शराब दुकानों के ठेकों की निरस्ती के बाद बढ़ी मुसीबतें, जिनकी जमीन पर लगी थी दुकान उनका क्या होगा सरकार ?



राहुल परमार, देवास। पिछले दिनों देवास जिले की शराब दुकानों के ठेके निरस्त हो गये थे जिसके बाद कम कर्मचारियों के कारण 25 दुकानों का संचालन आबकारी विभाग के द्वारा किया जा रहा था। गौरतलब है कि पूर्व में लॉकडाउन के बाद जिले की शराब दुकानों के ठेके निरस्त हुए थे। बताते चलें दुकान निरस्ती के बाद ठेकेदारों के यहां काम करने वाले कर्मचारी भी लामबंद हो गये थे। जानकारी अनुसार कर्मचारियां को कई महीनों की पगार ठेकेदार द्वारा नही दी गई थी। सुत्रों के अनुसार कर्मचारियों ने इसको लेकर शिकायत भी की है। 

    इसी के अतिरिक्त जिन स्थानों पर शराब की दुकानें स्थित होती है, उन स्थानों पर विभाग द्वारा अधिग्रहण की प्रक्रिया की जाती है। जिसके एवज में अधिग्रहित की गई जमीन का शुल्क जमीन मालिक को चुकाया जाना होता है। ऐसे में ठेका निरस्त होने के बाद सुत्रों से जानकारी अनुसार अधिग्रहित की गई जमीन के एवज में कई लोगों का पैसा डूबता नजर आ रहा है। जानकारी तो यह भी है कि कुछ स्थानों पर तो अधिग्रहण की प्रक्रिया भी पूर्ण नही की गई है। उल्टा ठेकेदार उल्टे पैर भाग खड़ा हुआ। शुरुआती दौर में ठेकेदार के चर्चे इतने थे कि करोड़ों के टेंडर लेने वाले ठेकेदार को इस बार जिले में कोई परेशानी नही आयेगी लेकिन यहां तो हाथी के दांत वाला मामला सामने आ गया। ऐसे में अब उन जमीन मालिकों को उनकी जमीन का किराया आखिर कौन देगा ? यह अभी भी प्रश्न का विषय बना हुआ है। वहीं सुत्रों के अनुसार एक जानकारी यह भी सामने आई है संबंधित जमीन मालिकों को विभाग के जिम्मेदारों द्वारा डराया-धमकाया जा रहा है। उनसे यह कहा जा रहा है कि आने वाले समय में तुम्हारे यहां इन दुकानों को संचालित भी नही होने दिया जाएगा। इन्हीं प्रकार की जानकारियों के बाद कुछ जमीन मालिक तो उनकी दुकानों पर ताला लगाने के लिए भी कवायद कर रहे हैं। 

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    यहां एक बड़ा प्रश्न और भी है कि क्या यहां विभाग को जिम्मेदारी नही निभानी थी। क्योंकि यदि विभाग इनके बारे में सोचता तो शायद ठेकेदार से इस राशि की वसूली करवा लेता लेकिन ऐसी कोई भनक किसी को लगे इससे पहले ही नौ दो ग्यारह हो लिए....साहब... !

    वहीं इस मामले में सहायक आबकारी आयुक्त विक्रमदीप सांगर का कहना है कि जमीन के किराये का मामला जमीन मालिक और ठेकेदार के बीच का निजी मामला है। इसमें विभाग का किसी प्रकार को कोई दखल नही है। साथ ही ठेका निरस्त होने के बाद कलेक्टर महोदय के द्वारा सभी जमीन मालिकों को अधिग्रहण का आदेश जारी किया गया है। जिसमें कुल 40 दुकानों का संचालन विभाग द्वारा उपलब्ध कर्मचारियों के अनुसार किया जा रहा है। ठेकेदारों को दुकानों का आवंटन ही इस शर्त पर दिया जाता है कि वे आपत्तिरहित जमीन पर अपनी शराब दुकान स्थापित करें। 


 


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