कोरोना महामारी के बीच....पंचायत सचिवों ने पकड़ी आंदोलन की राह, बरसों से लंबित मांगो के निराकरण को लेकर सौंपा ज्ञापन 


देवास। मप्र पंचायत सचिव संगठन के प्रांताध्यक्ष दिनेश शर्मा के आव्हान पर पूरे प्रदेश में प्रदेश के पंचायत सचिव अपनी लंबित मांगों के निराकरण की मांग को लेकर 20 एवं 21 अगस्त को सामुहिक अवकाश पर रहकर 10 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सांसद महेन्द्रसिंह सोलंकी, मप्र शासन के पूर्वमंत्री दीपक जोशी, भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव खण्डेलवाल, विधायक गायत्रीराजे पवार, पूर्व विधायक मनोज चौधरी, कलेक्टर को प्रदेश के मुख्यमंत्री, पंचायत मंत्री एवं प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास के नाम संगठन जिलाध्यक्ष आनंदसिंह ठाकुर, प्रदेश उपाध्यक्ष जगदीश सेन, प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मेन्द्र जोशी एवं देवास, कन्नौद, टोंकखुर्द, सोनकच्छ, बागली, खातेगांव ब्लाक के अध्यक्षों के नेतृत्व में सौंपा गया।



ज्ञापन में श्री ठाकुर ने बताया कि प्रदेश के 23 हजार पंचायत सचिव को जिला संवर्ग से राज्य संवर्ग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में संविलियन किया जावें।  पंचायत सचिवो के लिये 1/4/2018 से लागू किये गये छठवें वेतनमान में सेवाकाल की गणना 2008 के बजाये, नियुक्ति दिनांक से की जाकर छठवें वेतनमान का निर्धारण पुन: शुद्ध रूप से किया जावें। प्रदेश के पंचायत सचिवों को 7 वे वेंतनमान का लाभ अध्यापक संवर्ग और अन्य संवर्गो को दिये गये दिनांक से स्वीकृत कर एरीयर सहित लागुकर भुगतान किया जावें। प्रदेश के अनुकंपा आश्रितो की नियुक्ति में  सरकार के निर्णय व निर्देश के बगैर लागु की जा रही कम्प्युटर डिप्लोमा, रोस्टर, आमेलन की शर्र्तो को हटाकर दिवंगत सचिव के जाति संवर्ग में ही आवेदक आश्रितों को अनुकंपा नियुक्तिया प्रदान किये जाने हेतु सरलीकरण किया जावें। प्रदेश के 90 प्रतिशत पंचायत सचिव की नियुक्तियां 2005 से पूर्व की है, सरकार द्वारा 2005 के  बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारीयों को स्थाई पेंशन देना बंद किया हैं।


 



2005 से पूर्व  नियुक्त समस्त पंचायत सचिव को स्थाई पेंशन लागू की  जावें। प्रदेश के समस्त कर्मचरीयों को माह की एक तारीख को वेतन भुगतान हो जाता  हैं। ट्रेजरी के ग्लोबल मद से कर्मचारीयों को भुगतान की व्यवस्था हैं पंचायत सचिवो को कभी 2 कभी 4 तो कभी 5 माह में वेतन दिया जा रहा हैं । नियमित वेतन ट्रेजरी के ग्लोबल मद से भुगतान करने की व्यवस्था लागु की जावें। स्थाई पेंशन लागु न हो तब तक रिटायर्ड होने वाले पंचायत सचिवों के लिये सेवा निवृति के समय 5 लाख रूपये सम्मान सुरक्षा निधि देने का प्रावधान किया जावें। कई जिलों में शासन के निर्देश के बगैर पंचायत सचिवों को लोकेशन ट्रेस करने के लिये जिले में ऐप चालु किये गये हैं, एक पंचायत में बहुत सारे गांव रहते हैें, सचिवों की सर्विस कार्र्यालय के साथ फिल्ड की भी हैं। लोकेशन ट्रेस जैसे अनावश्यक एप राज्य शासन से प्रतिबंधित किये जावें। वर्ष 2013 में राज्य शासन ने पंचायत सचिवों को समन्वयक अधिकारी पद पर पदोन्नत कर प्रमोशन देने का निर्णय लेकर आदेश जारी किये गये थे .



आज 8 वर्ष बित जाने पर भी पंचायत सचिव के पदोन्नति की कार्यवाही ठंडे बस्ते में पड़ी हैं। पंचायत सचिवो को पदोन्नत कर समस्त रिक्त समन्वयक अधिकारी पदो पर 100त्न पदोन्नत किया जावें। धारा 92 के नाम पर प्रदेश भर में पंचायत सचिव को प्रभार से वंचित कर उनका शोषण किया जा रहा हैं, कई जनपद सीईओ नियम विरूद्ध संविदा कर्मचारीयों, रोजगार सहायको को प्रभार दे रहे है,  जबकि धारा 92 सिद्ध नही हो जाती सचिवों को सचिव प्रभार से वंचित न किया जावें और उन्हें सचिव प्रभार दिये जावें। यदि समय रहते उपरोक्त मांगो का निराकरण नहीं किया तो म.प्र.पंचायत सचिव संगठन के बेनर तले समस्त पंचायत सचिव आदोलन का रास्ता अपनायेंगे, जिसकी समस्त जवाबदारी शासन व प्रशासन की होगी। इस अवसर पर पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेन्द्रसिंह ठाकुर, जिला उपाध्यक्ष जगदीश राजपूत, विश्वाससिंह बघेल, ईश्वरसिंह चौहान, शंकर जाट, राजेश बागवान, अर्जुन देवड़ा,  कन्हैयालाल पटेल, जिला महामंत्री विक्रमसिंहसिंह नागर, राधेश्याम जायसवाल, रामबाबू पाटीदार, सुभाष जलोदिया, दयाराम थारोलिया सहित जिले के अन्य पंचायत सचिव उपस्थित थे। 


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