गर्मी घरों में निकल गई और बरसात बिना घर के !


जिले में प्राकृतिक आपदाओं का दौर ? क्या हो रहे हैं हम बेबस !


एक ओर कोरोना को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ है वहीं दूसरी ओर नर्मदा नदी और अन्य नदियों के किनारे बसे गांवों के लोगों के घर डूब में आ गये हैं। 


 



राहुल परमार, देवास 
फिलहाल देश में लोग प्राकृतिक आपदाओं से परेशान हो रहे हैं। एक तो अतिवृष्टि और अतिवृष्टि के बाद किसानों की फसल और इसी वर्षा से तटीय क्षेत्रों के समीप रहने वाले लोगों पर बाढ़ का प्रभाव और दूसरे कोरोना नामक बिमारी में जबरन लपेटा जाने वाले लोग ! इन प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ इन्हीं के अनुसार लोगों को जनजीवन भी व्यवस्थित करना है। 
बात की जाये अतिवृष्टि की तो इस बार संभवतः लोगों ने काफी समय तक बारिश न होने से बाढ़ जैसे खतरे को भांपा नही था। संभवतः प्रशासन और आपदा प्रबंधन ने भी यह पूर्वानुमान नही लगाया होगा। पूर्व में इन क्षेत्रों को इन्ही समस्याओं के चलते खाली कराया जा चुका है। लेकिन हमें हर बार इन घटनाओं, दुर्घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं से सीखने की आवश्यकता है। चाहे वह किसी नदी में दम्पत्तियों के बहने का मामला हो, देवास में एक नाले में कार बहने का या एक नदी में वैन के बहने का मामला हो या फिर बाढ़ में बेघर हो रहे गरीबों और असक्षम लोगों का । हमने कभी पूर्व तैयारी तो की ही नही। कि हमें ऐसी विपत्तियों में क्या करना है ? जबकि आपदा प्रबंधन का बजट एक क्षेत्र के लिए तय होता है लेकिन इस बार कोरोना ने न तो गर्मी का आभास होने दिया और न ही बरसात का ! गर्मी घरों में निकल गई और बरसात बिना घर के ! इसमें हम बेबस नही तो और क्या ? 



वहीं एक अन्य विषय पर थोड़ा सा ध्यानाकर्षण चाहूंगा। जी हां सही समझे दूसरा विषय कोरोना ! यह वही बिमारी है जिसके यदि  4 पॉजिटीव केस आ गए तो मिडिया में हाहाकार और शहर में भूचाल सा प्रतीत हो रहा था। प्रारंभ में लॉकडाउन के समय देश में जब कोरोना के मरीजों की संख्या हजारों में थी और जिले में दहाई के अंकों में तब लोगों को यह चिंता थी कि हमारे शहर में यह आंकड़ा सैकड़ों में न जाये लेकिन यह क्या यहां तो मामला ही उल्टा ही हो गया। अब जितने मरीज प्रारंभ में कुल सामने आ रहे थे अब रोजाना के सामने आ रहे हैं। उफ्फ... यहां कई स्थानों पर यह बिमारी घोटालों में ही तब्दील हो गई । बात देवास की की जाए तो यहां कब पड़ोसी कोरोना पॉजिटीव हो गये पता ही नही चल रहा है ! इससे जुड़ी दो घटनायें आंखों देखी है जिसमें एक मेडिकल पर एक व्यक्ति को दो व्यक्ति रोजाना के सर्दी खांसी की खुराक लेने पर जानकारी देने के लिए सुना और दूसरा एक कार्यकर्ता को रोजाना कम से कम 1 ऐसा संदिग्ध ढूंढने का काम मिला। हालांकि यह पुष्टि करना कठिन था क्योंकि रिपोर्ट तो डॉक्टर को देना है और उनकी रिपोर्ट मतलब .... ? इस बार कई आम जनता इस प्रणाली के विरोध में खड़हो चुकी है। बहरहाल कौन कब पुष्टि कर दें कि आप कोरोना पॉजिटीव है ! इसिलिए अपने को स्वस्थ्य रखें और कोविड 19 नियमों का शासन के अनुसार पालन करें। लेकिन इसब व्यवस्थाओं के आगे आम आदमी बेबस है यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं। 
आगे इसी प्रकार के सूक्ष्म और न समझ आने वाले प्रयास जारी रहेंगे। 


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