किसानों का दर्द : अपने ही नियमों का पालन कराने में असफल लाचार प्रशासन, कृषक की मौत !
देवास । देवास तथा आसपास क्षेत्रों में किसानों के गेंहू की खरीदी का कार्य चल रहा है। वहीं देवास में एक स्थान पर मजदूरों को भेजने का कार्य भी चल रहा था। इस स्थान पर प्रशासन ने अपने आधे से अधिक अधिकारियों औश्र कर्मचारियों को ड्यूटी पर तैनात कर रखा है। यही पर पुलिस की भी समान व्यवस्था लागू है। शेष अधिकारियों और कर्मचारियों को कार्यालयीन कार्य दे रखा है। दूसरी ओर किसानों को व्यवस्था अनुरुप मैसेज और टोकन के माध्यम से सुविधा के लिए गेंहू खरीदी केन्द्र पर बुलाया जा रहा है। लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते वहां अधिकारी और कर्मचारियों की कमी के चलते किसानों के वाहनों की लंबी-लंबी लाइन लगी हुई है। प्रत्येक खरीदी केन्द्र पर सैकड़ों किसानों ने अपने वाहनों को खड़ा किया हुआ है। कोई किसान तो किराये पर वाहन लेकर आया है तो कोई किसान बैलगाड़ी से। ऐसे में किसान को अपनी उपज का ध्यान रखने के लिए जहां उनका वाहन खड़ा है वही सोना पड़ रहा है। प्रशासन ने टोकन और मैसेज तो जारी कर दिये लेकिन इन नियमों के पालन में जो व्यवस्थिकरण अधिकारियों, कर्मचारियों से करवाया जाना चाहिये, जो व्यवस्था पुलिस के माध्यम से बनाई जानी चाहिये वो बनाने में असफल दिखाई दे रही है। क्योंकि जिन अधिकारियों या कर्मचारियों की सहायता से उक्त व्यवस्था बन सकती है वो तो कहीं ओर ही अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
कल दिनांक 31 मई को देवास से बरोठा रोड़़ पर लगभग 3-4 स्थानों पर किसानों की फसल खरीदी का कार्य चल था। इस दौरान किसान रात को निगरानी के कारण दिन में रोड़ किनारे ही अपने वाहन के पास सोये थे। ऐसे में चलने वाले वाहनों से किसानों की सुरक्षा और दुर्घटना का भय बना हुआ है। जबकि इस मार्ग पर और अन्य स्थानों पर किसानों ने विरोध के चलते आंदोलन और चक्काजाम तक कर दिये हैं। बावजूद इसके प्रशासन के कानों में जूं तक नही रेंगी हैं। प्रशासन किसानों की यह कैसी मदद कर रही है। एक ओर किसानों को खरीदी के मैसेज भेज दिए दूसरी ओर व्यवस्था संभालने वाले ही गायब ! कुछ दिनों पूर्व बारदान की समस्या को लेकर किसानों ने विरोध किया था लेकिन लापरवाह जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने समाधान के बजाय सांत्वना से काम चला लिया हालांकि उनकी व्यवस्था कुछ दिनों में हो पाई लेकिन बारदान प्रत्येक वर्ष का काम है। क्या जिला प्रशासन इतना लापरवाह है और पूर्वनियोजित व्यवस्था को निभाने में असमर्थ है जो उसे यह भी ध्यान न रहा कि किसानों की फसलों की खरीदी में बारदान की अहम भूमिका होगी या फिर प्रशासन चाहता है रोहिणी के इस मौसम में कोई बारिश हो और यह फसल बर्बाद हो जाये। बहरहाल देवास में प्रशासनिक व्यवस्था अत्यंत लचर है। यह बात हर व्यक्ति जानता है। फिर भी भगवान भरोसे चलाते रहो प्रशासन ।
सिया के खरीदी केन्द्र पर टोंक खुर्द ब्लाक के गांव अमोना के किसान जयराम मंडलोई की हार्ट अटैक से मौत हो गई। जानकारी अनुसार पिछले 4 दिनों से वे गेहूं उपार्जन के लिए सिया के पास स्थित उपार्जन केंद्र में लाइन में लगे थे। रविवार की रात वहीं पर उन्हें हार्ट अटैक आया और मौत हो गई। जयराम मंडलोई सरकारी सर्विस सें रिटायर बताए जा रहे हैं। मृतक किसान की बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए देवास जिला अस्पताल भेजा गया है। अव्यवस्थाओं के दौर में देखते हैं कि किसान की मृत्यु को मात्र एक प्राकृति मृत्यु बताकर प्रशासन क्या कार्रवाई करता है या फिर थोड़ा सबक लेकर व्यवस्थाओं को सुदृढ़ कर कार्य करेगा। यह तो समय बताएगा। एक किसान की इस दौरान हुई मृत्यु का उत्तरदायी कौन है ? यह सवाल अब भी बना हुआ है ।
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