जो साथ दे , दो शब्द प्यार के बोल कर हाल-चाल पूछ कर, मैं तुम्हारे साथ हूं , मेरे लायक कोई काम हो तो बताना, परेशान मत होना बोलकर हिम्मत दे और हौसलावर्धन कर दे ,अब संकट की इस घड़ी में वही अपना सा लगने लगता है ! सही मायने में संकट की स्थिति में ही एक अच्छे और जन हितेषी जनसेवक और व्यक्तित्व की सही पहचान होती है। विगत वर्ष 2020 के लॉकडाउन से लेकर वर्तमान लॉकडाउन तक जनता के बीच, जनता के लिए, जनता के साथ खड़े रहे और खड़े हैं सांसद और साथ में वर्तमान में प्रभारी मंत्री की निष्पक्ष सक्रियता भी जनता को राहत का एहसास कराने लगी। किंतु क्षेत्रिय प्रभारी मंत्री का अचानक देवास से मुंह बंद होना भी देवास की जनता व राजनीतिक गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिये ।

        देवास में मार्च 2020 में कोरोना की पहली बार आपदा आई और जज से सांसद बने महेंद्र सिंह सोलंकी के जन हितैषी जनसेवक और उनके व्यक्तित्व की पहचान देवास की जनता को हुई। सांसद सोलंकी जनसेवक बनकर जनता के सामने आए । दशकों से देवास की जनता की सोच व चाहत थी की जो जनता की भावनानुसार काम करने वाला सांसद हो , यह पहला अवसर है, जब एक  शिक्षित , जन हितैषी जनसेवक रूपी व्यक्ति सांसद के रूप में मां चामुंडा की नगरी देवास को मिला है, जिसमें जमीन पर रहकर जनता के लिए काम करने का जज्बा है। विगत वर्ष लगे लॉकडाउन में सांसद सोलंकी द्वारा जहां तक आम जनता का खयाल रखने के लिए हो सका जहां तक सीधे बाकी लगभग सामाजिक संस्थाओं को सहयोग कर गरीब मजबूर एवं मजदूरों को भूखा नहीं सोने देने का सराहनीय कार्य किया वहीं सांसद द्वारा कोरोना योद्धाओं का सम्मान भी करने में तनिक भी नहीं हिच किचाये । सरल सहज स्वभाव से आम नागरिक की भांति बिना किसी छोटे बड़े अपने पराए का भेदभाव रखे बगैर ही अपने आप को जनता के बीच आसानी से उपलब्ध कराना ही सांसद सोलंकी की विशेषता रही है।

              वैसे तो वर्तमान में संकट और मौत का दौर जारी ,चरम पर कालाबाजारी है, डरी सहमी जनता सदमे में हैं, देवास की भोली भाली जनता ने इतनी लाशें देख ली है कि उसे समझ ही नहीं आ रहा, कि वह किस से मदद लें , किस को शिकायत करें , और किसे अपनी पीड़ा बताए । जनता ने जब अपनी पीड़ा सहयोग की उम्मीद में शासन-प्रशासन के जिम्मेदार पदाधिकारी व जनप्रतिनिधियों को उम्मीद भरी नजरों से देखा तो जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से जनता के साथ खड़े दिखाई नहीं दिए , ऐसी स्थिति में सांसद सोलंकी द्वारा जनता के दिलों के दरवाजे खटखटाये तो जनता भी भावुक होकर सांसद की संवेदनशील सेवाओं का मूल्यांकन करने पर तनिक भी समय नहीं गवांया,!

            हांलांकि सांसद के अपने संसदीय क्षेत्र के आठ विधानसभा क्षेत्रों की जनता के प्रति जवाबदेही है, बावजूद वे सेवाभाव से अलंकृत अपनी टीम के माध्यम से आम जनता के बीच रहे ,सारा शहर जानता है की सांसद की शहर को लेकर कुछ राजनीतिक विवशताएं है और वे विवशताएं, प्रतिबद्धताओं पर भारी पड़ जाती है। देवास के साथ यही हुआ है, राजनीतिक विवशताओं के चलते  देवास की जनता का बहुत नुकसान हुआ है। जनता इस नुकसान को शायद वर्षों तक नहीं भूला पायेगी ?



   कांग्रेस शासन काल में संगठन के लिए लड़ने की बात हो,या फिर लॅाकडाउन से तबाह हो गए फुटपाथ पर बैठकर जीविका चलाने वाले नागरिकों का मनोबल बढ़ाने की बात हो, या प्रधानमंत्री के मंशानुरूप लोकल फोर वोकल को जमीनी स्तर पर साकार करना हो , पार्टी संगठन और जनता के लिए सांसद सोलंकी ने ईमानदार प्रयास किए । सांसद सोलंकी की यही सक्रियता जनता का दिल जीत ले गई और चाटूकार, दलाल एवं तथाकथित सोशल मीडिया पर टिके छपास नेताओं को नागवार गुजर ना तो बनता है !

         सांसद सोलंकी की सक्रियता ने बताया है कि उन्होंने जनता को परिवार माना है, अपना वोट बैंक नहीं। देवास की भोली भाली जनता को स्थानीय जन-प्रतिनिधियों ने दशकों से सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक मानकर व्यवहार किया है, देवास को पहली बार ऐसा सांसद मिला है, जो जनता को परिवार के रूप में देखता है, वोट बैंक के रूप में नहीं वर्तमान हालात में भी सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी ने अपनी जिम्मेदारियों को समझा , जब सारे नेता मात्र प्रेस नोट और सिर्फ अपना नाम चलाने वाली छपास की , जनता को गुमराह करने वाली मानसिकता का परिचय देते हुए जनता से नजरे चुरा रहे थे , बगले झांक रहे, राजनीति कर रहे थे, तब सांसद ने सांसद निधि से सहायता प्रदान की। तब कहीं जाकर अन्य समाजसेवी एवं जनप्रतिनिधियों को सूझ पड़ी कि ऐसे हालातो में कम से कम यह काम तो किया ही जा सकता है। यदि अन्य जनप्रतिनिधियों ने जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझा होता तो उनके मन में भी सांसद की तरह खयाल आता, देखा-देखी नहीं, स्वप्रेरणा से सहायता के लिए आगे आते, उन्हें सांसद से प्रेरणा ग्रहण करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

प्रभारी मंत्री का अचानक देवास से मोह भंग होना भी चर्चा का विषय है?

देवास की तेजतर्रार प्रभारी मंत्री उषा ठाकुर के आगमन से, उनकी सक्रियता से  प्रशासन को गति मिली और उसने सूझबूझ वाले निर्णय लेना शुरू किए तथा महामारी को रोकने की दिशा में कदम उठाए गये। आहत परेशान लोगों को व्यवस्थित रूप से सहायता पहुंचाने के इंतजाम किए जाने लगे, स्वास्थ्य संसाधनों की कालाबाजारी करने वालों की पकड़ा-धकड़ी होने लगी, प्रभारी मंत्री की निष्पक्ष और सक्रिय भूमिका जनता के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता ही थी की धीमी गति में इंडस्ट्री एरिया में बन रहे कोविड सेंटर को गति प्रदान कर मूर्त रूप देकर जन सेवा में समर्पित किया गया । इतना ही नहीं प्रभारी मंत्री की इस सक्रियता से ही जिलाध्यक्ष को भी एक नई दिशा मिली । शहर से ग्रामीण तक प्रभारी मंत्री की कार्यप्रणाली जन सेवा में प्रशंसनीय रही। प्रभारी मंत्री के जनसेवा कार्य के लिए मैदान में उतरने के बाद ही वर्षों से जनता का दोहन करने वाले, ओछी मानसिकता से प्रभावितों को भी अपनी साख बचाने के लिए तथाकथित ज़रखरीद मीडिया कर्मियों के माध्यम से अपने आप को चाटूकार और दलालों के साथ उपस्थित होना भी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय रहा।इतना सबकुछ प्रभारी मंत्री की सक्रियता के बाद ही संभव हुआ है। इसीलिए कहा जा रहा है कि सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी और प्रभारी मंत्री उषा ठाकुर की सक्रियता ने ही हताश जनमानस के बीच राहत का काम किया है।

           देवास के जनप्रतिनिधि व जनता के द्वारा अमलतास अस्पताल में हो रही कालाबाजारी व अनियमितता की शिकायत जब प्रभारी मंत्री को मिली तो प्रभारी मंत्री सांसद व जिलाध्यक्ष के साथ अमलतास अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंची निरीक्षण के दौरान पाई गई अनियमितता एवं अव्यवस्थाओं को देखकर प्रभारी मंत्री द्वारा अमलतास के मैनेजमेंट को फटकार भी लगाई यहां तक कि प्रभारी मंत्री द्वारा सख्त लहजे में हिदायत देते हुए मैनेजमेंट को कहा कि यदि व्यवस्था सुचारू नहीं रही व्यवस्थित नहीं रही तो आपके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जावेगी । किंतु अनेक अव्यवस्थाओं व अनियमितताओं के साथ जीवनरक्षक दवाइयों व ऑक्सीजन की कालाबाजारी में भी अमलतास हॉस्पिटल प्रथम पायदान पर होने के बावजूद भी कोई कार्यवाही ना होना भी स्थानीय शासन प्रशासन पर कई सवाल खड़े करती है ?

ठीक इसी प्रकार प्रभारी मंत्री की पूरे जिले में निष्पक्ष सक्रियता को देखते हुए स्थानीय पक्ष विपक्ष के जनप्रतिनिधियों को कहीं ना कहीं अपनी राजनीतिक जमीन हिंडोले खाती दिखी देने लगी ! उसी का खामियाजा प्रभारी मंत्री को क्या भुगतना पड़ा यह तो अभी राजनीति के गर्भ में है !किंतु एक बात सत्य है कि देवास में सक्रिय रहने वाली प्रभारी मंत्री अचानक देवास की जवाबदारीयों से खिन्न हो कर वापस क्यों चली गई ? आखिर क्यों देवास जिले में निष्पक्षतापूर्वक जिले की आम जनता की सेवा में सक्रिय रहने वाली प्रभारी मंत्री का अचानक देवास से मोहभंग हो गया? यह सवाल जागरूक नागरिकों सहित गुटबाजी से प्रेरित पक्ष विपक्ष की राजनीति व मीडिया में भी चर्चा का विषय आज तक बना हुआ है ?

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