कृषि विज्ञान केन्‍द्र देवास में राष्ट्रीय पोषण माह 2020 सह महिला जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम


 


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देवास / प्रधान वैज्ञानिक एवं केन्द्र प्रमुख रा डॉ. ए.के. दीक्षित ने बताया कि  राष्ट्रीय पोषण माह 2020 सह महिला जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. ए.के.दीक्षित ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि असंतुलित पोषण कुपोषण का एक प्रमुख कारक है। पौष्टिक पदार्थ असंतुलित रूप में लेने के कारण शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है और यह एक गंभीर स्थिति को जन्म देता है। भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन एवं खनिज लवण से पर्याप्त पोषक तत्व शामिल करना अति आवष्यक है जिससे हम कुपोषण के शिकार होने से बचाव कर सकते हैं। इसके साथ ही फॉर्टीफाइड प्रजातियों जैसे-गेहूं का एचआई-8777, सोयाबीन का एनआरसी-127 एवं मोटे अनाज को भोजन में शामिल करना नितांत जरूरी है। ऐसी प्रजातियां विकसित की गई हैं जिसमें लोहा, जस्ता एवं प्रोटीन की मात्रा भरपूर विद्यमान है, जो उचित पोषण दे सकता है। तदोपरांत डॉ. सविता कुमारी द्वारा बच्चों के जन्म से 1000 दिवस तक उनके समुचित वृद्धि एवं मस्तिष्क विकास हेतु गर्भावस्था से जन्म पष्चात् तीन वर्ष तक समन्वित पोषण प्रबंधन के संबंध में प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विचार रखा जिसमें महिलाओं द्वारा अच्छे ढंग से समझकर अपने आगामी जीवन में शामिल करने की बात कही। जिससे स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सके एवं बच्चे आगे जाकर भविष्य के कर्णधार के रूप में देष को सहयोग प्रदान कर सके। अगली कड़ी में केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. निशिथ गुप्ता द्वारा सुरजना के फली एवं पत्तियों का उपयोग कर आवष्यक पोषक तत्व कैसे प्राप्त करें, इस संबंध में प्रस्तुतीकरण द्वारा अवगत कराया गया।


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सुरजना की पत्ती में फली के अपेक्षाकृत प्रोटीन 27 प्रतिषत, लोहा 30 प्रतिशत, कैश्लियम फॉस्फोरस आदि तत्व प्रचुर मात्रा में विद्यमान होते हैं। जो शरीर को उपयुक्त पोषण देने में सक्षम हैं। सुरजना में एंटीबैक्टीरियल गुण पाये जाने के कारण कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखने में मददगार है। साथ ही विभिन्न सब्जियों को दैनिक नित्य आहार में शामिल करने की बात कही जिससे एनीमिया से बचाव हो सके। श्रीमती अंकिता पाण्डेय द्वारा पोषण माह कार्यक्रम के तहत महिलाओं को व्यक्तिगत स्वच्छता एवं स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अपने आसपास सफाई करने की प्रस्तुतीकरण के माध्यम से समझाइष दी गई। साथ ही रंगोली के माध्यम से विभिन्न पोषक तत्वों को कैसे संतुलित बनाये इस संबंध में जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया गया । केन्द्र की वैज्ञानिक डॉ. लक्ष्मी द्वारा बच्चों में होने वाले डायरिया से बचाव हेतु पानी को उबालकर प्रयोग में लाना चाहिए। साथ ही साथ अगर डायरिया हो जाये तो संक्रमित को ओ.आर.एस. का घोल एवं घोल की उपलब्धता न होने पर शक्कर एवं नमक के पानी का घोल भी काफी कारगर साबित होता है। डॉ. महेन्द्र सिंह, वैज्ञानिक द्वारा पोषण महत्व एवं सुरक्षा पर प्रस्तुतीकरण करते हुए अवगत कराया कि कुपोषण एक बहुत बड़ी जटिल समस्या है जिसे दूर करने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं संतुलित आहार और विचार दोनों नितांत जरूरी है जिसके बिना इस समस्या का निदान संभव नहीं होगा। तदोपरांत इफको द्वारा उपलब्ध कराये गये सब्जी मिनी किट पैकेट एवं केन्द्र द्वारा पपीता एवं सुरजना पौधों का वितरण कार्यक्रम संपन्न किया गया। जिसे पोषण वाटिका में लगाया जाकर सब्जियों एवं फलों को अपने भोजन में शामिल कर संतुलित पोषण एवं आहार बना सकते हैं।


 


कार्यक्रम में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, राष्ट्रीय आजीविका मिषन, हैंड इन हैंड गैर सरकारी संस्था, ईस्ट-वेस्ट कंपनी के माध्यम से कुल 150 महिलाओं द्वारा भागीदारी की गई। कार्यक्रम को सफल बनाने में केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. के.एस.भार्गव, श्री विद्याभूषण मिश्रा, श्री पवन राजपूत, इफको प्रतिनिधि श्री एच.एस. परमार, राष्ट्रीय आजीविका मिषन से श्रीमती आरती सिंह व हैंड इन हैंड प्रतिनिधि चंद्रपाल सिंह का सराहनीय एवं प्रषंसनीय योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार श्रीमती अंकिता पाण्डेय द्वारा किया गया।


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