बीवी के बचपन के जहाज में बैठने के सपने पर घर में हुआ बवाल तो रायचंद ने जहाज को पड़ोसी के घर में रखने की रख दी बात !

तरुण फुलवर निर्देशित नाटक सस्ते जहाज का सपना से फिर से जीवित हुआ रंगमंच



देवास।  आभा  फाउंडेशन व  थिएटर वाला गु्रप प्रस्तुत  सस्ते जहाज का सपना नाटक एकांकी का मंचन विक्रम सभा एवं कला भवन में हुआ।  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि निगम आयुक्त विशाल सिंह चौहान थे। विशेष अतिथि के रूप में वरिष्ठ रंगकर्मी व डायरेक्टर राजेश जूनवाल और फिल्ममेकर अनिरुद्ध शर्मा थे। सस्ते जहाज का सपना नाटक ने सभी को शुरुआत से लेकर आखिरी तक बांधे रखा। कई वर्षों से बंद रंगमंच को फिर से थिएटर वाला गु्रप ने जीवित किया।  और पब्लिक ने इस नाटक को खूब सराहा, खूब ठहाके लगाए। तरुण फुलवर का यह पहला निर्देशन था और उन्हें अपने पहले ही  निर्देशन से गहरी छाप छोड़ कर साबित कर दिया कि उनमें और भी क्षमता है।  कमिश्नर विशालसिंह चौहान ने नाटक को खूब सराहा और कहा कि इस नाटक का फिर से मंचन होना चाहिए और उसमें मैं पूरा सहयोग करूंगा।  गेंदा सिंह के किरदार में अमन गौतम थे,  शकुंतला के किरदार में ऊर्जा जोशी,  ज्ञानचंद के किरदार में मयंक डगांवकर, कजरी के किरदार में करिश्मा चौहान और भूतपूर्व कोरोना पॉजिटिव के किरदार में रवि चौहान थे। अगर निर्देशक अच्छा हो तो नाटक बहुत अच्छा होता है। और इस नाटक का गीत अपने सपनों का जहाज मुझको लेने आएगा भी लोगों की जुबां पर नाटक के बाद चढ़ गया। आप फाउंडेशन के अध्यक्ष नयना शर्मा ने नाटक को खूब सराहा, तथा नाटक में बहुत सहयोग किया । 

    दरअसल नाटक की कहानी एक दंपत्ति से प्रारंभ होती है जिसमें गेंदा सिंह, शकुंतला के पति है। एक बार गेंदासिंह ने अखबार में सस्ता जहाज बनाने के समाचार पढ़ता है और दूसरी ओर उसकी पत्नि शकुंतला का बचपन से ही जहाज में बैठने का सपना होता है। उसकी पत्नि को जब गेंदासिंह सस्ते जहाज के समाचार सुनाते हैं, तो पत्नि पति से नाराज होकर अखबार बंद करा देती है। इसी बात को लेकर पत्नि और पति के बीच तीखीं नोंक झोंक हो जाती है। इसी बीच एक ज्ञानचंद दोस्त हमेशा की तरह घर में पंहुच जाता है। आखिर में जहाज को खरीदने की वार्ता शुरु हो जाती है और किराये के घर में रखने की बात निकल पड़ी। यहां तक कि खुद का घर न होने से पड़ोसियों के घर में रखने की बात तक हो गई। बातों ही बातों में गेंदासिंह को जहाज खरीदने का सपना आ जाता है। 

इस नाटक में चुटीले व्यंग्य कई हैं जो आने वाले समय में हमारे अखबार भारत सागर में लगातार मिलते रहेगा। गौरतलब है कि देवास निवासी तरुण फुलवर का यह पहला रंगमंच था। पहले ही निर्देशन में देवास शहर में रंगमंच को जीवित करने के लिए एक मंच तैयार किया है। फुलवर ने इससे पहले रंगमंच पर कई नाटकों में काम किया है। साथ ही कई धारावहिकों और वेब सीरीज में भी काम किया है। 

Comments

Popular posts from this blog

हाईवे पर होता रहा मौत का ख़तरनाक तांडव, दरिंदों ने कार से बांधकर युवक को घसीटा

7 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ धराये तहसीलदार, आवेदक से नामांतरण के लिये मांग रहे थे रिश्वत ! Tehsildar caught red handed taking bribe of Rs 7 thousand, was demanding bribe from the applicant for name transfer!

फ्रीज में मिली महिला की लाश संबंधी सनसनीख़ेज़ अंधे क़त्ल का 10 घंटे में पर्दाफ़ाश, 5 साल लिव इन में रहने के बाद घोंट दिया पिंकी का गला ! 10 माह से रखा था फ्रिज में महिला का शव !